जिंदगी संघर्ष हैं
जिंदगी संघर्ष हैं
जिंदगी संघर्ष हैं, संघर्ष ही जिंदगी है... हम माने या ना माने.... पर संघर्ष हमारे आगे परोस दिया जाता है, कभी मां के हाथ के खाने की तरह जो अच्छा या बुरा कैसा भी हो ,हम उसका मन रखने के लिए खा लेते हैं; तो कभी उस सफर की तरह होता है जहां जाने का हमारा मन नहीं होता, पर दोस्तों को साथ देने के लिए हम उनके साथ चल पड़ते है; तो कभी नुक्कड़ वाले मोमोस की तरह होती है , जो चटपटी तो लगती है पर हाजमा खराब कर देती है, फिर भीहम लपर-लपर खा लेते है..... ऐसे ही कई वजह होती है पर हम इस परोसे गए संघर्ष हो नजरंदाज नहीं कर पाते... राजी या गैर राजी हमें इसे निगलना ही पड़ता है...
अब हम चाहे तो मनहूस होकर इस बात का रोना रोते रहे या अपने नजरिए में थोड़ा बहुत बदलाव करके, अपने व्यवहार को थोड़ा लचीला करके खुद को खुश या इंप्रूव कर सकते है....... क्या पता मां ने जो खाना बनाया वो तुम्हारे स्वाद के लिए ना होकर तुम्हारे स्वास्थ्य के लिए हो... दोस्तों के साथ वाले सफर में क्या पता तुम कोई खास सलीका सिख जाओ...और नुक्कड़ वाले मोमोस से तुम्हें पता चल जाए कि आज अच्छी चीज लगने वाली चीज कल तुम्हारे लिए खराब भी हो सकती है और इस बात से तुम दूर तक देखना सिख जाओ.....
खैर होने को तो कुछ भी हो सकता है, फर्क इस बात से पड़ता है कि आप इसके लिए तैयार कितने हो....
मन तो था कि आज कुछ अच्छे -बुरे के बारें में बात करूं; नैतिकता और सिद्धातों की बात करूं.... पर मैं अभी ये बड़ी बातें शायद मेरे अधिकार क्षेत्र से बाहर है क्योंकि अभी तक मैं खुद ही उलझा हुआ हूं कि क्या सही है और क्या गलत .... और किन सिद्धांतों की बात करूं जो टाइम और परिस्थिति के हिसाब से बदल जाते है और किस नैतिकता की जो कपड़ों की तरह लोग पहने घूम रहे है ....
खैर छोड़ो यार , फिर से अपने जिंदगी वाले टॉपिक पर आते हैं.. हां, तो मैं कह रहा था कि जिंदगी......ऐसा करो जिसे जैसे जीना है जी लो....जो मन में आए कर लो....साला एक जिंदगी है अब उसी जिंदगी में उसी जिंदगी को जीना भी सीखो और उसे जियो भी.... कुछ भी सीखने समझने के लिए जिंदगी बहुत छोटी है... पर बर्बाद की जा सकती है तसल्ली से, इसके लिए तुम्हे भरपूर मौके और समय मिलेगा.....
में वैसे भी खुद की तसल्ली के लिए ये सारी बातें लिख रहा , तो इन्हें दिल ,दिमाग या गुर्दे पर लेने की कोई जरूरत नहीं है....
