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ritesh deo

Abstract

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ritesh deo

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याद और वो

याद और वो

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-तुम्हें याद नहीं आती उसकी?
-आती है .जब कभी लैपटॉप में पड़ी उसकी तस्वीरें देख लेता हूँ।
- हम्मम..आनी भी चाहिए. पहला प्यार कोई ऐसे ही थोड़े भूल जाता।
- सच कहूँ.. मैंने उसे कभी भुलाने के लिये मेहनत नहीं की , ना जाने कब वो धीरे -धीरे मेरी जिंदगी से सरकती चले गयी मुझे पता ही नहीं चला..शायद तुमने उसकी जगह ऑक्युपाई कर ली है।
- नहीँ ..मैं उसकी जगह कभी नहीं लेना चाहती।
- क्यों...?
-क्योंकि वो अतीत है तुम्हारा ..और मैं कभी तुम्हारा अतीत नहीं बनना चाहती।

और फिर दोनों की बातचीत के बीच मौन ने अपनी जगह बना ली ..दोनों की उंगलियों ने सरक कर एक दूसरे के साथ को थाम लिया ..कुछ पल के लिये ही सही दोनों बस एक दूसरे के हो गये।

#दो_लोग 

चलूं मैं जहाँ जाएं तू
दाएं मैं तेरे बाएं तू
हूँ रुत मैं हवाएं तू
साथियां...❤️❤️


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