जिंदगी के प्यारे पल
जिंदगी के प्यारे पल
स्नेहा की शादी को 30 साल हो चुके थे। बेटे व बेटी पढ लिखकर नौकरी लग गए थे , शादी भी अच्छे घरों में हो गए हैं।वक्त कब पंख फैलाए आगे बढ गया।
स्नेहा आज से 30 वर्ष पूर्व विनोद से शादी करके ससुराल आई।उसे याद है जब वह 20 वर्ष की थी, तब पढ़ाई खत्म होते ही उसकी अम्मा ने उसके हाथ पीले कर दिये और विदा के समय यह सीख देकर भेजा कि वहीं उसका घर है।
बड़ों का मान आदर रखना ,घर के कामों में सास का हाथ बटाना।पति का सम्मान व आदर करना।
"सासरे में काम प्यारा होवे है चाम नहीं" यही सब शिक्षा अपने पल्लू में बांधकर स्नेहा ससुराल चली आई। विनोद और उसका परिवार पढ़ा लिखा समझदार था।सासु मां एक अध्यापिका थी, उनको बहू आने की खुशी से ज्यादा एक बेटी मिलने के उत्साह था।शादी की रस्में रिवाज संपन्न हुए।
स्नेहा को मां के कई बातें अच्छे से याद थी अतः वह सुबह सांस के उठने से पूर्व स्नान करके घर में सभी के लिए चाय तैयार कर देती और सासु मां का टिफिन भी बना देती।
विनोद भी अपने प्यार का इजहार पूरी तरह से नहीं कर पाते क्योंकि स्नेहा उनके पास आते ही शर्म से सिमट जाती और आंख नहीं मिला पाती।
सासु मां ने दोनों को करीब लाने के लिए उनके बाहर घूमने के लिए मनाली की टिकट लाकर दी। विनोद स्नेहा मनाली चले गए।वहां स्नेहा ने विनोद के प्यार को समझा वह अपने एक नए जीवन की शुरुआत की, कई वादे एक दूसरे से किए।नए सपनों को सजा कर विनोद स्नेहा वापस अपने घर लौट आए ,और उन्होंने अपनी एक नई जिंदगी की शुरुआत की।
अब जब शादी के 30 साल बीत चुके हैं दोनों बच्चों की भी शादी कर दी है ,विनोद का भी रिटायरमेंट हो चुका है तो विनोद ने धीरे से स्नेहा से कहा" स्नेहा फिर एक हनीमून पर चलते हैं नई सपने नहीं ख्वाहिशें नया प्यार लेकर शायद फिर जिंदगी के 30 साल नहीं एहसासों के साथ कट जाए "। स्नेहा ने हंसते हुए कहा "फिर से हनीमून"
जी हां दोस्तों जीना इसी का नाम है कब हमारा समय चला जाता है जब हम अपनी जिम्मेदारियों में रहते हैं तो एक दूसरे को वक्त नहीं दे पाते जब फ्री होते हैं तो हम उम्र को दोष देते हैं।
मैं तो इतना ही कहूंगी
"लाख उम्र पाबंदियां लगाएं
जीने का जज्बा होना चाहिए
फिर एहसासों बारिश हो
जीवन में फिर एक हनीमून होना चाहिए"।
नए जीवन में प्रवेश करने के लिए हम एक दूसरे को समझने के लिए हनीमून में जाते हैं और थोड़ा समय निकालकर अपने लिए देते हैं उस समय हमें नए जीवन की शुरुआत करनी होती है। क्यों ना जब जग जीवन की कुछ जिम्मेदारियां हम पूर्ण कर ले।तब फिर से एक हनीमून मैं जाएं और जो हम न कर पाए और आगे हमें और क्या जीवन में करना है उसके लिए भी समय दे और दूसरी जीवन की इनिंग शुरू करें।

