जिम्मेदारी
जिम्मेदारी
एक लड़का था उसकी उम्र लगभग बीस साल की थी। उसकी शादी हो गई थी।वह बहूँत गरीब था।वह किराये के घर पर रहता था। छोटी उम्र में शादी हो जाने से उस पर जिम्मेदारी भी ज्यादा थी।उसे अपने माता-पिता बहन पत्नी सब को पालना पड़ता था।वह अकेला ही कमाने वाला था।
वह साथ में पढ़ता और साथ में नौकरी करता था।
वह अपने परिवार से दूर रह कर नौकरी करता था।
उसके महिने कि तनख्वाह भी केवल दस हजार थी जिसे वह अपने परिवार को दे देता था।इतनी कम तनख्वाह से उसका खुद का खर्च भी नहीं चल पाता था।वह बहूँत बेबस और लाचार सा था। इतनी छोटी उम्र और इतनी सारी जिम्मेदारी।जिस उम्र में लड़के घूमते फििरते है।मौज मस्ती करते हैं उस उम्र में उस पर इतनी जिम्मेदारी थी। एक और जिम्मेदारी थी तो दुसरी तरफ कर्ज का बोझ था। उसे देख कर लगता था कि इसके दर्द के सामने हमारा दर्द कुछ भी नहीं है।
मैं उसकी मदद करना चाहतीं थीं परन्तु में भी मजबूर थी क्योंकि मैं लड़की हूं और मेरे परिवार में मेरा साथ कभी नहीं देता। पर मैं दिल से दुआ करती हूँ की वह कामयाब हो उसके सपने पूरे हो वह अपने परिवार को अच्छी जिंदगी दे सकें।
