जीवनसाथी
जीवनसाथी
फोटो देखते हुए बड़े बेटे ने अपने माँ -पिता से कहा ,"छोटी बहन सुमिता के लिये यह लड़का अच्छा, सुंदर संस्कारी है। सही रहेगा। "माँ ने कहा ," नहीं पंडित ने कहा है कि राहु लग्न में होने से लड़का बीमार रहेगा।""नहीं ऐसा नहीं है। पंडित के पास इस का उपचार पूछ लेंगे राहु शांत करा देंगे। लड़केवाले भी शादी के लिए सौदेबाजी भी कर रहे हैं। यह दिलों का रिश्ता न होकर लड़की के साथ धोखा होगा। " पिता ने कहा "अब लड़की की उम्र बढ़ती जा रही है और लड़के कहाँ से मिलेंगे। बिना दहेज दिये शादी हमारी बिरादरी में नहीं होती है। अभी रिश्ता इसी से तय कर देते हैं।" माँ ने कहा। मोबाइल पर जैसी लड़केवाले के नम्बर के लिए उंगली घुमायी तभी दरवाजे की घण्टी बज उठी।
सुमिता ने सुमित का परिचय माँ - पिता और भाई से कराया और कहा " हम ने कोर्ट मैरिज कर ली है माँ। ये मेरे जीवनसाथी हैं । शादी में धन की फिजूलखर्ची , दहेज के दानव से आपको बचा दिया है। " "अरी मेरी छुटकी बहना ! अपनी मर्जी का प्यार , चुनाव भाग्यशालियों को ही मिलता है। अब तो तू मैच्योर ही गयी। जो काम हम नहीं कर सके। वो तुमने कर दिखाया। ""हाँ मेरे भैया ! पितृ सत्तात्मक परिवार में बेटियाँ अपना मुँह नहीं खोल सकती हैं। अपने मन की नहीं कर सकती हैं , वहीं मेरी जैसी बेटियाँ अपनी काबलियत से अपना जीवन साथी को खुद चुनने के लिए स्वतंत्र हो।""वाकई सुमिता तुम्हारा यह कदम समाज की बेटियों के लिए मिसाल बन गया।