18वां दिन
18वां दिन
18 वां दिन
11/ 4/ 2020 , शनिवार , वाशी , नवी मुंबई ।
जान बचाने वाले हीरो
आज कोरोना की वजह से लाकडाउन का 18 वां दिन है। देश में कोरोना के मामले रफ्तार से बढ़ के अब 7529 हो गए है। महाराष्ट्र में मरीजों की संख्या 1761 हो गयी। दुनियाभर में 1 लाख से लोगों की जान गयी। लोगों की चिंता का बादल गहराया हुआ है। जमाती कोरोना से सबक नहीं सीख रहे हैं। थूकने का इन जमातियों का सिलसिला जा रही है। कुछ को गिरफ्तार भी किया है। मानवता के प्रति अक्षम्य अपराध कर रहे हैं।
भारत कम्युनिटी संक्रमण के दरवाज़े पर खड़ा हुआ है। ख़ौफ़ के अँधेरे में सभी पुलिस कर्मचारी, सभी मेडिकल के अधिकारी, बिजली विभाग के कर्मचारी आदि जो कोरोना को हराने में अपना फर्ज साहस से निभा रहे हैं। ऐसी साहसी माँ भी गोद के बच्चों अपने संग लिए पुलिस विभाग में अपने काम को कर रही हैं।
लाकडाउन के हथियार से कोरोना के मरीज अन्य देशों की अपेक्षा भारत में कम हैं। हमारे प्रधानमंत्री के वीडियो कांफ्रेंसिंग करके लाकडाउन आगे बढ़ाने के लिए राज्यों के मुख्यमंत्रियों के संग चर्चा में संपूर्ण लाकडाउन की बात पर सहमति हुयी। अभी पंजाब, महाराष्ट्र में अप्रैल 30 तक बढ़ा दिया है।
कोरोना की महामारी से देश, विश्व लड़ रहा है। इंसान को इस कोविड के छुआछूत के रोग के इस वायरस से अनजाने में छू जाने से, थूकने से कोरोना जैसा भंयकर रोग महाकाल बन देश में तांडव कर रहा है। ऐसे में पैथेलॉजी विभाग में कार्यरत लैब टेक्नीशियन के कर्मचारियों के संग रिसर्च साइंटिस्ट, लैब अटेंडेंट आदि होते हैं। जिन्हें कोरोना वायरस की जाँच कई सारे स्तर पर करनी होती है , तब देश सेवा में लगे इन लोगों को कोरोना संक्रमण से ग्रसित होने संभावना ज्यादा बढ़ जाती है। मैं तो इन सब लैब टैक्सिनियन, टेस्टिंग में लगे वैज्ञानिकों को कोरोना वॉरियर्स की उपाधि दूँ तो कम ही होगी क्योंकि यह हर दिन 50 मरीज के आसपास उनके खून आदि के सैंपल ले के माइक्रोस्कोप आदि से जाँच की रिपोर्ट को भी विशेषज्
ञ डॉक्टरों को देते हैं।
तब जाँच ,टेस्टिंग में लगे ये योद्धा कोरोना की जद में आ सकते हैं। कुछ अस्पतालों में इन्हें आइसोलेशन में रख के इनकी जाँच भी की है। उनमें से कुछ टेंकनिशियन कोरोना पीड़ित भी पाए गए हैं ।ये हीरो संकट की घड़ी में अपनी जान हथेली पर रख के अपने प्रोफेशन का धर्म निभाने में लगे हैं।
डॉक्टरों, नर्सों की तरह ये टेक्नीशियन भी अपने घर, परिवार में माता - पिता , पत्नी, बच्चों से दूर होटल में रह रहे हैं।
छोटे नन्हे गोद के बच्चे नहीं जानते कि हमारी माँ, पिता हमसे क्यों दूर हैं ? बच्चे माँ को याद करके रो रहें। तब पिता उनकी माँ से मिलाने होटल में ले गए तो माँ दूर से ही अपने बच्चे, बेटी को देख के दोनों तरफ से रोने की करुण धार बहने लग जाती है। अपनी बेटी को माँ गोद में भी नहीं ले सकती है। ममता का वह संवेदनात्मक करुणा के मर्मस्पर्शी पल हृदय को चीर देते हैं। ऐसे में परिवार को चिंता होना जायज है लेकिन देश के साथ परिवार को भी अपनी संतान पर गर्व होता है कि संकट की घड़ी में मानवता को बचाने के लिए वे अपना फर्ज़ निभा रहे हैं। यही हमारी भारतीय संस्कृति है जिसमें परहित में ही मानव सेवा का धर्म होता है।
इसलिए उदात्त भावना की वजह से 5 हजार साल पुरानी भारतीय सभ्यता संस्कृति प्राणवान है। विश्व भी कल्याणकारी इस संस्कृति को भारत की ओर देख रहा है। कितने टेक्नीशियन जो होटल में नहीं रह रहे हैं। वे अपने परिवार के पास घर नहीं जा रहे हैं। वे अपनी ड्यूटी के बाद अपनी कार में ही रात काट रहे हैं। उन्हें डर है कि हमारे घर जाने से परिवारवाले कोरोना से ग्रसित हो सकते हैं।
ये ईश के दूत अपनी व्यक्तिगत निजी जिंदगी का परित्याग करके मानव सेवा, राष्ट्र धर्म से मानवता की सेवा करने में लगे हैं। जी ये भी भारतमाता के वास्तविक हीरो हैं। इनकी जय है।
मेरी दोनों डॉक्टर बेटियाँ संग मेरे डॉक्टर दामाद भी स्वदेश और कनाडा में कोरोना के रक्तबीज को मारने के लिए फरिश्ते बन के मानवता की सेवा कर रहे है।