जिद्द
जिद्द
एक गाँव में दो भाई रहते थे। दोनों के परिवार साथ साथ रहते थे। बड़ा भाई कुछ गुस्सैल प्रवृति का था जिस कारण अक्सर किसी से लड़ भिड़ता मगर छोटा भाई इसके विपरीत काफी शांत था। वह बड़े भैया की इज्जत करता था।
एक बार दोनों भाइयों में अनबन हो गयी। छोटे भाई ने कुछ कहा नही मगर बड़ा भाई इतना नाराज हो गया कि घर छोड़कर खेत में झोपडी बनाकर रहने लगा हालाँकि छोटे भाई ने समझाने की खूब कोशिश की मगर वो कतई ना माना।
बड़े भाई का परिवार छोटे भाई के साथ रहता था मगर बड़ा भाई स्वयं खेत में ही रहता जिसके लिए छोटा भाई और उनका परिवार रोज टिफिन पहुँचाया करते। ऐसा ही चलता रहा। काफी समय बीत गया। दोनों भाइयों में बात भी होती थी।
सब कुछ ठीक था मगर बड़ा भाई को आने को कभी राजी नहीं हुआ। एक बार बड़ा भाई काफी बीमार पड़ा। उसका और छोटा भाई का परिवार खेत में उसकी सेवा में लगे हुए थे। सभी ने कहा कि अब घर चलते हैं कम से कम आखरी दिन तो अपने घर में काट लो। बड़ा भाई नही माना और अंततः खेत में ही उसकी मृत्यु हो गयी।
गाँव के लोग अब इकठ्ठा हुए और परम्परा के अनुसार अंतिम यात्रा के लिए उनके पार्थिव शरीर को घर लेकर आये। रीती रिवाज के साथ अब अंतिम संस्कार की तयारी होने लगी। पडोसी सभी उसकी लाश के पास बैठे सोच रहे थे कि अपनी जिद्द के कारण जिस घर से वो आधी जिन्दगी दूर रहा। उसी घर में आकर आज सुकून से सो रहा हैं। वाकई सच ही तो हैं कि मर्जी अपनी कुछ चलती नही हैं हमें चलाने वाले के आगे।