होली मुस्लिम मोहल्ले में
होली मुस्लिम मोहल्ले में
दंगों के बाद अब शहर में माहौल शांत हुआ था। होली का त्यौहार था, सभी होली में व्यस्त थे। एक मोहल्ले से दूसरे मोहल्ले में जाकर टोलियां रंग खेल रही थीं। इसी दरमियान रोहन अपने दोस्तों के यहां होली खेलने के लिए निकल गया। रास्ते में एक गली में जाने के बाद उसको पता चला कि वो गलत जगह आ गया, यह तो मुस्लिम मोहल्ला है। तभी दूर से आते हुए 8-10 युवकों की टोली, जो सर पर टोपी लगाए हुए थे, रोहन को घेर कर खड़ी हो गई। रोहन के मन में तरह-तरह के ख्याल आने लगे कि मैं गलत चला आया हूं। अब यह शायद मुझे मार डालेंगे। रोहन का शरीर विभिन्न रंगों से रंगा हुआ था और उसके मन में भी अलग अलग ख्यालों के रंग अपना डेरा जमा रहे थे। इसी दरमियान एक युवक उनके पास आया और उसके जेब से गुलाल निकालकर रोहन के गालों पर मल दिया और सभी ने बारी-बारी एक दूसरे को गुलाल लगा दिया। यह देखकर रोहन दंग रह गया। अरे यह क्या हो गया। तभी एक ने कहा- क्यों भाई हमसे होली नहीं खेलोगे? हमने तो सुना है कि खुशी के मौके पर सब को सम्मिलित करते हो तो फिर हम से दूरियां क्यों? अब गुलाल का रंग फिजाओं में घुल गया था और सद्भाव का रंग हवाओं में अपनी महक बिखेर रहा था।