Jeet Jangir

Abstract

5.0  

Jeet Jangir

Abstract

हवस की भूख

हवस की भूख

3 mins
4.5K


सारा शहर दंगो में झुलस गया। कभी शांत सा रहने वाला ये शहर अब लाल रंग में अटा पड़ा था। हर गली और मोहल्ले में लाशो और चीत्कारों के अलावा देखने सुनने के लिए कुछ नही बचा था।

एक लड़का अपने सामने वाले घर में दाखिल होता हैं। अंदर हर तरफ लाशें बिखरी पड़ी थी। फर्श लाल लहू से पूरी तरह लाल हो चुकी थी। सब लाशों के चेहरे बुरी तरह से जख्मी थे। कपडे खून से सने हुए थे। किसी भी लाश की पहचान हो पाना मुश्किल था।

हाँ, ध्यान से देखने से इतना जरुर पता चल पाता था कि जिस्म मर्द का हैं या औरत का। काफी देर अपनी सरसरी नजरों से खोजकर वो लड़का अन्दर वाले कमरे में दाखिल हुआ। वहाँ दो लड़कियों की लाश पड़ी थी जिसे देखकर उस लड़के के चेहरे पर चमक आ गयी। दरअसल ये उसी लड़की का घर था जिसके पीछे हमेशा ये लड़का पड़ा हुआ था। हालाँकि इसका जिस्मानी इश्क ये लड़की काफी पहले जान गयी थी इसलिए उसने हमेशा ही उसको इग्नोर ही किया था।

कई बार पब्लिक प्लेस पर वो इसको झिड़क चुकी थी फिर भी मजनू छाप तबियत का ये लड़का हमेशा उसके पीछे पड़ा रहता था। लाशो को देखकर उस लड़के ने सोचा कि ताउम्र तो तुम मुझे अपने जिस्म का स्वाद न चखने दिया मगर आज तुम मुझे नही रोक पाओगे। धीरे धीरे वो लड़का उन लाशों की तरफ बढ़ा। उसने काफी टटोला उन बेजान जिस्मों को मगर ये ना जान पाया कि वो लड़की इनमे से कौनसी है जिसके पीछे वो पड़ा हुआ था। अंत में जब वो नही जान पाया तो उसने दोनों जिस्म अपनी हवस मिटाने का फैंसला किया और दोनों जिस्मों को बेपर्दा किया। अपने सम्मुख घर रही इस वहशी घटना पर दीवारों ने भी आँखे भींच ली।

चींटिया, जो लहू पर मंडरा रही थी, वो भी शर्मिंदा होकर बाहर की ओर चल पड़ी। बारी बारी उसने दोनों जिस्मों को अपनी हवस का शिकार बनाया और फिर कपड़े पहनकर ज्यों ही बाहर को निकला तो देखा सामने से दौड़ता हुआ बदहवास उसका छोटा भाई आ रहा है।

हांपते हुए नजदीक आकर वो बोला- 'भईया, भईया। मझली नही रही। दंगा हुआ तो वो इस घर में छुप गयी थी मगर दरिंदों ने उनको मार दिया। वो वाले कमरे में लाश पड़ीं हैं उसकी।' छोटे भाई की उंगली उस कमरे की ओर थी जहां से बड़ा अभी हैवानियत करके निकला था। मंझली उनकी बहिन थी। बड़े ने पूछा- 'तुम्हें कैसे पता ? और इनके चेहरे तो पहचान में नही आ रहे?' इस पर छोटा बोला- 'मैं अभी देखकर गया हूँ। और ये रहा उसके गले का लॉकेट। आप ही ने बर्थडे पर गिफ्ट किया था ना।' लॉकेट थमाते हुए छोटे ने कहा। लॉकेट देखते ही बड़े भाई के होश फाख्ता हो गए और वो धड़ाम से जमीन पर गिर पड़ा। अब जमीन पर एक और लाश पड़ी सांस ले रही थी। फर्क सिर्फ इतना था कि बाकी जिस्म इंसानी थे।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract