Asha Gandhi

Tragedy

5.0  

Asha Gandhi

Tragedy

झूले वाली माँ

झूले वाली माँ

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“आज शाम को मोटी वाली रस्सी लेते आइएगा।"

कल्याणी ने अपने पति को काम पर जाते-जाते कहा तो गोपाल ने हँस कर पूछा "क्यों - ? फांसी -वासी लगानी है क्या ?" 

"मुन्ना झूले की जिद कर रहा है।" हमेशा की तरह कल्याणी ने कम शब्दों मे उसका जवाब दे दिया। 

ग़रीबी और पैसों की बेबसी में मजदूर के लिए महीने के खर्च में से पचास -सौ रुपए निकलना कितना मुश्किल होता है, शायद शहर का व्यक्ति इसका अंदाज नहीं लगा सकता। हर छोटी जरुरत को पूरा करने में महीनों लग जाते हैं, रस्सी तो नहीं ही आ पाईं, कल्याणी ने अपने बच्चे को पीठ में बांध घुमाना शुरु कर दिया था। शाम को जब वह मुन्ने को पीठ पर बांध निकलती तो सब उसे झूले वाली माँ कह कर बुलाने लगे थे।  


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