Bharat Bhushan Pathak

Tragedy

4.8  

Bharat Bhushan Pathak

Tragedy

ज़हर का सौदा

ज़हर का सौदा

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"अवनेश अति निर्धन परिवार से होने के बावजूद भी किसी भी क्षेत्र विशेष में पीछे नहीं था। चाहे वह गणित की प्रतियोगिता हो या विज्ञान, खेल हो या वाद-विवाद।

प्रत्येक क्षेत्र में अवनेश का कोई भी प्रतिद्वन्द्वी नहीं था।" इसी कारण से वह अपने विद्यालय में सभी शिक्षकों का प्रिय था।

अब तक तो सबकुछ ठीक चल रहा था। अवनेश अपनी सफलता का परचम पर परचम लहराता जा रहा था। उसके पढ़ाई में मेधावी होने के कारण उसे मिलने वाली छात्रवृति ने उसके मार्ग के कंटकों भी साफ कर दिया था। अब बात आई उच्च शिक्षा अर्थात महाविद्यालय स्तर की जो कि अवधेश के शहर में उपलब्ध नहीं थी। इसके लिए अवनेश को मायानगरी मुम्बई का रुख करना पड़ा क्योंकि बचपन से अवनेश का रुझान फैशन डिजाइनिंग के काॅर्स में था जो कि उन दिनों महानगरों में भी इक्के -दुक्के संस्थानों में ही उपलब्ध थी।

अवनेश अपनी छात्रवृति और सरकारी सहायता से इस संस्थान में भी पहुँच गया था और यहाँ पर भी अपने सफलता का परचम लहराने की तैयारी में जुट गया था। परन्तु नियति ने अवनेश के लिए कुछ और ही लिख रखा था। हमने बड़े बुजूर्गों को बहुत ही बार यह कहते हुए सुना है कि ,"किशोरावस्था तूफ़ान की आयु है, इस तूफ़ान का जिसने अच्छे से सामना कर लिया उसके लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं। "

संभवतः इसी तूफ़ान में डूबने वाला था अवनेश।


अभी तक अवनेश के जीवन में सबकुछ सामान्य था। अवनेश खुश भी दिखाई दे रहा था आज उसका जन्मदिन जो था। सभी सहपाठियों ने अवनेश को जन्मदिन की बधाई दी और सब अपने कमरे में चले गए। अवनेश भी अपने कमरे में बैठा कुछ सोच रहा था तभी उसके कमरे के बाहर से किसी ने दरवाज़े को खटखटाया और अन्दर आने की अनुमति मांगी।

"हेलो! मे आई कम इन।" ओ सन्देश ! प्लीज़ कम इन यार दोस्ती में कोई फाॅर्मेलिटी नहीं अवनेश ने इस स्वर का प्रत्युत्तर दिया।

सन्देश जो अभी-अभी महाविद्यालय में आया था एक कुटिल मुस्कान के साथ अन्दर प्रवेश करता है।

विश यू ए वैरी हैप्पी वाला बर्थडे मेरे भाई। थैंक्यू यार अवनेश ने जब कहा, तो सन्देश ने उससे पूछा "क्या भाई कोई टेन्शन है क्या। बड़े उदास से दिख रहे हैं जनाब।"

"नहीं यार ऐसी कोई बात नहीं" ,पर सन्देश ने जब ये कह दिया छोड़ यार दोस्त भी कहते हो और मुझसे अपनी परेशानी भी छुपाते हो। छोड़ यार मैं चला पर जब सन्देश ने इस प्रकार कहा तो अवनेश ने भी अपनी दर्द की दास्तान उसके सामने कह डाली "बात कुछ नहीं है यार घर में पापा की नौकरी छूट जाने के बाद बहन की शादी और सारा घर का खर्च मुझ पर है भाई। कैसे करूँ, क्या करूँ, कुछ समझ नहीं आ रहा।" बस यही तो सुनना चाहता था सन्देश। अब उसने अवनेश को समझाना शुरू किया भाई मेरे पास एक जादुई उपाय है हाथ मिलाता है तो बोल तो मैं बताऊँ।

पर यहाँ नहीं कहीं ओर।

अब अवनेश और सन्देश एक काफी शाॅफ में बैठे थे और सन्देश ने वह उपाय उसे विस्तार से समझा दिया। पहले तो अवनेश ने नामंजूर किया फिर वो सन्देश के झाँसे में आ गया।

यहाँ पर यह बता दूँ कि सन्देश वास्तव में सैण्डी भाई था जो एक ड्रग पेडलर था। हम सबों को यह ज्ञात है कि इस प्रकार के लोगों का एक नेटवर्क होता है जो इस प्रकार के शैक्षणिक संस्थानों से ही आपरेट करता है और इसे एक दुर्भाग्य कहा जा सकता है क्योंकि अगर सिर्फ भारत का आँकड़ा निकाला जाए तो यहाँ पर लाखों युवा इस प्रकार के नेटवर्क के झाँसे में आ जाते हैं।

यही तो हुआ था अवनेश के साथ जिसने उसके ज़िन्दगी को एक नया आयाम दे दिया था।

अवनेश अब इस दलदल में फँसता जा रहा था। इस दलदल में उतरने के बाद अवनेश कितनी बार जेल गया और न जाने कितनी बार मौत का सामना किया।

अखबार के माध्यम से यह खबर उसके घर तक भी पहुँच गया और यह उसके परिवार वाले बर्दाश्त नहीं कर सके और सबने एकसाथ ख़ुदकुशी कर ली।

अब अकेले रह गया था अवनेश सिर्फ इस बियाबान ज़माने में।

कुछ साल बाद....

अवनेश अपने बंग्ले पर आरामकुर्सी पर बैठा हुआ था और उसके बगीचे में लगे चरस, गाँजा, अफीम और ब्राउन शुगर के फसल लहलहा रहे थे।

वो बैठा-बैठा सिगार पी रहा था, तभी उसकी नौकरानी वहाँ पर अपने बच्चे को गोद में लिये दौड़ते हुए आई और अवनेश की तरफ देखकर बोली, "मालिक! मालिक! देखिये न मेरे बच्चे को क्या हो गया। मैं किचन में बरतन धो रही थी और न जाने कब कैसे ये आपके बगीचे में पहुँचकर वो जो गन्ना लगा है न सफेद पाउडर वाला वो फांक गया है। यह सुनकर अवनेश नौकरानी की तरफ देखकर ज़ोर से चिल्लाया। "क्या कहा तुमने सफेद पाउडर, ये क्या किया उसने ये गन्ना नहीं ब्राउन शुगर है एक नशीला जहर।"

"ये क्या मालिक आपका सौदा मुझको"... और इतना कहते हुए वो भी गिर गई और मृत्यु को प्राप्त हो गयी।

अवनेश को उसकी नौकरानी के ये शब्द तीर से चूभ गए और उसमें थोड़ी इनसानियत रहने के कारण उसने भी भारी मात्रा में ब्राउन शुगर फाँक लिया और उसके प्राण भी शरीर को छोड़ के निकल गए।



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