इस कहानी का शीर्षक मैंने आत्मा की आवाज इसलिए रखा क्योंकि मेरी माँ हमेशा कहती थी एक बार चीरहरण होने क... इस कहानी का शीर्षक मैंने आत्मा की आवाज इसलिए रखा क्योंकि मेरी माँ हमेशा कहती थी ...
अवनेश मेधावी छात्र था, आगे की पढ़ाई करने वो मुम्बई आ गया, पर यहाँ आ कर वो नशीले चीजों के धंधे में फं... अवनेश मेधावी छात्र था, आगे की पढ़ाई करने वो मुम्बई आ गया, पर यहाँ आ कर वो नशीले ...
पर धीरे धीरे वह इस दलदल में धंसता गया। अब तो वह पूर्णतया इन लोगों के हाथ की कठपुतली बन चुका था। पर धीरे धीरे वह इस दलदल में धंसता गया। अब तो वह पूर्णतया इन लोगों के हाथ की कठपु...
लेखक : व्लादीमिर दाल् अनुवाद : आ. चारुमति रामदास लेखक : व्लादीमिर दाल् अनुवाद : आ. चारुमति रामदास
अब ना वो खुद और ना अपने बेटे को इस दलदल में डूबने देंगे। अब ना वो खुद और ना अपने बेटे को इस दलदल में डूबने देंगे।
हाथों में नींद की गोलियाँ और मन में तूफान लिए वो किचन में चली आई। हाथों में नींद की गोलियाँ और मन में तूफान लिए वो किचन में चली आई।