जब सब थम सा गया (दसवाँ दिन)
जब सब थम सा गया (दसवाँ दिन)


लॉक डाउन दसवाँ दिन
(3.04.2020)
प्रिय डायरी,
आज की सुबह में एक अलग सा सुकुन लग रहा था। पिताजी और मझला भाई रूपेश सुबह सुबह उठ कर मेरे घर की गायों को खिलाने और सेवा कर दूध निकालने के बाद घर में निर्मित शिव मंदिर में भजन लगाकर सबको सुना रहे थे। बहुत ही प्यारा भजन था-मेरा आप की कृपा से सब काम हो रहा हैं। भजन सुनकर उठने और सुबह सुबह का शांत वातावरण मन को आनंदित कर देता हैं। वैसे भजन तो रोज सुबह चलते हैं हमारे घर के मंदिर में , लेकिन रोज के भाग दौड़ वाले जीवन में किसको समय रहता हैं।
मैं यही सोच रहा था कि कोरोना संक्रमण के चलते लोगो के इस भाग दौड़ के जीवन में एक अलग माहौल बन गया हैं। सब स्थिर हो गया हैं। एक हिसाब से सच में सब थम सा गया हैं। भक्तिमय वातावरण में उठकर मैं अपनी दैनिक क्रिया को पूरा करके नीचे गया। नवरात्री तो समाप्त हो गयी थी लेकिन पूजा पाठ हमारे घर का नियम हैं। जिसका पालन सभी करता हैं। पूजा पाठ समाप्त करके मैं 8:30 बजे टीवी वाले कमरे में पंहुचा।
माँ ने आवाज़ लगाई नाश्ता कर लो, मैं कुछ देर तो सोचने लगा की आज भी मेरा व्रत हैं , लेकिन फिर याद आया नवरात्रि समाप्त हो गए हैं। बहुत दिन बाद आज नाश्ता किया। नाश्ता करते करते मैं समाचार देखने लगा। कुछ ही देर में प्रधानमन्त्रीजी का देश के नाम सन्देश आया जो कोरोना के विषय पर था। मैं ध्यान से देखने लगा और सोचा लॉक डाउन से सम्बंधित कोई जानकारी होगी। प्रधानमंत्रीजी ने लॉक डाउन के दौरान की घटनाओं के विषय पर चर्चा करने लगे। साथ ही जनता से अपील भी करने लगे की प्रशाशन और डॉक्टर्स की मदद करिये और सहयोग करिये, और इस संकट की घडी में एक दूसरे की मदद करिये। सन्देश के अंत में उन्होंने कहा कि 5 तारीख को रात में 9 बजे 9 मिनट के लिए अपने घर के मुख्य द्वार या छत पर दिया जलाये या टोर्च या मोबाइल की फ़्लैश लाइट। इस दौरान घर की लाइट बंद कर दीजिए।
वास्तविकता में ये एकजुटता दिखने और संकट की घडी में हम सब एक साथ हैं ये दिखाने का मकसद छिपा हो प्रधानमंत्री जी के अनुसार। लेकिन उन्होंने जनता से ये भी अपील की कि कोई भी एक जगह एकत्रित नहीं होगा।
ये संदेश सुनने के बाद बहुत बाते होने लगी, लोग कुछ ज्यादा उम्मीद कर के संदेश सुन रहे थे, लेकिन बस यही संदेश था। इसके बाद मैं कुछ अन्य समाचार देखने लगा। समाचार बहुत ही अजीब घटनाएं जो घटित हो रही थी उन पर था। मैंने टीवी बंद की और बहार आ गया।
बाहर नायरा और आरोही खेल रही थी और छोटी बहन उदित और प्रियांशी के साथ गाने पर डांस कर रही थी। मैं भी मस्ती करने लगा। कुछ देर बाद मैं और मेरे दोनों भाई रूपेश और सावन बात करने के लिए मेरे कमरे में एकत्रित हो गए, और अपने बचपन की बातों को लेकर चर्चा करने लगे। बहुत दिन बाद हम सब अपनी बचपन की बातों को याद करने लगे, इतने मैं मेरी हमारी बहन बीना भी आ गयी और वो भी चालू हो गयी।
फिर क्या चली बाते लंबी और दोपहर के एक बज गए पता ही नहीं चला। चाचाजी ने आवाज़ लगाई की नीचे आ जाओ खाना खा लिया जाए। फिर हमने दोपहर का भोजन किया और अपने अपने कमरो में आराम करने चले गए। मैं अपने कमरे में आ कर रस्किन बांड की कहानी की किताब पढ़ने लगा और कब मेरी आँख लग गयी पता नई चला। कुछ देर बाद मेरी आँख खुली तो मैं अपना मोबाइल देखने लगा। दरहसल आज महीने की तनख्वा आ गयी थी। लेकिन एक बुरी खबर भी थी। बुरी खबर यहाँ थी की हमारे कंपनी जिसका एक भाग हमारा स्कूल हैं। हमारे संस्था के मालिक को मातृ शोक हुआ हैं। मैं खबर सुनकर दुखी हुआ और दिवंगत आत्मा के शांति की प्रार्थना की। कुछ देर बाद मैं निचे गया और रेम्बो को बहार टहलाने ले गया। उतने में एक गाय पानी पीने के लिए बहार रखी टंकी में मुह डालकर पानी पीने की कोशिश कर रही थी। मैंने तुरंत मोटर चालू करके टंकी भरी कुछ और गाये भी आकर पानी पीने लगी । मैंने सोचा मनुष्य को भूक प्यास लगे तो वो मांग सकता हैं लेकिन जानवर कैसे मांगेगा।
शाम हों गयी थी इतने में कॉलोनी के एक बुजुर्ग दादा जी बहार टहल रहे थे मैंने उनको नमस्ते किया और उनके स्वास्थ्य का हाल चाल लिया। मैंने उन्हें घर के अंदर ही टहलने का सुझाव दिया, तो वो बोले, "घर पर बैठे बैठे परेशान हो गया हूँ"। मैंने कहा, "दादा जी कुछ दिन में सब सही हो जायेगा आप फिर आराम से टहलना"। इतना सुनकर वो घर पर वापिस चले गए। स्थिति तो वास्तव में अजीब ही चल रही हैं बस सब सही हो जाये यही मेरी ईश्वर से प्रार्थना हैं। मैं फिर अपने पेड पौधों की सफाई और पानी डालने लगा। शाम को मंदिर की आरती करके मैं कुछ देर अपने घर के छत पर जाकर टहलने लगा। सब सुना लग रहा था । अजीब सी खामोशी दिख रही थी।
इतने में पड़ोस के एक भैया भी छत पर टहलने आ गए।
हम लोग ने लगभग एक घंटे तक बात की, बात का विषय कोरोना और उसके प्रभाव था। इतने में रूपेश का फ़ोन आया कि, "भैया नीचे खाना खाने या जाइये। "मैं बात खत्म करके नीचे गया। रात का भोजन करने के बाद हम सब बातें करने लगे जो हमारी दैनिक दिनचर्या का हिस्सा हैं। बात का विषय आज मझले भाई रूपेश के स्थानांतरण का था। लॉक डाउन से पूर्व भाई का स्थानांतरण हो गया था , लेकिन ट्रैन न चलने के कारण भाई नहीं जा सका। हालांकि भाई ने अपने बटालियन के ऑफिस में सूचना दे दी थी और वह से ये आर्डर मिला हैं कि अभी आप जहा हैं वही रहिये आगे की सूचना आपको दे दी जायेगी। बाते समाप्त करके मैं ऊपर अपने कमरे में आ गया।
जीवन संगिनी जी से बात किया और वहां का हाल चल लिया और उन्होंने घर का हाल चाल लिया। फिर मैं अपनी रस्किन बांड की कहानियों में खो गया। पढ़ते पढ़ते मुझे अपनी आज की कहानी लिखने का ख्याल आया और में अपनी आज की कहानी लिखने लगा। इस लॉक डाउन ने मुझे एक बहुत अच्छी आदत सीखा दी। मैं हमेशा से कुछ लिखना चाहता था, वो इस दौरान पूरा कर रहा हूँ। इस चीज़ के लिए मैं स्टोरी मिरर को बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ।
तो इस तरह लॉक डाउन का दसवाँ दिन भी समाप्त हो गया। लेकिन कहानी अगले भाग में जारी हैं.............