Kumar Vikrant

Tragedy Crime

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Kumar Vikrant

Tragedy Crime

जौरा जेल

जौरा जेल

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तीन साल सजा बामुशक्कत और मुकदमा बेमतलब लंबा खींचने के लिए १ लाख रुपया जुर्माना, यदि जुर्माना अदा नहीं किया जाता है तो सजा बढ़ कर चार साल हो जाएगी।

सजा देने वाले जज के शब्द सीमा के कानों में गूँज रहे थे। उसके पास जुर्माना भरने के लिए रुपया नहीं था इसलिए सजा चार साल ही रहेगी।

'ऐ मैडम जरा तेजी से पैर उठाओ, जौरा जेल यहाँ से १२० किलोमीटर दूर है, वहाँ पहुँचते-पहुँचते रात हो जाएगी........' अन्य कैदियों के साथ सीमा को जौरा जेल ले जाने वाले सिपाहियों में से एक सिपाही गरज कर बोला।

विल सिटी से जौरा जेल जाने वाली महिला कैदियों के लिए आमतौर पर कोई अलग कैदी गाड़ी नहीं जाती थी बल्कि जौरा जेल से हवालाती कैदियों को उनके मुकदमों की पेशी के लिए लाई गाड़ी के साथ सजा पाए कैदियों को भी जेल भेज दिया जाता था। ऐसी ही एक कैदी गाड़ी में सीमा को जौरा जेल तक पहुँचाने चार सिपाही जा रहे थे।

कैदी गाड़ी न्यायालय परिसर के एक कोने में खड़ी थी। शाम के चार बजते-बजते सुनवाई के लिए आये सभी कैदी वापिस जौरा जेल ले जाने के लिए कैदी गाड़ी में बैठा दिए गए। उनके साथ आई पुलिस कुछ ड्राइवर केबिन में और कुछ कैदियों वाले हिस्से जाकर बैठ गए।

कैदी केबिन में सीमा सहित कुल छह महिला कैदी थे और लगभग इतने ही पुलिस कर्मी। बीहड़ क्षेत्र में जौरा जेल एक मात्र महिला जेल थी इसलिए लगभग १२०० किलोमीटर के दायरे में सभी सजायाफ्ता महिला कैदी व हवालाती महिला कैदी जौरा जेल में भेजे जाते थे। कैदी गाड़ी में बैठी एक कद्दावर महिला कैदी ने बहुत गौर से सीमा की तरफ देखा और बोली, 'क्यों री तू सीमा है न जिसने मंत्री जी की जान लेने की कोशिश की थी, कोई आशिकी का लफड़ा था क्या उसके साथ?'

सीमा खामोश रही।

'सुन बुलबुल जब शान कुछ पूछती है न तो जवाब दे दिया कर नहीं तो जेल में तेरी जिंदगी नर्क बना दूँगी।' वो कद्दावर महिला कैदी गुर्रा कर बोली।

सीमा चुप ही रही।

'बोलती है या दूँ तेरे मूँह पर एक थप्पड़?' वो कद्दावर महिला कैदी पुनः गुर्रा कर बोली।

'ए शान इधर गाड़ी में लफड़ा मत कर, जेल में तुझे जो करना है कर लेना; इधर ज्यादा बकवास की तो बीहड़ में ही ठोक दूँगा तुझे।' कैदी केबिन में बैठा एक सिपाही झल्ला कर बोला।

'ए साहेब तुम क्यों गुस्सा होते हो, तुम सब हवालाती कैदियों पे सवारी करते है कभी मैंने कुछ कहा? तुम अपना काम करो मुझे मेरा करने दो।'

'चुप सा......, ज्यादा जुबान मत चला नहीं तो आज तेरी ही सवारी करेंगे हम........' दूसरा सिपाही शान को डांटते हुए बोला।

'क्यों मजाक करते हो साहब इस बुलबुल के रहते मेरी सवारी करोगे.......'

'चुप रह र..... टाइम पास के लिए तू भी बुरी नहीं है, ये बुलबुल तो मंत्री जी की प्रॉपर्टी है इसे सही सलामत जौरा पहुँचाना है, इसकी सवारी के चक्कर में तो उन्होंने इसके पति और बच्चे को ठोका था.......और ये सा.... चली थी बदला लेने अब खुद जेल जा रही है। जेल में जब मंत्री जी का मन होगा इसकी सवारी करेंगे और औरो को भी कराएंगे।' उन सभी सिपाहियों में सबसे ज्यादा उम्र का सिपाही हँसते हुए बोला।

सिपाही के मुँह से निकले शब्द सीमा के कानों में पिघले शीशे के समान समां गए और उसके जहन में हथोड़ो की तरह लगने लगे। जिस इंसान ने उसके पति को और बेटे को मार डाला, जिस इंसान को उसने मारने की असफल कोशिश की अब वो उसके जिस्म को बिना किसी दिक्कत के हासिल करेगा, ये भ्र्ष्ट पुलिस भी उसका साथ देगी।

'चिंता मत कर बुलबुल जौरा जेल में ये सब खूब होता है एक दो बार तुझे अजीब लगेगा लेकिन उसके बाद तुझे इस सबकी आदत हो जाएगी......स्वागत है जौरा जेल नाम के वेश्यालय में।' शान ठहाका मारकर हँसते हुए बोली।

आधे घंटे बाद वो कैदी गाडी जौरा जेल में प्रवेश कर गई जिसमे प्रवेश तो आसान था लेकिन बाहर निकलना बहुत ही मुश्किल।

'चलो निकलो सब बाहर।' पुलिस का एक सिपाही उन्हें बाहर निकलने का इशारा करते हुए बोला।

सीमा ने उसकी पत्थरों से बनी दीवारों को गौर से देखा और उन्ही के समान पत्थर की एक शिला बनकर जेल की कैदी गाड़ी के बाहर निकलने के द्वार की तरफ बढ़ गई।


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