Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Tragedy

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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Tragedy

“जाके रखे सइयाँ मारि सके ना कोई” ( संस्मरण )

“जाके रखे सइयाँ मारि सके ना कोई” ( संस्मरण )

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इस बार कम से कम सामान लेके चले थे अपने ससुराल ! 19 फ़रवरी 2024 को हमारे साले के बेटे की बेटी का मुंडन रखा गया था ! वैसे सास और ससुर के गुजरने के बाद ससुराल का आकर्षण लुप्त होता जाता है ! और अब इस उम्र में बहुत कम लोग जानने- सुनने वाले मिलते हैं ! फिर भी यदा -कदा ट्रेन या अपनी कार से ससुराल भ्रमण कर आते हैं ! इस बार भला क्यों ना जाते ? कहते कि “वैसे ये लोग आ जाते हैं और इस बार निमंत्रण भेजा है तो टालमटोल कर रहे हैं !”

मिथिला में मैथिल अपने ससुराल को “ कैलाश ” कहते हैं ! बेटी का तो अपना मायके होता ही है पर जमाई को अभी भी मिथिला में भगवान का दर्जा दिया जाता है ! पता नहीं यह पद्धति कितनी पुरानी है पर रामायण काल में इसका उल्लेख मिलता ही है !

दरअसल यह निमंत्रण इसी माह में मुझे मिला ! जसीडीह से मधुबनी विशेषतः जो भी ट्रेनें चलतीं हैं वे रात को ही चलतीं हैं ! मेरे लाख कोशिशों के बाबजूद मुझे कोई रिज़र्वेशन नहीं मिला !

मुझे 17फ़रवरी 2024 को चलना चाहिए ! एक रात तो लग ही जाती है ! 19 फ़रवरी को मुंडन है ! अंततः 16 फ़रवरी को तत्काल रिज़र्वेशन कराने का निश्चय किया ! मधुबनी से जसीडीह लौटने वाली ट्रेन जयनगर -राऊरकेला एक्सप्रेस का रिज़र्वेशन 23 फ़रवरी का मिल गया था !

रह -रह कर ससुराल से मोबाइल पर बातें होने लगी ! सब यही पूँछते –

“ ओझा जी ! कहिया आबि रहल छी ? (ओझा जी ! कब आ रहे हैं ?)”

जिस तरह की व्यग्रता उनलोगों को थीं वैसी ही हमारी उत्कंठता और वलवाती होतीं चलीं गयीं ! मेरा जवाब सदैव सकारात्मक रहता था ,

“ चिंता जूनि करू ! हमरालोकनि लटकियो क आयब मुदा अवश्य आयब !” ( चिंता मत कीजिये ! हमलोग लटक कर ही आएंगे लेकिन जरूर आएंगे !)”

17 फ़रवरी 2024 के लिए तत्काल आरक्षण मिल गया! गंगासागर जसीडीह जंo से 11.56 रात को चलती है ! दुमका स्टेशन से जसीडीह जंo के लिए 18॰45 में अंतिम ट्रेन एक ही है ! यह ट्रेन दुमका राँची इंटर सिटी मात्र ढेड़ घंटे में जसीडीह पहुँचा देती है ! मेरे घर से एक किलोमीटर दूरी पर रेल्वे स्टेशन है ! इस बार मैंने एक नया प्रयोग किया ! ठीक 5 बजे शाम को अपनी गाड़ी से पहले मैंने अपनी पत्नी आशा झा को सब सामान के साथ 17 फ़रवरी 2024 दुमका स्टेशन छोड़ा ! फिर अपनी कार को अपने घर छोड़ दिया ! और एक औटोरिक्सा पकड़ कर दुमका स्टेशन पहुँच गया ! इसका एक फाइदा यह हुआ कि लोगों को पता ही ना चल सका कि हम कहीं जा रहे हैं !

इंटरसिटि ट्रेन आज कल गोड्डा से चल कर आती है ! दुमका से जसीडीह समझिए खाली -खाली जाती है ! सामान कम था ! हम दोनों ट्रेन पर बैठ गए ! गरम कपड़े पहनने के बाबूजी भी ठंडी लगती थी ! सच पूछा जाये तो सर्दियों के मौसम में अतिथि बनने से परहेज करना चाहिए !......... पर सामाजिक कार्यों को भला टाला कैसे जाये ?

गंगासागर एक्सप्रेस 11॰56 रात को सही समय पर आएगी पर लंबी प्रतीक्षा खल रही थी ! उसपर ठंड का मौसम ! जसीडीह जंo अब स्वर्ग सा बन गया है ! धार्मिक स्थल देवघर को लेकर इसका विकास हो रहा है ! पहले स्क्लेटर और लिफ्ट नहीं थीं ! ठीक 11 बजे लम्बा इंतज़ार के बाद एक नंबर प्लैटफ़ार्म से दो नंबर पर जाने का निर्णय लिया ! मैंने आशा को कहा ,--

“ चलिये स्क्लेटर से चलते हैं !”

“ नहीं बाबा नहीं...... मैं स्क्लेटर से नहीं जाऊँगी ! मुझे भले क्यूँ न रुक- रुक कर चलना पड़े मैं तो सीढ़ी चढ़कर ही जाऊँगी !”—आशा ने जवाब दिया !

बैसे स्क्लेटर पर चढ़ना मुझे आसान लगता है ! मैंने कहा ,--

“ठीक है , मैं अपना ब्रीफ़केस और एक ट्रोल्ली बेग ले लेता हूँ और आप दोनों थैला ले लीजिये !”

आशा दूसरी तरफ सीढ़ी के रास्ते चली गईं और मैं आत्मविश्वास के साथ स्क्लेटर की और बड़ा ! स्क्लेटर पर मैंने पैर रख दिया ! मेरे दोनों हाथों में मेरे दोनों सामान थे ! स्क्लेटर की रफ्तार ने मेरा संतुलन बिगाड़ दिया और पाँच सीढ़ी पहुँचते- पहुँचते मैं लुढ़क गया ! लोगों ने चिल्लाना शुरू कर दिया !

“ अरे ! पकड़ो -पकड़ो ,बचाओ इनको !”

मैं स्तब्ध था और अपने होश को खोता चला गया ! मेरे सामने दो RPF के जवान थे ! उनकी सजगता ने स्क्लेटर को बंद कर दिया ! सब लोग मुझे उठाने लगे !

कोई कह रहा था ,--

“ आप तो किस्मत वाले हो......... बाल -बाल बच गए !”

“आपने गलती की, रेललिंग को आपने क्यों नहीं पकड़ा?”

RPF के जवानों ने मुझे मेरे सामान के साथ नंबर 2 प्लैटफ़ार्म पर पहुंचाया!

कुछ देर के बाद आशा को मैंने सब कुछ बताया ! उनकी आंखें सजल हो गयीं थीं !

गाड़ी आयी! A1 में हमारे दोनों लोअर बर्थ थे! बर्थ पर जाते ही नींद लग गयी ! और सुबह नींद खुली तो मधुबनी पहुँच चुके थे ! पर यह एहसास हो गया कि --“जाके रखे सइयाँ मारि सके ना कोई”!!



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