जागृत इंसान
जागृत इंसान
यह कहानी एक छोटे से गांव से शुरू होती है, जो चारों ओर से पहाड़ों से घिरा हुआ है, ऊंचे-ऊंचे पेड़ उस गांव की खुबसूरती में और भी मनमोहक लगता है, जैसे लग रहा हो उस गांव को प्रकृति अपने गोद में जगह दिया हो।
गांव का छोटा सा विद्यालय, बांस और फूंस से बना हुआ, तीन - चार कमरों वाला, तीन शिक्षकों द्वारा संचालित होता है, जिसमें बच्चों की संख्या लगभग पचास होंगे।
श्याम सातवीं कक्षा में पढ़ने वाला होनहार लड़का है, शिक्षकों का पसंदीदा विधार्थी,
मनोहर लाल उसे देखते ही पुकारा - ऐ ... श्यामू, कल स्कूल क्यों नहीं आया था, कोई प्रोब्लम था।
हां सर, मेरी मां का तबियत कुछ ज्यादा ही खराब हो गया था, उसी को दिखाने वैध जी के पास गया हुआ था, श्याम दुखी मन से बोल पड़ा।
वैध ने कहा इसे आराम करने की जरूरत है, ज्यादा काम कि तो इसके सेहत पर गहरा असर पड़ेगा।
ठीक है बेटा, मैं आज शाम तुम्हारे मां से मिलने आऊंगा, यही बहाने उनसे बात भी हो जाएगी - मनोहर लाल श्याम के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा।
श्याम हां में अपना सिर हिला दिया।
मनोहर लाल श्याम के मां के पास बैठ कर कह रहे हैं -
मैं अब यहां से सदा के लिए जा रहा हूं, यह जगह छोड़कर ....
पर क्यों, मास्टर साहब, अभी तो रिटायर होने के लिए बहुत साल बांकि है आपका, इतनी जल्दी क्यों .....
हां श्यामू की मां, पर अब रहने का मन नहीं करता है, बार बार मेरे बहू और बेटे की याद आता है, कहता है मुझसे किए हुए वादें को आप भुल गए, मैंने आपको एक जिम्मेदारी सौंपी है, उसे कब पूरा कीजिएगा।
मैं अपने रिटायरमेंट होने के पंद्रह साल पहले ही यहां से जा रहा हूं। ताकि अपने बहू से जो वादे किए हैं उसे पूरा कर सकूं।
हां मास्टर साहब, सबकी अपनी-अपनी जिम्मेदारी है, मेरी
भी है, अपने बेटे को पढ़ाना, उसे लायक बनाना।
पर ये जिम्मेदारी श्यामू को यहां रखकर पूरा नहीं कर सकते।
पर यहां से इसे कहां भेजें, इतने पैसे नहीं हैं मेरे पास, जो शहर भेजकर पढ़ा सकूं।
मैं इसे अपने साथ ले जाता हूं, और पढ़ाई की सारी जिम्मेदारी मेरी, आप लोग चिंता मत करिए, मैं इसे अपने बेटे जैसा प्यार और दुलार दूंगा।
पर मास्टर साहब हमलोग श्यामू के बिना कैसे रहेंगे, श्याम के बाबू बोल पड़ा।
अभी आपने ही कहा इसे पढ़कर लायक बनाना है, तो इसके लिए शहर भेजना ही होगा।
श्याम के बाबू श्याम की तरफ देखा तो वह समझ गया कि श्याम का भी इच्छा है पढ़ने का, शहर जाने का।
ना चाहते हुए भी श्याम को जाने की इजाजत दे दी गई।
मनोहर लाल स्कूल से विदाई ले रहे हैं सभी बच्चे भाव भंगिमी आंखों से मास्टर जी को विदा कर रहे हैं,
मनोहर लाल की भी आंखों से अश्रु की दो बूंद छलक पड़े उन्होंने कहा मेरे हृदय में तुम लोग सब दिन रहोगे जो प्यार जो अपनापन आप लोगों ने मुझे दिया है वह मैं कभी नहीं भुला पाऊंगा, पर मेरी मजबूरी है कि मुझे आप लोगों को छोड़कर जाना पड़ रहा है,
मनोहर लाल को कुछ बच्चे रेलवे स्टेशन तक छोड़ने आते हैं।
शहर आते ही मास्टर साहब अपने पोती से मिलने पहुंचे जो आठ साल की है।
आपने मेरी गुड़िया को इतने दिनों तक सम्भाल कर रखा, इस उपकार का बदला मैं कैसे चुकाऊं मास्टर, सिस्टर निवेदिता को बोल पड़े।
ये क्या कह रहे हैं मास्टर साहब ये तो मेरा फर्ज है, गुड़िया भी तो मेरी बेटी की तरह ही है, इसकी मां भी यहीं रह कर पढ़ाई की, और यह भी, गुड़िया के सिर पर हाथ फेरते हुए निवेदिता बोली।
निवेदिता की नजर जब श्याम पर पड़ा तो मास्टर साहब से पूछ बैठी - यह साथ में मास्टर साहब कौन है।
मास्टर साहब बोले - जहां मैं स्कूल में पढ़ाता था उसी गांव का यह लड़का है पढ़ाई में बहुत होशियार और दिमाग का भी तेज है तो इसे मैं अपने साथ यही ले आया ताकि इसे मैं पढ़ा-लिखा सकूं।
उस छोटे से गांव में पढ़ाई लिखाई की उत्तम व्यवस्था नहीं है।
निवेदिता भी बोली - सही किया मास्टर साहब यहां रहेगा तो पढ़ लिख लेगा।
ठीक है निवेदिता मैं अब जा रहा हूं और मास्टर साहब अपने पोती को लेकर अपने घर की तरफ चल पड़े।
कहते हैं समय जाने में देर नहीं लगता।
सुबह शाम और रात इस तरह बीतते चला गया कि किसी को मास्टर साहब को पता ही ना चला और दोनों बच्चे बड़े हो गए।
एक दिन मास्टर साहब दोनों को एक दूसरे के बाहों में बाहें डाल कर बात करते हुए देखा तो उन्होंने दोनों को बुलाकर कहा तुम दोनों आपस में प्यार करते हो यदि दोनों की शादी करने की इच्छा हो तो कर क्यों नहीं लेते।
मेरी भी दिलों ख्वाइश है कि तुम दोनों साथ साथ रहो और आगे बढ़ो ताकि तुम्हारे मां को जो मैंने वचन दिया है वह पूरा हो जाए।
गुड़िया जो अब बड़ी हो गई थी उसने अपने दादा जी से कहा आप कितने अच्छे हैं दादाजी बिना कुछ बोले ही आपने शादी की परमिशन दे दी। मैं सोची थी कि आप हम दोनों की शादी के लिए कभी तैयार नहीं होंगे।
यह क्या कह रही हो बेटी मैं तो कब से ही सोच रहा था इस बारे में लेकिन मुझे भी ऐसा ही लग रहा था जैसे तुम सोच रही हो कि शायद तुम शादी के लिए तैयार नहीं होगी।
इसीलिए मैं तुमसे कुछ नहीं कह रहा था चलो अब जितना जल्दी हो सके मैं इन चीजों से फुर्सत हो जाऊं।
मास्टर जी के घर में शादी का मंडप लगा हुआ है पूरे घर सजे हुए हैं बैंड बाजे साहब बज रहे हैं लेकिन मास्टर साहब पुरानी बातें याद कर रोने लगे मास्टर साहब को एक कॉल आता है जिसमें कोई पुलिस कह रहा है आपके बहू और बेटे का एक्सीडेंट हो गया है। मनोरमा हॉस्पिटल में आप आ जाइए।
मास्टर साहब उससे मिलने पहुंचे जहां पर गुड़िया की मम्मी कराह रही है।
उसने अपने बेटे की तरफ देखा वह बेसुध पड़े लाश की तरह सोए हुए थे अपने बेटे को गले से लगाया उससे कुछ बोलने की उम्मीद की ताकि दो शब्द उससे बोल सकूं लेकिन उसके बेजान शरीर में वह ताकत नहीं बचा था कि मास्टर साहब से कुछ बोल पाए।
अपनी बहू के पास मास्टर साहब जाकर कहा यह कैसे हो गया बेटी लेकिन उसकी बहू कुछ नहीं बोल पाई बस एक ही बात के सिवा कि यह मैं अमानत आपके पास छोड़कर जा रही हूं इसका ख्याल रखिएगा इतना कहते हुए उसकी बहू भी इस जहां को छोड़कर विदा हो गई।
मास्टर साहब अपनी गोद में एक छोटी बच्ची को उठाकर फूट-फूट कर रोने लगे कभी अपने बेटे की तरह देखते तो कभी अपने बहू की तरफ और कभी अपने पोती की तरफ, जो महज चार-पांच घंटे की थी।
किसी का हाथ मास्टर साहब के कंधे को स्पर्श यह क्या दादा जी आप रो क्यों रहे हैं मैं थोड़े ही कहीं जाने वाली हूं शादी के बाद भी तो मैं आपके ही पास रहूंगी हां हां बेटी में तो जानता हूं लेकिन छोड़ो कुछ नहीं इतना कहती हुई।
मास्टर साहब उठे और गुड़िया को अपने सीने में लगा कर बोले आज मैं बहुत खुश हूं बेटी तुम्हारी मां को दिया हुआ वचन मैंने पूरा किया अब मैं आजाद हूं तुम खुश रहो बेटा खुश रहो इतना कहकर मास्टर साहब खुले दरवाजे की तरफ चल पड़े।
एक दिन अचानक श्याम को यह जानकारी मिलती है कि उसकी मां की तबीयत बहुत खराब है और यहीं कहीं हॉस्पिटल में एडमिट है वह सारे काम छोड़ कर अपनी मां से मिलने हॉस्पिटल गया।
मां की ऐसी हालत देखकर उसने डॉक्टर साहब से पूछा क्या हुआ, डॉक्टर साहब मेरी मां को।
डॉक्टर ने उसे बताया की हार्ट अटैक आया है इसका ऑपरेशन करना होगा इस के ऑपरेशन मे दस लाख खर्च आएंगे।
श्याम सोचने लगा कर इतना ज्यादा रकम मैं कहां से लाऊंगा मेरे पास तो इतने पैसे नहीं है।
तब उसके दिमाग में एक आइडिया आया क्यों ना कुछ ब्लैक मनी अर्जित की जाए जिससे मैं अपनी मां का इलाज करा सकूं।
उसने अपने दिमाग में साइबर क्राइम के बारे में सोचा यही वह जरिया है जिसके जरिए में दस लाख रुपए कमा सकता हूं।
उसने फोन कॉल करके कई लोगों से पैसे अर्जित किए और लोग देते चले गए।
इधर क्राइम ब्रांच के पुलिस परेशान थे कि आखिर यह कौन सा व्यक्ति है जो यह फ्रॉड कॉल करके लोगों को गुमराह कर रहा है क्योंकि उसके पास लोगों के ज्यादा कंप्लेन दर्ज होने लगे।
किसी तरह पुलिस डिपार्टमेंट को यह मालूम चलता है कि श्याम नाम का कोई व्यक्ति है जो इस तरह का काम कर रहा है।
पुलिस का कोई व्यक्ति उसका पीछा कर यह मालूम कर लेता है कि यह क्राइम के पीछे श्याम का ही हाथ है उसे पुलिस गिरफ्तार कर अपने पास ले आई और सारी इनफार्मेशन जानने की कोशिश की कि आखिर ऐसा कैसे करता है।
श्याम उसे कुछ नहीं बताता और अपने को बेगुनाह कहता है।
पुलिस को उसके खिलाफ ऐसा कोई ठोस सबूत नहीं है जो श्याम को अपराधी घोषित कर सके और उसे सजा दिलवा सके।
डिस्टिक मजिस्ट्रेट उसे अपने पास बुला कर प्यार से समझाता है कि अगर तुम अपने गुनाह कबूल कर लेते हो, मान लेते हो तो मैं तुम्हें सजा नहीं दिलाऊंगा लेकिन श्याम फिर भी अपने आप को बेगुनाह कहता है।
डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को पता चलता है कि श्याम की पत्नी उससे मिलने आई है, वह फौरन गुड़िया से संपर्क किया और श्याम को सहायता करने के लिए तैयार कर लिया।
श्याम ने वह सारी बातें डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को बताया कि कैसे वह फ्रोड कॉल कर लोगों से पैसे वसूल करता था।
श्याम ने बताया कि इस क्राइम में मैं अकेला नहीं मेरे जैसे सैकड़ों लोग हैं जो इस क्राइम में लगे हुए हैं जिसको पकड़ पाना पुलिस को संभव नहीं है क्योंकि वह अलग सिम कार्ड, दूसरे नाम की आईडी, दूसरे नाम का ईमेल, फेसबुक, टि्वटर, व्हाट्सएप जैसे सोशल ऐप इस्तेमाल करता है और फिर दूसरा अकाउंट वह बना देता है।
डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ने उससे पूछा तो क्या हम इस क्राइम को खत्म नहीं कर सकते, कोई ऐसा उपाय बताओ जिससे मैं इन लोगों को आसानी से पकड़ सकूं।
श्याम ने बताया कि इसे पकड़ना तो आसान नहीं क्योंकि ये लोग एक जगह रह कर नहीं करते।
हां इसमें बदलाव जरूर ला सकते हैं।
हमें लोगों को जागरूक करके, लोगों को हम इसके बारे में समझाएं, बताएं, उनसे मिले और एक प्रोग्राम चलाएं।
लोगों को एकत्रित कर उसे इन बातों की जानकारी दें कि किसी का काॅल आए तो, अगर उसमें पैसे की डिमांड या कोई भी ओटीपी, कुछ भी बैंक के बारे में पूछे तो उसे स्पष्ट रूप से मना कर दें।
आजकल बहुत सारे ऐसे ऐप है, जिसके माध्यम से लोगों से पैसे वसूले जाते हैं जैसे फोन पे, पे एटी एम जैसे ऐप के माध्यम से पैसे वसूल किए जाते हैं।
हमें लोगों को जागरूक कर ही इस क्राइम को खत्म कर सकते हैं।
जैसे श्याम ने कहा था डिस्टिक मजिस्ट्रेट ने वैसा ही प्रोग्राम बनाया और जिले की हर जगह पर एक प्रोग्राम रखा गया और उस प्रोग्राम का नाम दिया गया जागृत इंसान।
इस प्रोग्राम के माध्यम से श्याम और उसके कुछ दोस्तों ने साइबर क्राइम के बारे में अच्छी प्रस्तुति दी।
लोगों ने उसके बातों को ध्यान से सुना।
खासकर युवाओं ने उसके बातों का अनुसरण किया।
श्याम और उसके कुछ दोस्त कॉलेजों और स्कूलों में जा - जाकर कई प्रोग्रामों को संचालित किया जिससे अधिक से अधिक युवाओं को इसकी जानकारी दी जाए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं ना घटे।
हैकर्स अब इतने शातिर हो गए हैं की वे फेसबुक टि्वटर जैसे सोशल मीडिया पर भी हॉबी हैं उसे भी हैक करके मैसेज के द्वारा पैसों की मांग करते हैं।
इस बातों को युवाओं ने गंभीरता से लिया और अपने परिवार को इन बातों से रुबरु कराया।
नोट .....
देश की जनता को जब तक इन विषयों के बारे में अत्यधिक जानकारी नहीं मिलेगी तब तक कोई भी कितना प्रयास क्यों ना कर लें, साइबर क्राइम रुकने वाला नहीं है।