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AJAY ANAND

Children Stories Tragedy Inspirational

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AJAY ANAND

Children Stories Tragedy Inspirational

अपाहिज बन्दर

अपाहिज बन्दर

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पराया सभी स्टेशनों में आपको बंदर देखने को मिल जाएंगे जो झुंड बनाकर एक साथ रहना पसंद करते हैं सर्दियों के मौसम में तो और सभी एक दूसरे से सट सट कर ऐसे बैठे हुए रहते हैं जैसे सभी एक परिवार की तरह है वैसे तो हमें इतने घनिष्ठ संबंध इंसानों में देखने को नहीं मिलते स्टेशनों के बालकोनी में या ब्रिज पर झुंड बनाकर पराया देखने को मिल जाते हैं सभी बंदर इन परिस्थितियों में साथ तो रहते हैं मगर जब कोई यात्री खाना फेंकता है तो उस स्थिति में यह आपस में झगड़े बिना नहीं रह पाते जो ताकतवर और निडर रहता है वही सबसे बचाकर खाना खत्म करता है बचे खुचे खाने को दूर देख रहे बंदर आते हैं और चुन-चुन कर खाना खाते हैं।

उसी झुंड में एक बंदर था जिसके दोनों हाथ कटे हुए थे जब भी मैं उस स्टेशन से गुजरता तो दोनों प्लेटफार्म की तरफ नजर घुमाकर देखने की कोशिश करता कि उसकी स्थिति अभी कैसी है क्योंकि वह प्लेटफार्म के इर्द-गिर्द ही बैठे रहता और कुछ चुन चुन कर खाता उसके खाने की स्थिति भी चार पैरों वाले जानवर की तरह हो गया था जैसे मुंह लगाकर खाना , शरीर पर मक्खी मच्छर बैठा रहे तो अपने पूंछ से हिला कर हटाना मेरी ट्रेन जब भी रुकती उस स्टेशन में तो मैं सबसे पहले उतर कर उसके पास चावल या रोटी कुछ भी लेकर पहुंच जाता और उसे खिलाता साथ में अपने साथ एक डंडा भी रख लेता ताकि उससे कोई और बंदर खाना छीन कर खा ना ले जब तक वह पेट भर कर खा नहीं लेता वहां से नहीं हटता।

सभी बंदर उसके इर्द-गिर्द मंडराने लगते मेरी नजर हटते ही एक दो बंदरों उससे खाना झपट कर भाग जाता। मेरी ट्रेन उस स्टेशन पर ज्यादा नहीं रुकती थी महीने में दो या तीन दिन ही दो - चार घंटे के लिए रुकती थी क्योंकि मालगाड़ी या तो कंटिन्यू चलता या सिग्नल नहीं मिलने पर ही उस स्टेशन पर रुकता लगभग पांच महीने तक उस बंदर को मैं खाना देते रहा धीरे-धीरे वह हमें पहचानने भी लगा था।

 जब मैं ट्रेन से उतर कर प्लेटफार्म पर यह देखने उतर जाता कि वह बंदर किधर है वह जिधर भी रहता मुझे देखते ही मेरे नजर के सामने कुछ दूरी पर आकर बैठ जाता लेकिन मेरे करीब नहीं आता क्योंकि उसे ऐसा लग रहा कि हमें उससे डर लगेगा।

मैं भी उस से 5 फीट की दूरी पर उसके सामने खाना रख देता और उसके खाने तक मैं भी बैठ कर इंतजार करने लगता उसके खत्म करते ही मैं वहां से चल पड़ता।

एक दिन मैं उस स्टेशन पर थोड़ी देर के लिए रुका ही था कि लोगों की भीड़ देखकर मैं उतरा और यह देखने के लिए चल पड़ा कि वहां पर इतनी भीड़ इकट्ठा क्यों हुआ है।

मेरे मन में सवाल भी उठ रहे थे कि कोई डेथ बॉडी होगा जो आते जाते ट्रेनों की चपेट में आकर कट गया हो भीड़ के अंदर जाकर देखा तो वही बंदर खून से लथपथ बैठा हुआ था मुझे बहुत दुख हुआ मैंने वहां लोगों से पूछा तो पता चला कि कुछ बंदरों ने इसे लहूलुहान कर दिया है उसके पास मेरी जाने की हिम्मत नहीं हुई क्योंकि वह एक जानवर ही था , वह भी मेरा पालतू नहीं था लेकिन एक चीज जो मैंने देखा उसमें कि वह मेरी तरफ ही देख रहा था जैसे कह रहा हो मेरा समय पूरा हो गया मैं अब जा रहा हूं अंतिम बार मुझे देख लो मैं अपने साथ ले गए कुछ बिस्कुट उसके पास लाकर रख दिया कुछ लोगों ने उसके पास जाते हुए देख कर मुझे रोका पर मैं उन लोगों की बात मानने वालों में से कहां था।

पास जाकर बिस्कुट उसके सामने रख कर सोचा थोड़ा उसे सहलालु पर लोगों के मना करने पर मैं भी उसके पास से चला आया कुछ लोगों ने मुझसे कहा क्या जरूरी था उसके पास जाना कहीं आपको काट लेता तो 14 सुई लगवाने पड़ते।

आपको पता नहीं है यहां के बंदर बहुत खतरनाक है यहां आने जाने वाले लोगों को काटने के लिए दौड़ते हैं उनमें से एक ने कहा आश्चर्य वाली बात है आपको उसने कुछ नहीं कहा मैं उन लोगों की बातें सुनकर ट्रेन पर आकर बैठ गया मैं बार-बार उसी के बारे में सोच रहा था कि अब उसका क्या होगा उसे मरहम पट्टी भी लगाने वाला यहां कोई नहीं है पैसेंजर ट्रेन के जाते ही सभी यात्री उस में चढ़ गए पूरा प्लेटफार्म खाली हो गया मैं अपने बैग से मरहम लगाने वाली दवाई ली और पट्टी निकालकर उसके पास जाने लगा कि कहीं दिखे तो उसे लगा दूं पूरा प्लेटफार्म खोज लिया पर वह कहीं नहीं मिला मेरे द्वारा रखी हुई बिस्कुट भी वहां पर पड़ी हुई थी जो दूसरे बंदर चट करने की फिराक में थे।

 मेरी ट्रेन भी स्टार्ट होने ही वाला था सो मैं अपने इंजन पर आ गया उस दिन से मैंने उसे अभी तक नहीं देखा जब भी उस स्टेशन से गुजरता मेरी नजर यात्री से ज्यादा उसी को खोजने में लगा रहता उसके साथ मेरा लगाव सा हो गया था जब भी ड्युटी लगता तो मेरी इच्छा होती कि उस स्टेशन से आगे मेरी गाड़ी जाए ताकि उसे देखता जाऊं कि अभी भी वह जीवित है।


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