अंधा प्रेम
अंधा प्रेम
मोना सोलह साल की साधारण लड़की है इसके मां का देहांत हो जाने के बाद अकेली हो जाती है, सौतेली मां से प्यार नहीं मिलने के कारण गलत रास्ते पर चल पड़ी।
अकेलेपन को दूर करने के लिए किसी को दिल दे बैठी है और इसके जिंदगी में अचानक भूचाल आ जाता है, जिसका निपटारा खुद कैसे करती है, पढ़ने के बाद ही पता चलेगा।
मोना के घर आते ही लड़ाई और झगड़े की आवाजें सुनाई पड़ने लगती है उसकी सौतेली मां भद्दी भद्दी गालियां दे रही है। उसके पिता की भी बीच-बीच में आवाजें सुनाई पड़ने लगती है।
उसकी मां उसे कह रही है बेहया कहीं की, बेशर्म, अपने बाप की इज्जत का तनिक भी तुम्हें ख्याल नहीं है। समाज में किसी का मुंह दिखाने लायक नहीं रखेगी मुझे। मरते वक्त तुम्हारी मां तुम्हें साथ लेकर जाती, परेशान करके रख दी है तुम मुझे। जल्दी से मेरे घर से बाहर निकल। मेरे घर में तुम्हारे रहने के लिए कोई जगह नहीं है। जा कहीं जाकर मर ।
अभी तुम्हारी उम्र ही क्या हुई है यह सब करने की, मोना की कान पकड़कर उसके पिता गालों पर दो थप्पड़ लगा देते हैं। बहुत बिगड़ गई है, तुम्हारी मां भी किसी से कम नहीं थी वह भी अपने मनमानी करते हुए तो चली गई लेकिन तुम्हें मेरे पास छोड़ कर। बदचलन लड़की कहीं की यही सिखाया है मैंने तुम्हें। किस मुंह से मैं घर से बाहर निकलूंगा। मेरे दोस्त मुझसे क्या कहेंगे। कई तरह के सवाल पूछे जाएंगे। किसको किसको जवाब दूंगा यह सब काम करने से पहले अपने बाप के बारे में तनिक भी नहीं सोची।
मोना सोलह साल की लड़की है जो मिडिल स्कूल में पढ़ाई करती है। है तो वह बहुत सीधी-सादी पर ना जाने वह किस रास्ते पर चल पड़ी। अपने परिवार वाले से भी दो मिनट नजरें मिलाकर बात नहीं करती है। कोई उसके यहां चले जाए तो सबसे पहले वही कुर्सी निकालकर बैठने के लिए कहती है।
समाज में किसी की बेटी कुछ बोल दे, अपने मां बाप को तो मोना का उदाहरण देकर उसे समझाती है देख तो कितनी प्यारी लड़की है।
अपने मां-बाप का कितना ख्याल रखती है और एक तू है जो अपने मां से गाल बजाने में कोई कसर नहीं छोड़ती। सच कहें तो पढ़ाई लिखाई में भी वह अव्वल है। एग्जाम में हमेशा वह फर्स्ट डिवीजन से पास करती है शिक्षक भी उसकी बड़ाई करते नहीं थकते। पेंटिंग भी वह बहुत खूबसूरत बना लेती है और बहुत प्राइज भी वह जीती है। शायद सौतेली मां के दुर्व्यवहार के कारण ही उसके जेहन में गलत आचरण घर कर गई हो। शायद अपनों से ज्यादा प्यार उसे बाहरी लोगों से मिला हो।
वैसे उसके पिता ने उसे पढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़े हैं। उसके पिता दीनानाथ चौधरी जो अपने समाज के जाने माने हस्ती है, उसे यह बात सताए जा रही है कि अब बेटी को क्या करें ? जो इतनी कम उम्र में ......... लोग क्या कहेंगे ?
अपनी पत्नी पार्वती से बोलते हैं इसे कहीं दूर के रिश्तेदार यहां छोड़ आते हैं। यहां रहेगी तो ....... ।
बहुत बदनामी होगी। लोग तरह-तरह की बात करेंगे। मैं उन लोगों का जवाब नहीं दे पाऊंगा। क्यों ना एक बार लड़के के पिता से बात किया जाए, आपका क्या ख्याल है ? पार्वती , चौधरी जी से कहती हैं। विचार तो उत्तम है पर क्या तिवारी जी मेरे घर में रिश्ता क्यों जोड़ेंगे। वह तो मेरे बिरादरी के नहीं है फिर भी एक बार बात करके कोशिश करता हूं। देखें मान जाए ........ तो अच्छा है। लड़की वाली बात है जरा संभल कर बात कीजिएगा - पार्वती चौधरी जी को समझाते हुए बोलती है। झुनझुन तिवारी अपने घर के आंगन में फूलों के पौधे पर पानी दे रहे हैं और थोड़ी सी घास हो गई है उसी को साफ करते जा रहे हैं।
राम राम तिवारी जी, चौधरी जी हाथ जोड़ते हुए तिवारी जी को नमस्कार करते हैं। हां भाई राम राम आज इतनी सुबह ..... तिवारी जी सवाल करते हैं।
इधर से गुजर रहा था तो सोचा आपसे मिलता चलूं। हां हां क्यों नहीं , आइए बैठ कर बात करते हैं तिवारी जी उसे पास ही लगी हुई कुर्सी पर बैठने के लिए कहते हैं। अपने पत्नी कमला से कहते हैं दो कप चाय लेती आना चौधरी जी आए हैं। और बताइए सब खैरियत से है ना - तिवारी जी ने पूछा।
क्या बताएं तिवारी जी एक बहुत मुश्किल आ पड़ी है, आपके मदद के बिना संभव नहीं।
तिवारी जी हंसते हुए जवाब देते हैं - मेरी मदद , आखिर ऐसी कौन सी प्रॉब्लम आ गई है जिसकी मदद की उम्मीद हम से कर रहे हैं, ठीक है बताइए ..!!
कैसे कहूं कुछ समझ में नहीं आ रहा है, कहां से बात शुरुआत करूं।
कोई बात नहीं जो भी है, निःसंकोच कहिए।
मेरी मदद करने के लायक होगा तो जरूर करूंगा।
तब तक में कमला चाय लेकर आ जाती है , लीजिए भाई साहब। चाय में कितनी शक्कर डालूं।
रहने दीजिए भाभी जी मैं खुद ही डाल लूंगा।
दीदी की तबीयत ठीक है ना- कमला चौधरी से पूछती है।
हां दो दिन पहले डॉक्टर साहब से मिलकर आई है, कुछ दवाइयां दिए हैं , खाने के लिए एक महीने बाद एक टेस्ट और कराना है पता नहीं कौन सी बीमारी है - चौधरी जी बोल पड़ा।
चाय का लास्ट घूंट लेते हुए चौधरी जी कहते हैं, ठीक है तिवारी जी फिर कभी मिलते हैं इतना कहकर वह कुर्सी पर से उठ कर जाने लगे।
अरे थोड़ी देर और रुक जाइए घर थोड़े भागा जा रहा है अभी तो बात भी नहीं हुई है और कुछ मदद की भी तो बात कर रहे थे आप - तिवारी जी उन्हें रोकते हुए कहा।
ठीक है, किसी दूसरे दिन आपसे बात कर लेंगे, इतना कह कर चौधरी जी सीधे बाहर की तरफ निकल पड़े।
चौधरी जी के घर आते ही उत्सुकता बस पार्वती ने पूछा - कोई बात बनीं कि यूं ही बिना कुछ बोले चले आए।
चौधरी बोल पड़ा - हिम्मत नहीं जुटा पाया , कैसे बोलूं कि आपके बेटे ने मेरी बेटी के साथ गलत किया है ।
पार्वती समझाते हुए बोली - हिम्मत तो जुटाना ही होगा , आप कहे तो मैं भी आपके साथ चलती हूं , कमला बहन से मैं ही बात करुंगी।
वैसे मैं मोना के मामा को ख़बर कर दी हूं, वे लोग आते ही होंगे, देखती हूं क्या निर्णय लेते हैं ...??
मोना की मामी भी आई उसने मोना को समझाते हुए कहा - तुम्हें पता है मोना , जब तुम्हारी मां चल बसी तो तुम मात्र दो घंटे की थी, तुम्हारी मां सही से तुम्हें देख भी नहीं पाई , हम लोगों ने तुम्हें कितना प्यार से पाला और अब ये सब .... अपने भविष्य के बारे में कुछ तो सोचा होता ...
मैं नहीं जानती मामी, ये सब कैसे हो गया ....
बस उसके स्पर्श से ही मैं पिघलते चली गई, मैं कुछ समझ पाती इससे पहले ही .....
उस दिन से मैं उससे मिलना छोड़ दिया, यहां तक कि उससे बात भी नहीं करती ।
हमें कुछ पता भी नहीं है इसके बारे में .... वो डाक्टर , मां को बताया तो हमें मालूम चला ।
जो हो गया उसे भूल जाओ .... मैं एक डाक्टर को जानती हूं, अब एक ही उपाय है आपरेशन का ....
नहीं, मामी मैं इतनी भी नादान नहीं हूं जो आपरेशन का मतलब ना समझूं।
मैं आपरेशन नहीं कराऊंगी, यह मेरे प्यार की पहली निशानी है, इसे जन्म दूंगी, माना कि मैंने गलती की है पर इस बच्चे की क्या गलती है जिसे दुनिया में आने के लिए कुछ महीने बचे हैं ।
अपने पेट को सहलाते हुए बोली - देखो मामी , कितना खुश हो रहा है मेरे निर्णय सुनकर , और आप कह रहीं है इसे मार दूं - सिसकती आवाज में मोना बोले जा रही थी उसके आंखों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहा था।
मामी गुस्साते हुए कहा - बिन ब्याही माँ कहलाएगी , समाज के लोग देखकर ताने मारेंगे, और फिर कौन तुमसे शादी करेगा । सारी जवानी बची हुई है , कोई तुम्हें नहीं रखेगा , तुम और तुम्हारे बच्चे भटकेंगे सड़क पर ।
आते जाते भेड़िए की नजर से कब तक बचेगी तुम , कच्चे चबा जाएंगे अकेले देखकर।
मैं कुछ नहीं समझती , बस मुझे इसे जन्म देना है। आप कुछ भी कहें , आपकी बात मैं नहीं रखूंगी।
उसके निर्णय से उसके पिता की और ज्यादा परेशानी बढ़ गई , वो तो सोच रहे थे , मोना को ही खत्म कर देते हैं ,ना रहेगी मोना ना रहेगा इसका बच्चा।
पर वो क्या कर सकते थे , बेटी की मोह माया जो है ।
तिवारी जी समझदार व्यक्ति थे, जब उन्हें इसकी जानकारी मिली तो अपने बेटे को बुला कर पूछा, उसके बेटे ने जवाब दिया मैंने उसे डिनर पर लेकर गया था और वहीं ये सब ....।
तिवारी जी को समझते देर न लगी उसने अपने बेटे को डांट फटकार कर दूसरे जगह भेज दिया और चौधरी जी को बुला कर कहा , देखो चौधरी तुम मेरे अच्छे दोस्त हो । मैं तुम्हें निराश नहीं करूंगा लेकिन अभी इन दोनों की उम्र बहुत कम है शादी के लिए फिट नहीं बैठती है और कानून भी तो कहता है की बालिग होने पर ही शादी होनी चाहिए तो ऐसा करते हैं हम लोग और चार पांच साल इंतजार कर लेते हैं तब शादी के बारे में सोचेंगे।
चौधरी जी निराश होते हुए बोला चार-पांच साल तो बहुत हो जाएंगे तिवारी जी और मेरी बेटी भी तो पेट से है।
उसका क्या होगा आखिर बच्चे जनने के बाद समाज में मेरी क्या इज्जत रह जाएगी । बेटी का बाहर निकलना भी मुश्किल पड़ जाएगा लोग उसे देखकर ताने मारेंगे।
तिवारी जी ने जवाब दिया तो वैसा करते हैं दोनों की शादी किसी मंदिर में करवा देते हैं आप भी निश्चिंत हो जाइएगा और मैं भी ।
जब दोनों बालिग हो जाएंगे तो फिर से दोनों की शादी बड़ी धूमधाम से कर देंगे।
चौधरी जी खुश होते हुए बोला बहुत अच्छी बात है तो अभी से ही मैं पंडित जी से बात करने निकल पड़ता हूं और इतना कहते हुए चौधरी जी बाहर की तरफ निकल पड़े।
चौधरी जी के जाते ही झुनझुन तिवारी की पत्नी कमला अपने पति पर चिल्लाने लगी ऐसे कैसे शादी हो जाएगा ।
वह भी मंदिर में जाकर ना कोई बैंड बाजा ना कोई हमारे अपने सगे संबंधी को बुला सके और मेरे परिवार वालों को इसकी जानकारी मिलेगी तो वह क्या कहेंगे ।
मुझे नहीं जी .... मैं शादी नहीं होने दूंगी।
बेटे नादान है , इन चीजों के बारे में उसे मालूम नहीं है तो हो गई नादानी , ऐसे तो आए दिन होते रहते हैं , बेटा है मौज मस्ती करने का हक है।
बेटा है तो कुछ भी करेगा , किसी के इज्जत से भी खिलवाड़ करेगा , तुम कहना क्या चाहती हो ...
देखो कमला चौधरी जी की इज्जत का सवाल है और अपने बेटे को नहीं पूछी तुम , यह सब करने की क्या जरूरत थी ।
आज जो चौधरी जी को परेशानी हो रही है और सिर्फ तुम्हारी बेटे की वजह से ..... तो मेरी यह जिम्मेदारी बनती है कि इस समस्या का निदान हमें ही करना है ।
आप कुछ भी कहो जी .... मैं यह शादी नहीं होने दूंगी ।
शादी तो होकर रहेगी , मैं आज ही विक्की को बुलाकर शादी करवाता हूं - तिवारी अपने पत्नी को डांटते हुए कहा।
जब तिवारी जी के ससुर को इनकी भनक लगी तो वह समझाने के लिए तिवारी के घर आ पहुंचा ।
देखो दमाद जी यह सब तो इस उम्र में होते रहता है और हम तो लड़के वाले हैं हमें क्या प्रॉब्लम होगी उस लड़की को ना ... समझना चाहिए ।
गलती उस लड़की की है तो उसे ही भुगतने दो । हम लोगों का क्या है , शादी का प्लान कैंसिल करो और कुछ दिनों के लिए विक्की को मेरे घर भेज दो वहीं पढ़ाई लिखाई करेगा।
तिवारी जी को अपने ससुर कि यह बात पसंद नहीं आई उसने अपने ससुर से कहा अगर मेरी बेटी के साथ ऐसा होता तो क्या आप अब भी यही बात बोलते। माना कि गलती उस लड़की की है लेकिन अकेले मैं कैसे मान लूं कि सिर्फ गलती उसी की है गलती की वजह भी तो विक्की ही बना है ।
आप लोग यह बात क्यों नहीं सोचते किसी की इज्जत जा रही हो और उसे बचाने के सिवाय आप लोग उसकी इज्जत को बाजार में नीलाम करने जा रहे हैं कैसी सोच है आप लोगों की।
गांव और समाज के लोगों को धीरे-धीरे इसकी भनक लगने लगी चौधरी जी के मुंह पर तो कुछ कोई नहीं बोलता मगर उसके जाते ही चर्चे शुरू हो जाते।
तिवारी जी किसी तरह अपने पत्नी और ससुर को शादी करने के लिए मना लिया।
मंदिर के पुजारी दोनों की शादी करवाते हुए कहा धन्य है आप दोनों का परिवार जो आप लोगों ने इतना बड़ा निर्णय किया ।
आज के जमाने में ऐसा कहां होता है तिवारी जी , हमेशा तो मैंने लड़की वालों को ही बेज्जती होते हुए देखा है। आपको देखकर कुछ और लोगों की नींद खुल जाए तो जमाना कितना सुंदर हो जाएगा ।
फिक्र मत कीजिए पंडित जी , धीरे-धीरे जमाना मॉडल हो रहा है और बदल भी रहा है । हम भी बदले ... कल हमारे जनरेशन जो आएंगे वह भी बदलेंगे .. समाज , देश - दुनिया सब इसी राह पर चलेंगे ।
गलती की है तो सजा तो भुगतनी ही पड़ेगी , अब आप ही देखिए .... पढ़ने लिखने की उम्र में इन दोनों ने ऐसा किया तो मैं भला क्या करता ... शादी तो करनी ही थी ।
अब रही पढ़ाई लिखाई की बात तो इन दोनों की मर्जी ।
पढ़े या मौज मस्ती में समय बिताए और आजकल के बच्चे बाप की बातों को रखते कहां है जो मर्जी आते हैं वही करते हैं।
शादी होते ही तिवारी ने चौधरी से कहा अब आपकी बेटी हमारी घर की भी बेटी है , इसे विदा कर मैं अपने घर ले जा रहा हूं और इसकी पढ़ाई लिखाई की पूरी जिम्मेदारी अब मेरी है ।
हां और एक बात मैं अपने बेटे को पढ़ने के लिए दूसरे जगह भेज रहा हूं। पांच साल तक इन दोनों के बीच मिलना जुलना बंद रहेगा।
चौधरी ने तिवारी से हाथ जोड़कर कहा - अब तो मैं अपनी बेटी आपके पास छोड़कर जा रहा हूं , आपकी मर्जी जैसे आप इसे रखेंगे , मुझे खुशी मिलेगी।
आप मेरे घर की इज्जत रख लिए । आज के समय में अपनों के लिए भी इतना कोई नहीं करता , जितना आपने मेरे लिए क्या है।
ऐसी बातें क्यों करते हो चौधरी , बच्चों की गलतियों को अगर हम लोग नजरंदाज करते रहे तो इंसानियत नाम की कोई चीज ही नहीं रह जाएगी।
आखिरकार मोना की विदाई हो गई और शादी भी कुछ खास नहीं था फिर भी आने वाले भविष्य के लिए इन दोनों ने एक खास बात बता दी कि चाहे कोई भी जाति का क्यों ना हो अगर दो दिलों के बीच प्रेम हुआ है तो उसकी जिम्मेदारी लड़के के माता-पिता या लड़की के माता-पिता की बनती है की इस परिस्थिति का सामना सोच समझ कर ही करें।
