मां की ममता
मां की ममता
कमली अपने साल भर के बच्चे को लेकर घर के बाहर कदम रखी ही थी कि उसकी सास ने आवाज लगाते हुए कहा - सुन रे कमली , काम से लौटते वक्त पंडिताइन की दुकान से आध किलो नमक लेना ना भूलना।
कमली कुछ क्षण के लिए ठहरी और हूं कहते हुए अपने रास्ते निकल पड़ी।
दो बच्चों की मां कमली ठेकेदारों के यहां रोज भत्ते पर नौकरी करती है एक दिन भी नहीं गई तो सैलरी कट ।
जब कमली इस संबंध में बात करती है तो ठेकेदार का बेटा कहता मैंने तुम्हें सरकारी नौकरी दे रखा है क्या ???
काम करना है तो करो वरना जाओ कहीं और काम की तलाश करो ।
कमली जवाब देती इतने दिन से तो काम करते आई हूं तुम्हारे यहां , जब तुम्हारे बाप थे तो पूरा का पूरा महीना का पैसा आता और तुम हो कि .....
कमली कुछ कहती कि वहां मौजूद औरतों में से एक ने उसे इशारा से अपने पास बुला लिया।
सुलेखा ने कहा - क्यों कमली , उस गवार से क्यों मुंह लगाती हो । उसे हमारे तुम्हारे जैसे अक्ल नहीं है । अक्ल होता तो मरते हुए बाप को बचा नहीं लेता ।
चंद पैसों की खातिर अपने बाप को मार डाला।
कमली अंधेरा होने से पहले घर वापस आ गई । आते ही सासु ने पूछा क्यों रे कमली पंडिताइन की दुकान से नमक लाई कि नहीं , कहीं दिख नहीं रही ।
कमली झूठ बोली पंडिताइन की दुकान बंद था । किसी ने हमें बताया कि वह आपने नैहर चली गई है।
सास ने कहा - आज बिना नमक ही साग बनाना पड़ेगा।
देख आ रामूआ के बीबी के पास , मुझसे भी बीते दिन मांग कर एक तोला नमक ले गई थी। कमबख्त लौटाई नहीं है।
अब तक कमली की आवाज नहीं सुनकर सासु बोली - कहां मर गई । कुछ ना बोल रही है।
कमली अपना हाथ मुंह धोते हुए आवाज लगाई - आ रही हूं , चिल्ला क्यों रही हो।
चिल्लाऊं क्यों नहीं , इतनी देर से बकबक किए जा रही हूं और एक शब्द बोलने का नाम नहीं ले रही है।
कमली अपना पैर पटकते हुए आई और सास के पास आकर खड़ी हो गई।
खड़ी ही रहेगी , जा रामुआ के बीवी के पास एक तोला नमक लेती आ , जल्दी कर अंधेरा होने वाला है ।
जंगली जानवरों का आना शुरू हो जाएगा । सब के दरवाजे बंद हो जाएंगे और हां देखना कलमुंहा पीकर नशा में कहां पड़ा हुआ है । खोज खबर करती आना।
जंगल से कुछ ही दूरी पर एक छोटा बस्ती है , जो धीरे-धीरे छोटे गांव में विकसित हो गया ।
पर एक दूसरे की झोपड़ी अभी भी कुछ दूरी पर बना हुआ है । कभी - कभार इस गांव में बाघ , चीता और अन्य जंगली जानवर रास्ता भटक कर गांव की तरफ आ जाते हैं और लोगों और पालतू जानवरों पर हमला कर देते।
इसी हमले में कमली के ससुर मारे गए । समय पर इलाज की व्यवस्था नहीं हो पाया , जिसके कारण धीरे-धीरे मौत के मुंह में चले गए थे ।
इस गांव से शहर 5 मील की दूरी पर है जंगल के रास्ते से गुजरना पड़ता है जिसके पास गाड़ी है वही महीने - दो महीने में एक बार शहर जाते हैं । ऐसे भला कौन शहर जाने के लिए इतना जोखिम उठाए ।
ये लोग कई वर्ष पहले औरंगजेब के डर से यहां भागकर चले आए थे । तब से यही इन लोगों का बसेरा हो गया ।
इस तरह के छोटे-छोटे गांव आठ - दस होंगे , जो जंगल के पास ही है।
इस गांव की आबादी लोगों के बढ़ने से पहले ही जानवरों के शिकार हो जाते हैं क्योंकि शहद और मछली की तलाश में अपने गांव से दूर चले जाते हैं । कुछ रास्ता भटक जाते तो कुछ शेरों के शिकार हो जाते हैं । बच भी जाते तो किसी काम के नहीं रहते ।
कमली एक तोला नमक लेकर अपने पति रामस्वरूप को खोजने निकल पड़ी । जानवरों के आने के खतरे का डर लग रहा था । सभी जगह रामस्वरूप को खोज लिया पर कहीं नहीं दिखाई दिया। कमली ने सोचा जिंदा रहा तो आएगा नहीं तो ...."
दरवाजा खोल कर कमली अंदर गई। दोनों बेटे के साथ उसकी सास सो रही थी । सामने खटिया पर सुबह का सूखा रोटी पड़ा हुआ था ।
उसने सोचा , वही खाकर अपनी भूख मिटा लिया होगा। कितने रात इन लोगों ने बिना खाए सो गए थे ।
उसकी आंख लगी ही थी कि बच्चे की रोने की आवाज सुनकर जगी । अपने एक साल के बच्चे को तेंदुए दबाकर जा रहा था ।
इसने घर में रखे भाले से उसके ऊपर वार कर दिया । तेंदुए ने बच्चे को छोड़ कर उस पर हमला कर दिया । कमली घायल होकर जमीन पर गिर पड़ी।
उन लोगों की आवाज सुनकर आसपास के घरों से आदमी अपने हथियार लेकर दौड़ते हुए आया।
तेंदुए डर कर भाग गया , पर कमली खून से लथपथ जमीन पर पड़ी थी।
कमली की सांसें कम होते जा रहे थे और अंततः वह अपने बच्चे को छोड़ सदा के लिए अपनी आंखें बंद कर ली।
उसका पति रामस्वरूप अब भी नशे में धुत अपनी पत्नी कमली को एक बार देखा और खटिये पर लुढ़क गया।
