Bhavna Thaker

Romance

4.3  

Bhavna Thaker

Romance

इश्क में देर हो गई

इश्क में देर हो गई

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चाय का कप लेकर पर्दा हटाकर मैं खिड़की के सामने जा खड़ा हुआ, धुंधुआते बादल जमकर बरस गए थे। आह्लादक हल्की ठंड़ सभर शाम रंगीन करने की बजाय आज मेरे मन को आलस से भर रही थी। क्यूँ आज कुछ अच्छा नहीं लग रहा, एक लेखक के मन को ऐसा मौसम लिखने के लिए प्रेरित करता है पर मुझे आज कुछ भी लिखने का मन नहीं किया तो मोबाइल लेकर बाल्कनी में आकर झूले पर बैठ गया। वाटसएप पर थोड़े दोस्तों के मेसेज के रिप्लाइ देकर फेसबुक पर नये आए विडियो देख रहा था कि मैसेंजर पर किसी अन्जान लड़की का मैसेज आया। हैलो गौरव जी मैं मुंबई से तान्या जोशी, आपका उपन्यास "इश्क में देर हो गई" पढ़ा। वैसे तो आपकी हर रचना, आर्टिकल्स और लघुकथाएं पढ़ती ही रहती हूँ, पर "इश्क में देर हो गई" पढ़ कर रहा नहीं गया तो मैसेज कर दिया। क्या कम्माल के लेखक है आप, हर विषय पर लिखनेका आपका हुनर काबिले तारीफ़ है। जैसे-जैसे आपको पढ़ती गई आपकी हर रचना अपनी सी लगी। मुझे भी लिखने का शौक़ है पर पढ़ाई से फ़ुर्सत कहाँ, लिखूँगी मैं भी आपकी तरह फ़िलहाल ईश्वर से आपके उज्जवल भविष्य की कामना करती हूँ कि आप खूब लिखें और आगे बढ़ें।

आपकी वर्ल्ड बेस्ट फ़ेन तान्या।

मैंने सबसे पहले अपनी नई फ़ेन तान्या की प्रोफाइल खोलकर देखी, डीपी बहुत ही सुंदर और आकर्षक थी, कोई भी पहली नज़र में प्यार में पड़ जाए। मैं भी इंसान ही था और सीने में दिल भी जो तान्या की पिक देखकर थोड़ा उछल ही पड़ा, पर कंट्रोल बेटा करते मैंने टपार दिया ना जान ना पहचान चल पड़ा फ्लर्टिंग करने। मेरी पेन्डिंग फ्रेंड्स रिक्वेस्ट लिस्ट में तान्या जोशी की डीपी देखी, खुद ब खुद अंगूठे ने बिना इजाज़त मांगे एक्सेप्ट कर ली। तान्या की प्रोफाइल में मेरी मोस्ट ऑफ कविताएँ शेयर की हुई दिखी, अच्छा लगा मुझे ये जानकर कि कोई मुझे शिद्दत से पढ़ता है। आज शायद फ़ुर्सत भी थी और दिल भी दीवाना तो ख़यालों की गाड़ी इस विषय की पटरी पकड़ते आगे बढ़ने लगी। 

प्यार, इश्क, मोहब्बत के बारे में तो आज तक सोचा ही नहीं, पहले पढ़ाई से फ़ुर्सत नहीं थी फिर लेखन के चस्के ने लपेट लिया, या तो यूँ भी कह सकते है कि आज तक ऐसी कोई मिली ही नहीं। क्या कारण था पता नहीं। वैसे देखा जाए तो मेरे फ़ेन्स फ़ाॅलोवर्स में ज़्यादातर लड़कीयाँ ही थी पर किसी पर मन नहीं ठहरा, तो आज अचानक इस नई फ़ेन में ऐसा क्या देखा बावरे दिल ने की प्रोफ़ाइल तक पहुँच गया। खैर आगे सोचने से दिमाग ने मना कर दिया और भूख भी लगी थी तो उठकर किचन में आ गया। अकेले बंदे का किचन जैसा होता है वैसा ही था तितर-बितर सा, मार्केट जाने का समय ही नहीं मिला तो कुछ था ही नहीं। फ़्रिज़ खोला तो बस वही ब्रेड, बटर, मैगी और अंडे दिखें। नहीं खाना वही सब। कुर्ता पहनकर निकल गया पास वाले उडिपी रैस्टोरेंट में मेंदू वडे और इडली से काम चल गया। हल्की रोशनी और बरसाती मौसम पेट भरते ही अच्छा लगने लगा।

घर जाने का मन नहीं किया तो एक्सप्रेसो डार्क कोफ़ी का ऑर्डर देकर वापस मोबाइल खोला, ट्रिन फिर से तान्या का मैसेज दिखा। हाय गौरव जी फ़ेन्स को यूँ इग्नोर नहीं करते आपने मेरे मैसेज का रिप्लाइ नहीं दिया। 

दरअसल मैं असमंजस में था इतनी सुंदर लड़की के आगे हक्का-बक्का हो गया था क्या लिखूं सोच ही रहा था कि गुस्से वाला इमोजी भेजकर तान्या ऑफलाईन हो गई। मुझे थोड़ी राहत हुई मैंने हंसी वाला इमोजी भेज दिया और सोचने लगा की क्या जवाब दूँ। दिल से आवाज़ आई अबे डफ़र आगे बढ़ इतना बड़ा लेखक हज़ारों रचनाएँ लिख ली आज चंद शब्दों का मोहताज क्यूँ हो रहा है। इश्क वाले अहसास ने अंगड़ाई ली और लबों पर हंसी ने कब्ज़ा ले लिया और अंगूठा अपना करतब दिखाते चल पड़ा...

मेरी वर्ल्ड बेस्ट फ़ेन प्रिय तान्या जी अरे नहीं आप जैसी स्वीट गर्ल को कोई इग्नोर कैसे कर सकता है, बस थोड़ा काम में व्यस्त था ,मेरी रचनाओं की और "इश्क में देर हो गई" कहानी की तारिफ़ के लिए शुक्रिया, अच्छा लगा जानकर कि आप जैसी स्मार्ट, इंटेलिजेंट और सुंदर लड़की हम जैसे बेफ़िक्रे की फ़ेन है। मेरी दोस्त बनने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद , और मैसेज सेंड कर दिया। इन्स्टन्ट हंसता हुआ इमोजी और गुलाब का फूल मैसेंजर में झिलमिला उठा और उसी पल से एक सुनहरे रिश्ते का सिलसिला मैसेंजर पर दौड़ने लगा।

बाप रेरेरे कितनी बातूनी लड़की और साथ में प्रबुद्ध और हर विषय पर बिंदास चर्चा करने वाली तान्या आहिस्ता-आहिस्ता मेरे वजूद को समूचा अपनी ओर खिंचने लगी। रोज़ सुबह की पहली गुड़ मार्निग और रात की सबसे आख़री गुड़ नाइट तान्या से शुरू और तान्या पर खत्म होती थी। ना इकरार ना इज़हार, ना प्यार, इश्क, मोहब्बत की बातें ना कोई छिछोरापन, फिर भी एक कशिश भरा मदमस्त रिश्ता जुड़ गया था हम दोनों का। आधा दिन भी एक दूसरे से बात नहीं होती तो बेचैनी सी छा जाती। न काम में जी लगता ना लिखने में मानों एक दूसरे की आदत बन गए थे हम दोनों। कि एक दिन माँ-पापा का फोन आया, गौरव अब तो शादी कर ले तेरे लिए तीन चार लड़कीयाँ देख रखी है। कुछ दिनों के लिए आजा और मिल ले सबसे कोई पसंद आए तो बात आगे बढ़ाते है। अहमदाबाद छोड़े पाँच साल हो गए थे, एम बी ए ख़त्म होते ही दिल्ली की मल्टीनेशनल कंपनी में शानदार नौकरी लग गई थी तब से अकेले रहने की आदत हो गई थी, तो शादी वादी की झंझट के बारे में सोचा ही नहीं। पर इस तन ने तीन दशक देख लिए तीसवां साल चल रहा था तो माँ पापा की चिंता जायज़ थी। और अब तो दिल भी कुछ मोर मांग रहा था तो लगा हाँ यार अब तो सेटल होना मंगता है। और इस खयाल के साथ ही तान्या का चेहरा रूह के भीतर झिलमिलाने लगा।

पर क्यूँ ? शादी से तान्या का क्या लेना-देना, मन के इस सवाल पर दिल नाराज़ हो गया और बोला अबे मेरी पसंद तो पूछ तान्या क्यूँ नहीं ? ...उस पर मन उड़ चला इन्द्रधनुषी सपने देखने भविष्य की कल्पना करते तसव्वुर में तान्या का हाथ थामें सात फ़ेरे से लेकर बुढ़ापे तक के सफ़र पर। आहाआआ कितना सुखद और आह्लादक सफ़र रहेगा ताउम्र तान्या के संग बुढ़ा होना मंज़ूर है पर, क्या तान्या के दिमाग ने कभी ऐसे सफ़र की कल्पना की होगी। क्या वो भी मेरा हाथ थामें ज़िंदगी के सफ़र में मेरा हमसफ़र बनने के सपने देखती होगी। एक साल चेटिंग में बीता, दोस्ती से भी एक कदम आगे था रिश्ता दो बदन एक जान जैसा। पर शादी या संसार के बारे में ना कभी मैंने बात की ना तान्या ने, तो फिर शादी की बात आते ही मेरा पूरा अस्तित्व तान्या की घोषणा करते विपक्ष में क्यूँ जा बैठा।

कैसे जान सकता हूँ तान्या के मन की बात, सीधा पूछ लूँ। नहीं...नहीं कहीं बुरा मान गई तो। असमंजस में घिरा पहले माँ पापा को फोन, किया माँ उतावले लहज़े में बोली कब आ रहा है बेटा लड़की वालों को कौन सी तारीख मिलने के लिए बोलें। थोड़ा सोचकर मैंने माँ से कहा माँ कुछ दिन रुकिए मैं ऑफिस में छुट्टी का बंदोबस्त करके आपको बताता हूँ। और माँ से औपचारिक बात करके मैंने फोन काट दिया। क्यूँकि दिल और मन में धमासान मचा था। धरती से लेकर अंबर तक तान्या ही तान्या का साम्राज्य था, एक ललक उठ रही थी बस एक बार तान्या के दिल की बात जान लूँ फिर चाहे वो ना भी कर दे तो कोई गम नहीं। पर जब मेरे पूरे अस्तित्व पर तान्या का कब्ज़ा है तो किसी ओर के साथ शादी करके किसी लड़की की ज़िंदगी खराब नहीं कर सकता और चद्दर तान कर सो गया। आज की सुबह इतनी बोरिंग क्यूँ है यार, आँखें खुलते ही रात के आख़री ख़याल ने अंगड़ाई ली शादी, तान्या और कश्मकश। मोबाइल खोला और ट्रिन तान्या के हंसते हुए इमोजी के साथ गुड मार्निग मैसेज ने दस्तक दी, जिसे देखकर ख़्वाबगाह के भीतर सपनो ने फिर से करवट ली। पर विचारों के पुल को तोड़ती दरवाज़े पर घंटी बजी।

ये लो सुबह-सुबह कूरियर वाला क्या दे गया, खोलकर देखा तो आँखों पर विश्वास ही नहीं हुआ। मेरा उपन्यास "इश्क में देर हो गई" बेस्ट सेलर साबित हुई उसके लिए अगले रविवार को बुकर्स अवॉर्ड के लिए मुंबई से बुलावा आया है। ओह माय गॉड मैं पूरा का पूरा नास्तिक फिर भी पहली बार आसमान की ओर देखकर मुस्कुरा दिया। शायद उसका ही कोई संकेत था जो ये अवोर्ड फंक्शन मुंबई में आयोजित हो रहा है। जहाँ पर इस दिल की पसंद विराजमान है। 

मन खुशी से पागल हुआ जा रहा था ये खबर सबसे पहले तान्या को ही देता हूँ ये सोचकर मोबाइल खोला, पर ना जो मजा सरप्राइज़ में है वो पहले से बता देने में कहाँ मुंबई पहुँच कर सीधा मिलने ही बुलाऊँगा, और हाँ प्रपोज़ भी तो करना है। अचानक से मेरी फीलिंग जानकर उस नाज़नीन का खुशियों से खिलखिलाता चेहरा अपनी हथेलियों में भरकर चूमने की कशिश कैसे मिस कर सकता हूँ। आहहहह शनिवार को अभी चार दिन बाकी है कैसे कटेंगे।

जैसे शांत सरोवर में किसीने कंकर फेंक दिया हो ऐसे अचानक से ज़िंदगी खलबली मचाते करवट ले रही थी। अब तक आज़ाद पंछी सा उड़ रहा था, अब घोंसला सजाने के दिन आ रहे थे, एक से दो होना सबकुछ बदल देता है। ज़िम्मेदारीयों की आदत हरगिज़ नहीं थी सात फेरे के बाद सच में दुनिया घूम जाती होगी यार.."ऐसा तो नहीं था मैं" इश्क के रंग हज़ारों है सच में प्यार, इश्क, मोहब्बत लिखने को बखूबी लिख लेता हूँ पर अब जब खुद को हो गया है तो सबकुछ रंगीन ही रंगीन लग रहा है। मनचाहे अहसास बिना बात के भी होंठों पर हंसी की बौछार भर देते है। ऐसे ही सुनहरे सपने और आने वाले कल के हसीन खयालों में ही दो दिन बीत गए। पहली बार तान्या को मिलूँगा और यस प्रपोज़ भी तो करना है, खाली हाथ थोड़ी जाऊँगा। और बंदा चल पड़ा अपनी महबूबा के लिए शोपिंग करने।

ओह्ह निकल तो पड़ा पर क्या लूँ... क्या देते है लड़कियों को यार, तान्या की पसंद वैसे थोड़ी बहुत तो मुझे पता है तो सबसे पहले ब्रांडेड पर्स के शो रूम में गया। मस्त ब्लैक कलर का लेदर पर्स लिया, सामने ही स्वरोस्कि जूलरी का शो रूम दिखा तो वहाँ घूस गया। अंगूठी तो अभी देर की बात थी तो डायमंड का एक्स्पेन्सिव ब्रेसलेट ही ले लिया। और लड़की से मिलने जाओ और चॉकलेट ना दो तो बुद्धु की केटेगरी में ही बिठा दिए जाओगे मिस्टर गौरव चॉकलेट का गिफ़्ट हैम्पर तो लेना बनता ही है। दो दिन में सारी तैयारियां हो गई। कल सुबह 8 : 00 बजे की फ्लाइट थी तो पाँच बजे एयरपोर्ट पहुँचना पड़ेगा चलो सो जाते है भै, पर 12 बजे तक तान्या से चेटिंग चली और दोहरी खुशी रात भर आँख मिचौली खेलती रही तो मुश्किल से दो घंटे सो पाया, की चार बजे मोबाइल में अलार्म की धनधनाटी ने उठा दिया। मुसाफ़री मेरे लिए बोरिंग क्रिया ही रही है पर आज पहली बार इतने उत्साह से कहीं जाने के लिए उतावला हो रहा था। पर माँ की अंधश्रद्धा याद आ गई किसी भी बात की खुशी ज़्यादा नहीं मनानी चाहिए, खुद की ही नज़र लग जाती है। आज मैं क्यूँ आस्तिक होता जा रहा था पता नहीं। सारी फोर्मालिटी पूरी करके प्लेन में बैठ गया।

मुंबई की धरती पर पैर रखते ही मानों तान्या की ऊंगलियों को छू लिया हो ऐसी झनझनाहट पूरे बदन में दौड़ गई। ऑफिस काम से पहले कई बार मुंबई आ चुका हूँ पर मानों पहली बार आया हूँ ऐसा रोमांच पनप रहा था। पर अब रहा नहीं जाता तान्या के इतने करीब आकर अब दूर कैसे रह सकता हूँ, चैक आउट करके बाहर निकलते ही तान्या को फोन लगाया। दिल राजधानी की रफ़्तार से गतिशील होते भागने लगा। सामने से तान्या की सुमधुर हैलो सुनाई दी मैंने कहा गैस करो मैं कहाँ हूँ? तान्या कुछ समझी नहीं बोली कहीं पिकनिक पर गए हो क्या? मैंने कहा बिलकुल गया हूँ, मुंबई की चौपाटी पर बैठकर चने खा रहा हूँ। यस पागल मुंबई की सर ज़मीन पर तुम्हारे बहुत ही करीब हूँ। ओह माइ गॉड कहते उछल पड़ी। मैं कुछ सुनना नहीं चाहती बस अभी के अभी घर आ जाओ, ये क्या बात हुई कम से कम कल बताते मैं एयर पोर्ट लेने आती ना। खैर कहो कब मिल रहे हो, मैंने कहा ओ बवंडर थोड़ी सांस तो ले लो, आया हूँ तो मिले बिना थोड़ी जाऊँगा। फिर बुकर्स अवॉर्ड वाली बात बताकर सारा प्रोग्राम समझाया और कहा थोड़ा काम है एक दो लोगों से मिलना है तो सब निपटा कर शाम 7 बजे होटेल सन एंड सेन्ड में मिलते है।

तान्या उछल पड़ी, एक साथ दो दो सरप्राइज़, वाह देखा मेरी दुआ रंग लाई मिल गया ना अवॉर्ड मिस्टर गौरव खन्ना, आज का डिनर आपकी ओर से समझे बस पार्टी तो बनती है बोस। मैंने कहा ओक बेबी,ऑयज़ यु लाइक इ तो मिलते है शाम 7:00 बजे। शाम 6 बजे तक सारे काम निपटा कर होटेल सन एंड सेन्ड पहुँच गया, अवॉर्ड फंक्शन के आयोजक ने इसी होटेल में ही रूम बुक करवा दिया था तो जल्दी से फ़्रेश होकर तैयार हो गया। लिवाइस जीन और स्पायकर के व्हाइट टीशर्ट में बंदा किसी हीरो से कम नहीं लग रहा, आहहहा मिस तान्या इस आँखों के जादू से बचकर कहाँ जाओगी, प्रपोज़ मैं करने वाला हूँ पर हमें देखकर आप ही पहल कर दोगी। और नीचे आकर तान्या के लिए ली हुई गिफ़्ट,चॉकलेट और रेड़ रोज़ का गुलदस्ता सब रिसेप्स्टनिस को देकर बोला जब मैं मिस काल दूँ तो ये सारी चीज़ें टेबल तक पहुँचा देना प्लीज़ रिसेप्स्टनिस्ट ने खुश होकर बेस्ट लक सर कहते सारी चीज़ें पास में रख दी और मैं रिसेप्शन हाॅल में तान्या का इंतज़ार करने लगा।

तान्या का मेसेज आया जस्ट ओन द वे मिस्टर गौरव , नाउ लेटस रेडी फ़ॉर द सरप्राइज फ़ॉर मी मैं सोच में पड़े गया तान्या क्या सरप्राइज़ देने वाली होगी। कहीं वो भी तो प्रपोज़ करने की नहीं सोच रही। खैर इंतज़ार के सिवाय चारा नहीं था। इंतज़ार की घड़ीयाँ इतनी लंबी क्यूँ होती है रे..कभी घड़ी की ओर तो कभी रास्ते की ओर इधर-उधर तकते आज पहली बार नर्वस हो रहा था। हर रोज़ तान्या से घंटो चेटिंग करता था पर आज रुबरु होने के ख़याल से दिल में कुछ-कुछ हो रहा था कि रिसेप्शन का दरवाज़ा खुला, तान्या को बंद आँखों से भी पहचान लूँ,माई गॉड क्या लग रही थी, सोचा था उससे लाख गुना पाया। कोई इतना भी सुंदर हो सकता है क्या। 

पर सोच को ब्रेक लगाता एक नज़ारा मेरे पूरे अस्तित्व को झकझोर गया। ये किसका हाथ थामें आ रही थी तान्या, ईश्वर करे उसका भाई हो। हाँ कई बार ज़िक्र तो किया था मिहिर नाम था उसके भाई का। तान्या का दरवाज़े से मुझ तक पहुँचने के दरमियां चंद पलों में हज़ारों सवाल-जवाब आवाजाही करने लगे थे मेरे दिमाग में। मैं अपलक तान्या और उस अजनबी की जुड़ी हुई ऊँगलियों को शून्यमनस्क तक रहा था कि तान्या की चुटकी ने जगा दिया। हाय गौरव जी किसके ख़यालो में खोए हुए हो जनाब, एक नज़र इधर भी। मैं हक्का-बक्का सा हाथ जोड़े खड़ा हो गया ओह, हाय, वेलकम

तान्या तो गले ही लग गई मेरे, मैं हिचकिचाते गले मिला मन में एक ही गड़मथल लिए आख़िर ये कौन है जिसका हाथ थामे तान्या आई है। बहुत जल्द ही तान्या ने विस्फोट किया वेल, मिस्टर गौरव आप क्या समझते है सरप्राइज़ देने में आप ही माहिर है, हम भी कुछ ऐसे ही अंदाज़ रखते है ओके.. मीट माई फीयोंसे मिस्टर कथन मिश्रा, मैं कथन से बेइन्तहाँ प्यार करती हूँ, कल ही हमारी सगाई पक्की हुई है। मैं आपको आज ये खुश खबर देने ही वाली थी की आपने मुंबई आकर सरप्राइज़ कर दिया, तो सोचा अब रुबरु मिलवा कर ही सरप्राइज़ देती हूँ। कहो कैसा लगा? 

जब दिल में वेदना का बवंडर उठा हो तब मुँह पर हंसी खुशी के भाव लाना सच में इंसान की अदाकारी की दर्दनाक कसौटी होती है। आँखें आबशार बहाने को बेताब थी, दिल टूटकर बिखरने को मचल रहा था, खून की बूँद-बूँद जम रही थी पर तान्या के चेहरे की खुशी के आगे मेरी पीड़ा बेमायने थी मेरे लिए। कथन से बहुत ही अपनेपन से गले मिलकर विश किया और तान्या को बधाई देते वक्त एक नज़र रिसेप्स्टनिस्ट के उपर पड़ी जो मेरे दर्द को बखूबी महसूस करती मुझे महसूस हुई, एक हाथ से वो तान्या को देने के लिए रखी चीज़ें टेबल के पीछे छिपाने की कोशिश कर रही थी। मेरे हालात की गवाह की आँखें भी नम दिखी। मैं, तान्या और कथन रैस्टोरेंट की ओर चल दिए। मेरी तो भूख, प्यास दर्द की गर्द में खो गई थी। पल भर में रंगीनियों से रोशन जहाँ अंधकार की गर्ता में जा डूब रहा था, दुनिया दुश्मन लग रही थी और मन कर रहा था सब छोड़ छाड़कर दौड़ता हुआ निकल जाऊँ बिना मंज़िल के रास्ते पर, या खुद को तबाह कर लूँ। ऐसा लग रहा था मानों "इश्क में देर हो गई" के हीरो का किरदार मेरे भीतर घूस गया हो। एक-एक पीड़ा जो उस कहानी में लिखी थी वो भुगत रहा था मेरा दिल। तान्या और कथन के साथ हंस बोल तो रहा था पर ऐसा महसूस हो रहा था मानों खुद ही खुद के गाल पर थप्पड़ जड़ कर मुस्कुरा रहा हूँ।

तान्या ने कथन से कहा कथन तुम्हें पता है ये महाशय कौन है? बेस्ट सेलर बुक "इश्क में देर हो गई" के लेखक मिस्टर गौरव खन्ना, कथन खुशी से चिल्ला उठा ओहहह इश्क में देर हो गई के लेखक... मैंने मेरे प्रणय के तीसरे अनमने कोण से कहा, जी "इश्क में देर हो गई"।


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