इंतरनेट का दुनिया
इंतरनेट का दुनिया
हमारे समाज में बढ़ती विडम्बना यूं ही नहीं आई । भाई - भाई से बात नहीं करता , बेटा बाप से बात नहीं करता , पति पत्नी से बात नहीं करता । बच्चे स्कूली शिक्षा तो ग्रहण कर लेते है पर किसी से सही ठंग से बातें नहीं कर सकतें , कारण क्या है ? कुछ दिन पहले जब हमारे एक मुख्य यार्ड मास्टर पी सी पात्रों से एकाएक एक प्रोग्राम मे मुलाकात हुई और मै उनको पैर छुकर प्रणाम किया तो वो डर गये , और बोला क्या संजय इस युग में भी प्रणाम करते हो ? , देखो कोई देख लेगा तो मन ही मन सोचेगा ये बंदा गवार है । मैने कहा क्यों ना करु वो सम्मान आपको ? , आपने मुझे रेलवे की बहोत सारी चीजे सिखाई जब मै ट्रैनिंग मे आपके पास आया था सिखने । उनके डर ने मुझे सोचने के लिये मजबूर कर दिया आखिर हमारे समाज को हुआ क्या है । मेरे अनुसार हमारे समाज को मोबाइल फोबिया हो गयी । क्या औरत क्या मर्द सारा दिन वाट्सएप , फेसबुक , विडिओ काल । कुछ औरतें तो रात्रि के दो बजे तक वनलाइन रहती है , मै चुकी नाईट डयूटी मे था मै यु ही उसे मैसेज किया इतनी रात मे वाट्सएप मे क्या कर रही हो उसने जवाब दिया Boyfriend के साथ हु विडिओ काल पे मै हैरान हो गया ये कौन सा गुल खिला रही थी मुझे नहीं पता पर वो खुद शादीशुदा है । साहित्य समाज का दर्पण है प्रेमचंद , रामधारी सिंह दिनकर , फनीश्वरनाथ रेणु , धर्मवीर भारती , शरतचंद्र , भगवती चरण वर्मा , ये वे लोग थे जो अपने साहित्य के बल पर समाज मे वदलाव लाये पर आज साहित्य पर किसी नैजवान की नजर नहीं है सब कोई सोशल मीडिया में व्यस्त है । किसी को प्यार चाहिए तो किसी को दोस्त , किसी को गप मारने के लिए साथी चाहिए तो किसी को Boyfr या girlfriend सब मिलता है यहां । यहां सब बिकता है संस्कृति बिकती है , Emotion बिकता है , प्यार बिकता है । सोशल मिडिया इतनी हावी हो गयीं की 5 - 6 सालों मे लड़के लड़किया अपने लिये पत्नी और पति वाट्सएप और फेसबुक मे खोजेंगे और बच्चे भी सोशल मिडिया मे पैदा करेंगे । बच्चे बड़ो से बातें नही कर पाते कारण ये सारा दिन मोबाइल पे लगे रहते किसी से ना मिलते ना बातें करते बातें करने से बच्चे सिखते है , बातें करना । 2 - 3 साल के बच्चों पर भी हावी ये मोबाइल , खाना खायेगा तो मोबाइल देखकर , सोयेगा तो मोबाइल देखकर । समाज एक भंयकर दौर से गुजर रहा है ।