Sanjay Kumar Paul

Inspirational

5.0  

Sanjay Kumar Paul

Inspirational

छोटी सी प्रेम कहानी

छोटी सी प्रेम कहानी

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कॉल सेंटर के बाहर लम्‍बी लाइन लगी थी। नौकरी तो दस लोगों को मिलने वाली थी पर लम्‍बी कतार बता रही थी कि नौकरी की आशा में तीन सौ लोग लाइन में थे। शालिनी ने लोगो की बातचीत से ही अंदाजा लगा लिया था कि नौकरी का आवेदन करने वाले ज्‍यादा हैं। वह मन ही मन नर्वस हो रही थी कि इतने आँख वालों के बीच उस अंधी लड़की को कॉल सेंटर में नौकरी कैसे मिलेगी?

तभी Peon ने उसका नाम पुकारा और वह अपनी बहन स्‍नेहा के साथ अन्‍दर जाने लगी लेकिन Peon ने स्‍नेहा को अन्‍दर जाने से रोक दिया। स्‍नेहा ने बताना चाहा कि उसकी बहन अंधी है मगर शालिनी ने उसके हाथ को दबाते हुए इशारा करके रोक दिया और अकेले ही अन्‍दर जाने का मन बना लिया।

शालिनी इसी भ्रम में थी कि वह अंधी है तो क्‍या हुआ उसके पास शिक्षा की आँखें तो हैं मगर आज उसका भ्रम टूट गया। उसे कॉल सेंटर की नौकरी के लिए अनुपयोगी माना गया। वह वापस बस में अपने शहर जा रही थी। उसके आँसू रूकने का नाम नही ले रहे थे। वह स्‍नेहा से कह रही थी कि-

पिताजी ने अपना सारा पैसा मेरी पढ़ाई में लगा दिया। अब अगर मुझे नौकरी नही मिली तो दो वक्‍त की रोटी भी नसीब नहीं होगी।

उसकी ये सारी बातें उसी की सीट के पीछे बैठा राजू सुन रहा था। वह शालिनी के पड़ोस में रहता था और मन ही मन शालिनी को पसन्‍द करता था। मगर वह जानता था कि हीन भावना की शिकार शालिनी कभी उसकी जीवन संगिनी बनने को तैयार नहीं होगी। राजू को समझ में नही आ रहा था कि वह किस तरह शालिनी की मदद करे। सोचते-सोचते आखिर उसके दिमाग में एक खतरनाक विचार ने जन्‍म लिया। उसने घर आकर शालिनी से मुलाकात की और उससे स्‍पष्‍ट शब्‍दों में कहा कि-

मैं तुमसे प्‍यार करता हूँ। हालांकि मैं सुन्‍दर नही हूँ और शायद तुम्‍हारी आँखें होती तो तुम मुझे रिजेक्‍ट कर देतीं।

शालिनी की आँखों में आँसू आ गए। उसने कहा-

वो पागल होते है जो अपने चाहने वाले को रिजेक्‍ट कर देते है। पर राजू मैं तुमसे प्‍यार नहीं कर सकती। तुम अपने लिए कोई आँख वाली ढूंढ लो।

राजू निराश होकर चला गया। कुछ ही दिनों में उसे किसी शहर में Insurance Company में नौकरी मिल गई और वह गाँव छोड़कर चला गया।


एक दिन गाँव में कुछ NGO वाले आए। उनकी नज़र शालिनी पर गई तो उन्‍होंने उसे आशा बंधाई कि उसकी आँखें ठीक हो सकती हैं। हालांकि शालिनी को विश्‍वास नहीं हो रहा था, लेकिन NGO के लोगो के आश्‍वासन देने पर उसकी खुशी का ठिकाना न रहा।


अब शालिनी के पास आँखें थी। एक नहीं दो, जो कि उसकी सुन्‍दरता में चार चाँद लगा रहे थे। इस बार उसने एक M. N. C. कॉल सेंटर में अप्लाई किया और उसे आठ लाख के Annual Package की अच्‍छी नौकरी मिल गई। सबकुछ ठीक था, लेकिन अब उसे राजू की याद आ रही थी। उसने राजू को कई जगह तलाश किया। उसके घर पर भी पूछताछ की मगर राजू का कहीं पता नही चल रहा था।

दूसरी ओर शालिनी की माँ ने उसके लिए रिश्‍तों की तलाश शुरु कर दी थी पर शालिनी के दिल में तो राजू ही बसा था। शालिनी की तलाश ने अब एक मिशन का रूप ले लिया था। वह सोचती रहती थी कि जो लड़का एक अंधी लड़की को अपना बनाना चाहता हो उसका दिल कितना सुंदर होगा। वह राजू से मिलकर उसे सरप्राइज देना चाहती थी। वह राजू का हाथ पकड़ कर कहना चाहती थी कि राजू! चल शादी करतें हैं। पर इसके लिए राजू का मिलना भी तो जरुरी था। राजू की तलाश अब Google, Facebook, Twitter, WhatsApp से बदलकर प्रार्थना तक जा पहुंची थी।

एक दिन उसे उसी ब्लाइंड स्कूल के एक कार्यक्रम में चीफ गेस्‍ट बनने का मौका मिला जिसमें कभी वह खुद पढ़ा करती थी। वह स्‍नेहा को साथ लेकर स्‍कूल की सीढ़ीयां चढ़ रही थी तभी सीढ़ीयां उतर रहा एक student स्‍नेहा से टकरा कर गिर गया। शालिनी दौड़कर उसे उठाने में मदद करने लगी जो कि वास्‍तव में वही राजू था, जिसने किसी दिन शालिनी से अपने प्रेम का इज़हार किया था। जैसे ही स्‍नेहा की नज़र राजू पर पड़ी, उसके मुंह से निकला- राजू तुम?

राजू ने भी स्‍नेहा की आवाज़ पहचान ली, उसने कहा- स्‍नेहा तुम? तुम यहां क्‍या कर रही हो।

स्‍नेहा ने कहा- पहले ये बताइए कि आप यहां क्‍या कर रहे हैं?

राजू ने कहा- एक एक्‍सीडेंट में मेरी दोनो आँखें चली गई। इसलिए ब्रेल लिपी (Braille Script) सीख रहा हूँ।

शालिनी का तो दिमाग़ ही चकरा कर रह गया। वह मन ही मन सोचने लगी- “क्‍या यही राजू है। इतना काला, इतना बदसूरत और आँखें ना होने की वजह से डरावना भी तो लगता है।“


राजू ने स्‍नेहा से शालिनी के बारे में पूछा तो शालिनी ने तुरंत उसे इशारा किया कि उसके बारे में ना बताए। स्‍नेहा ने राजू से कहा कि- शालिनी तो नहीं आ पाई।

राजू ने थोड़ा उदास होकर पूछा, अच्‍छा। पर शालिनी को तो चीफ गेस्‍ट के रुप में इनवाइट किया गया था।

शालिनी ने स्‍नेहा को कुछ इशारे में समझाया। स्‍नेहा उसकी बात समझ गइ और उसने कहा कि- हां! इनवाइट किया था पर उसके आँखो के अन्‍धेपन की वजह से नहीं आ सकती। इसलिए मैं स्‍कूल मैनेजमेंट को मना करने आई हूं।

राजू की उदासी और गहरी हो गई। उसने स्‍नेहा से विदा ली और धीमे-धीमे स्‍कूल की सीढ़ियां उतरने लगा। उतरते हुए उसने अपना मोबाइल निकाल लिया था और उसमें कुछ नम्‍बर टटोलने लगा। उसे अपने से दूर जाते देख शालिनी ने राहत की सांस ली और स्‍नेहा से कहा कि- हमने झूठ तो बोल दिया पर वह हमारा पड़ोसी है। यह झूठ ज्‍यादा दिन नही चलने वाला।

शालिनी ने फैसला किया कि अब उसे चीफ गेस्‍ट नहीं बनना है वरना आज ही राजू को पूरा झूठ पता चल जाएगा। शालिनी फिर से स्‍नेहा के साथ सीढ़ियां उतरने लगी। उसने देखा कि राजू भी फोन पर गुस्‍से में किसी से बात करते हुए उतर रहा है। शालिनी ने स्‍नेहा को समझाया कि- दबे कदमों से उतरना, नहीं तो राजू हमारे कदमों की आहट से भी पहचान लेगा।

दोनों दबे कदमों से राजू के करीब से गुजरी मगर फोन पर चल रही बातचीत से शालिनी को झटका सा लगा। वह थोड़ा रूककर ध्‍यान से राजू की बातें सुनने लगी। राजू फोन पर NGO के लोगों को डांट रहा था कि शालिनी आज भी नहीं देख पा रही है। वह NGO वालों को ना जाने क्‍या क्‍या कहता जा रहा था। आखिर में उसके आँखो से आँसू निकल पड़े और NGO वालो को बद्दुआ देते हुए कहा- तुम लागों ने मेरी शालिनी की जिन्‍दगी खराब कर दी। काश! मेरे पास और आँखें होती तो मैं दोबारा उसे आँखें दान कर देता मगर इस बार तुम्‍हारे पास नहीं आता।

सारी बातें सुनकर शालिनी की आँखो से आँसू बह निकले, वह राजू से जाकर लिपट गई और माफ़ी माँगने लगी। उसने जो-जो झूठ स्‍नेहा से बुलवाया था, वह सब भी बता दिया।

राजू ने हँसकर कहा- अरे पगली। मैं तो जानता था कि आँखें मिलने पर तू मुझे रिजेक्‍ट कर देगी। इसीलिए तो मैं खुद ही तुझसे दूर चला आया। अब मुझे तेरी जरुरत नहीं है क्‍योंकि जब से आँखें तुझे दी है, तू मेरी आँखो में ही रहती है।

शालिनी रोते हुए राजू के गले लग गई। उसने कहा- पर राजू मुझे तो तेरी जरुरत है। शायद मैं सुन्‍दरता के मायने ही भूल गई थी, मुझे माफ़ कर दो।

शालिनी, राजू के साथ Blind School की सीढ़ियां चढ़ रही थी, क्‍योंकि उसे दुनिया के सामने एक ऐसे इंसान को लाना था जो अब उसकी नजर में देवता था।



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