कर्म का फल

कर्म का फल

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रोहित की मां बिमला देवी और पिता महेंद्र नाथ की अरेंज्ड मैरिज हुई थी. शादी के कुछ सालों तक तो सब ठीक था लेकिन शादी के 5 साल के बाद बिमला को पता चला कि महेंद्र का किसी और लड़की के साथ अफेयर है. जब बिमला को इस बात का पता चला तो बिमला और महेंद्र के बीच लड़ाईयां होने लगी. जल्द ही महेंद्र ने बिमला को छोड़ दिया और अपनी गर्लफ्रेंड के साथ शादी कर ली!


इस बात का बिमला पर इतना गहरा सदमा लगा कि वे हर वक़्त उदास रहने लगी. वे अपने आप को अंधेरे कमरे में बंद कर लेती थी और घंटों रोती थी. उस दिन के बाद रोहित को अपने पिता से नफरत हो गयी थी क्यूंकि उसके पिता ने अपने स्वार्थ के लिए रोहित को और उसके माँ को धोखा दिया. महेंद्र का अच्छा ख़ासा बिज़नेस था और इसलिए वो और उनकी दूसरी पत्नी अमरीका में जा कर बस गए. रोहित के दादा-दादी दिल्ली में रहते थे और वो भी अपने बेटे से नाराज़ थे लेकिन वो उससे बात ज़रूर करते थे क्यूंकि महेंद्र उन्हें हर महीने पैसे भेजते रहते थे.


समय बीतता गया और बिमला की हालत बद से बदतर हो गयी. उसका बहुत इलाज करवाया गया लेकिन वो डिप्रेशन में रहती थी. वो अपना रिश्ता टूटने के गम से बाहर ही नहीं निकल सकी. रोहित अब 20 साल का हो चूका था, रोहित अपने मां के साथ ही रह रहा था. इतने सालों तक बिमला ने नहीं बल्कि रोहित ने माँ का ख्याल रखा और इसका ज़िम्मेदार सिर्फ महेंद्र है. बिमला डिप्रेशन में सिर्फ महेंद्र की वजह से गयी और इस बीमारी से वे कभी उभर ही नहीं पाई. आज भी उनका इलाज चल रहा है. ना तो रोहित को माँ का अच्छे से प्यार मिला और ना ही रोहित अपनी पढाई पर ढंग से फोकस कर पाया.


खैर… एक दिन रोहित के दादा जी का फ़ोन आया और उन्होंने बताया कि महेंद्र की हालत बहुत खराब है. महेंद्र को कैंसर हो गया है और उसके दादा जी अगले हफ्ते उनसे मिलने अमरीका जा रहे है. दादा जी चाहते थे कि रोहित भी उनके साथ चले क्यूंकि वे ज़्यादा पढ़े लिखे नहीं है और उन्हें दूसरे मुल्क जाने से डर लग रहा था. रोहित जाना तो नहीं चाहता था लेकिन दादा जी की खातिर सोचा कि उनके साथ चले जाये!


रोहित जब अमरीका पहुंचा तो एक कैंसर हॉस्पिटल में महेंद्र का इलाज हो रहा था और महेंद्र की हालत काफी खराब थी. वहां जाकर रोहित को पता चला कि उसके पिता की दूसरी पत्नी उनकी बीमारी जानने के बाद उन्हें छोड़ कर किसी दूसरे शहर चली गयी और उसने धोखे से पिता की सारी संपत्ति अपने नाम करवा ली. महेंद्र का बिज़नेस भी डूब चूका था और बीमारी पर खर्चा भी बहुत हो रहा था. महेंद्र ने रोहित को अपने पास बुलाकर अपने किये की माफ़ी भी मांगी. महेंद्र की ये हालत देख कर रोहित समझ गया था कि ये उसकी माँ की बददुआ ही है जो इनकी ऐसी हालत है और रोहित मन में सोच रहा था कि वाकई में इंसान को अपने कर्मो का फल इसी जन्म में भुगतना पड़ता है.


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