इम्तहानभाग-4
इम्तहानभाग-4
उस रोज सोनाली की बारात आनी थी ।शाम हो गई थी ।बारात आधे घंटे में पहुंच जाएगी, ऐसी सूचना भी आ गई थी। सब लोग तैयारी में लगे थे ।मनीष भी दिनभर की भागदौड़ करके थक चुका था ।वह स्नान करके अपने कमरे में तैयार हो रहा था ।कामिनी चुपचाप देख रही थी। मनीष ने पूछा -"क्यों क्या देख रही हो ?"
"तुम्हारा कलर कंबीनेशन सही नहीं है ।"
"क्यों क्या गलत है ?"
"आज बारात है ,शाम है ,कोई डीप कलर पहनते।"
"उसने कहा मुझे डीप कलर नहीं पसंद है।"
कामिनी ने अजीब सा मुंह बना लिया ,फिर पूछी "शर्ट की ब्रांड क्या है ?"
"नहीं पता ,मॉल में पसंद आ गई तो ले लिया ।"
"हद हो गई कोई भी ले लिया ?"
"हां ।"
"कपड़े खरीदना और पहनना सीखो ।"
"मुझे यही पसंद है ,फिर भी तुम्हारी बात का ध्यान रखूंगा ।"
"अरे अरे यह परफ्यूम लगाओगे शाम में?"
"हां।"
"ये मत लगाओ ,रुको मैं लगा देती हूं।" उसने कोई तीखी सुगंध वाली परफ्यूम लगा दिया ।मनीष का मन उसकी बातों से दुखी तो हुआ पर उसने खुद खुद को सामान्य बनाए रखा।शादी के दौरान कई मौके पर मनीष ने कामिनी की बातों से खुद को अपमानित महसूस किया था |
सुबह बारात विदा होते ही मैरिज हॉल के संचालक ने कहा 2 घंटे में हॉल खाली कर दीजिए |सब का हिसाब किताब करते समय निकल गया |घर आने पर मेहमानों का जाने का सिलसिला जारी था ,सब की विदाई करना स्टेशन छोड़ना और लोगों को भेजने का इंतजाम देखता रहा मनीष |कामिनी अपने कमरे में बेखबर सो रही थी कौन आ रहा है, किसे जाना है किसी से कोई मतलब नहीं |शाम के 7:00 बजे मनीष को काम से थोड़ी राहत मिली तब तक कामिनी जाग गई थी |वह कमरे में आया ,सोफे पर बैठते ही बोला हो सके तो एक कप चाय पिला दो |कामिनी बाहर आकर आया को दो कप चाय भेजने को कह कर कमरे में आ गई |देखी मनीष बैठे-बैठे खर्राटे लेने लगा है |चाय आई तो उसमें जगाने की कोशिश की पर वह नहीं पीने की बात कह कर सोफे पर ही सो गया |उस रात घर के सारे लोग जल्दी सो गए, तो कामिनी ने अजय को फोन लगा लिया बातें होने लगी |अजय ने कहा -"आज तुम्हें वॉशरूम में नहीं जाना पड़ा कम्मू |"
"सुनो एक काम करो|"
"क्या?"
"वीडियो कॉल करो ,तुम्हे देखे बहुत दिन हो गए |जी भर कर देख लूं और तुम्हारे पति को भी देख लूं |"कामिनी वीडियो कॉल कर दी नीली नाइटी में बहुत खूबसूरत लग रही हो | कामिनी वीडियो कॉल पर लगातार बातें हो रही थी |एक दो बार करवट बदलने में मनीष की नींद खुली, मगर कुछ समझ ना सका |सुबह के 3:00 बज रहे थे मनीष की नींद खुल गई |उसने देखा कामिनी हँस-हँसकर किसी से बात कर रही है एक बार मन किया बोले लाइट बंद कर दो | वह बोलने वाला था कि कानों में आवाज पड़ी- "मैं तुम्हारे बिन नहीं रह सकती ...."
मनीष चौकन्ना हो गया सोने की एक्टिंग करता रहा।
"मेरा तो मन करता है कहीं भाग जाऊं अज्जू। यह घर मेरे लायक नहीं ,यहाँ तो सब मुझे सर्कस के लोग लगते हैं ।" उधर की आवाज सुनाई नहीं दे रही थी फिर भी बातें समझ में आ रही थी। सुबह 4:00 बजे कामिनी बोली "अब थोड़ा सो लेती हूं ।थोड़ी देर में कुंभकरण भी जाग जाएगा ।" किस करने की कई आवाज़ें पिघले शीशे की तरह मनीष के कानों में पड़ी । कामिनी लाइट बंद की और सो गई ।मनीष खुद को संभाल नहीं पा रहा था। सिर बहुत भारी हो रहा था ।क्या करें? क्या नहीं ?वह सोच नहीं पा रहा था । आँसू चेहरा पर कर रहे थे। किस दोष की सजा है यह ?..... कुछ देर उहापोह की स्थिति में रहा ,फिर धीरे धीरे वह खुद इस परिस्थिति से बाहर निकलने की तरकीब सोचने लगा ।कुछ सोचा और शांत हो गया। सुबह सब सामान्य था । दोनों साथ चाय पिए 9:00 बजे वह कामिनी से बोला कुछ जरूरी काम है, मैं बाहर जा रहा हूँ ।।3 घंटे बाद लौटा उसने आते ही सभी परिवार को हॉल में बुलाया ।सब आ गए, और कामिनी भी .....उसके हाथ में तीन-चार पेज का कोई फॉर्म सा दिख रहा था । वह बिल्कुल शांत था ।उसने कामनी की तरफ देखा , कामिनी आज पूरे परिवार के सामने मैं कहता हूं ...मैंने तुम्हें ह्रदय से पत्नी माना है तुम्हारे सिवा मेरे जीवन में कोई और लड़की नहीं है ।क्या मेरी यही बात तुम मेरे लिए दोहरा सकती हो ? कामिनी उसकी बात दोहराने के लिए मुंह खोलती, इसके पूर्व ही उसने कहा -तुम्हें एक और छूट देता हूं अगर तुम्हारी लाइफ में कोई पुरुष है तो सबके सामने बस इतना कह दो आज से किसी दूसरे के साथ तुम्हारा रिश्ता नहीं होगा। कामिनी गुस्से से आंखें तरेर कर बोली... "तुम मुझ पर इल्जाम लगा रहे हो ? "
"नहीं कोई इल्जाम नहीं ।बस कहने को कह रहा हूं ।"
"तुम इतनी घटिया सोच सकते हो? मैं नहीं सोची थी ।मेरी जूती भी कुछ नहीं दोहराएंगी ।"
घर वाले परेशान हो गए ।पिता ने पूछा आखिर बात क्या है बेटा? उसने हाथ का पकड़ा पेपर पिता की ओर बढ़ा दिया ।
"यह क्या है ?"
"कॉल डिटेल .....पापा पूरे 1 माह का ।"
कामिनी का चेहरा सफेद पड़ गया ,मगर हार ना मानी कामिनी।
सासू मां कामिनी से मोबाइल छीनना चाही... देखूं आज रात कौन और कब फोन करता है ! मोबाइल छीनने में धक्का-मुक्की होने लगी सासू मां गिर गई ।हाथ फैक्चर हो गया ।मनीष मोबाइल मांगा ,तो उसने मोबाइल जोर से पटक दिया ।मोबाइल चूर चूर हो गया। सिम उठाना चाहा तो सिम को चबाकर निकल गई। मनीष ने कहा , इससे तुम्हारा पाप छुपेगा नहीं ।कामिनी यह कॉल डिटेल्स मेरे पास है ।
कामिनी ने पेपर छीनने की कोशिश की, दोनों के बीच हाथापाई होने लगी कामिनी जोर से एक थप्पड़ लगा दी मनीष को, मनीष की गुस्से में आग बबूला हो गया और दोनों के बीच हाथापाई होने लगी ।सबने बीच बचाव किया और कामिनी के घर पर इस बात की सूचना दे दी । घर वाले आए ,तो कामिनी रो-रो कर कही... कैसे परिवार में मेरी शादी कर दी मां? इन लोगों ने मेरा मोबाइल तोड़ दिया । सिम तोड़ कर फेंक दिया । कहीं बात नहीं करने देते। ये लोग रोज मुझे मारते हैं ।देखो कल भी कितना मारा है ,कई जगह हाथ छील गए हैं ।कई जगह काले निशान पड़े हैं। यह लोग मुझे जान से मार डालेंगे दहेज के लोभी हैं बोलते हैं दो लाख रूपया मांग कर लाओ, नहीं तो जान से मार डालेंगे।घरवाले बेटी की हालत देखकर परेशान हो गए और कामिनी की ही बात सुने, ससुराल वालों को जेल भेजने की धमकी देकर बेटी को साथ लेकर आ गए। घर आकर कामिनी बहन के मोबाइल से अजय को फोन की... "मैं अपने पति को छोड़ कर आ गई हूं ,अब तलाक ले लूंगी।"
अजय खुश हो गया ।"कामिनी मेरा मन झूम रहा है । ऐसा करो शाम गंगा आरती पर तुलसी घाट आओ। तुम्हारी आजादी का जश्न मनाते हैं।" अजय बहुत खुश था। अपने पसंद की वाइट शर्ट ब्लैक जींस, ब्लैक शूज और बाइक लेकर गंगा घाट के लिए निकल पड़ा। होंठों को गोल किया और मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू आ चली आ ....के धुन सिटी में बजाने लगा। खुद वो बाजीगर समझ रहा था क्योंकि एक हारी बाजी जीत गया था। बनारस की व्यस्त सड़कों पर तेज रफ्तार बाइक चला रहा था , सामने से आते तेज रफ्तार एक ट्रक से उसने बचने की कोशिश की लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया ट्रक उसे और बाइक को रौंदती हुई पार हो गई।