हसीन यादें
हसीन यादें
बाहर बारिश हो रही थी और ठंडी हवा के झोंके तन मन में एक नया उत्साह जगा रहे थे। रमा भी इन सबसे अछूती न रह पाई। चाय का प्याला उठाए बाहर बालकनी में आ बैठी। पीछे पीछे पति राजेश भी खुद को उस रोमांचक मौसम का आनंद लेने से न रोक पाए। बालकनी में एक दूसरे से नजरें मिलते ही दोनों खुद को जिन्दगी के पुराने लम्हों में खोने से न रोक पाए और इसी के साथ दोनों के चेहरों पर एक प्यारी सी मुस्कान बिखर आई।
कालेज पूूरा होतेे ही रमा केे बाबू जी ने राजेश के पिता जी से मिलकर दोनों की शादी तय कर दी।रमा और राजेश को आपस मे मिलकर ज्यादा बात करने का मौका ही नहीं मिला। लेकिन राजेश का मन रमा से मिलने को बेताब था। बस इसीलिए एक दिन रमा के घर फोन लगा डाला। फोन रमा की माँ ने उठाया तो उधर से कोई आवाज न आई। ऐसा एक बार नहीं अनेको बार हुआ। अब अगली बार फोन बजा तो माँ ने झुंझला कर रमा को उठाने को बोला। दूसरी तरफ से राजेश ने मिलने को कहा। रमा परेशान हो उठी, एक तरफ नया नया रिश्ता है, मना करने पर कहीं राजेश बुरा न मान ले और दूसरी तरफ घर के हालात ऐसे थे कि किसी को कुछ बता भी तो नहीं सकती थी। खैर खुद भी तो दिल के हाथों मजबूर थी,बस इसीलिए मिलने को तैयार हो गई।
तय दिन माँ को सहेली से मिलने का बोलकर घर से निकल पडी। मन मे होने वाले जीवनसाथी को मिलने की एक अलग ही उमंग थी। एक रैस्टोरैंट मे बैठकर दोनों ने जीभर कर बाते की। एक दूसरे की आँखों में गुम समय का ध्यान भी न रहा। होश आई तो पता चला बहुत देर हो चुकी थी। माँ मेरा इंतजार कर रही होगी, बस यह सोच रमा बाहर की ओर भागी लेकिन बाहर तो बारिश हो रही थी।राजेश ने उसे रूकने को बहुत कहा परन्तु मन मेंं पकड़े जाने के भय के आगे कुछ सोच ही नहीं पा रही थी। आखिर राजेश उसे घर के पास छोडने को तैयार हुआ। चलने से पहले राजेश ने अपनी जैकेट उतार रमा को पहनने को दी और फिर दोनों बारिश में भीगते घर के पास पँहुचे। गली के मोड से पहले ही रमा बाइक से उतर भागकर अपने घर चली गई।
माँ बाहर दरवाजे पर खडी उसकी राह देख रही थी। रमा को देखते ही मुस्कुराने लगी। रमा आँखें झुकाए भागकर अपने कमरे में चली गई। जैसे ही सामने शीशे पर नजर पडी सिर पकड़ कर बैठ गई।जल्दबाजी में वह राजेश को उसकी जैकेट वापस करना तो भूल ही गई और फिर यह जैकेट तो वही हैं जो राजेश पहली बार उनके घर पहनकर आए थे। अब रमा को समझ आ चुका था आखिर माँ उसे देखकर यूं मुस्कुरा क्यों रही थी। उसकी चोरी पकडी जा चुकी थी। बाहर माँ आवाजें लगा रही थी और इधर रमा सबका सामना करने की हिम्मत जुटा रही थी।
दूसरी तरफ रमा को गली के मोड पर छोडते ही राजेश को अपनी जैकेट का ध्यान आया। रमा अकेली सबका सामना कैसे करेगी बस यही सोच रमा के घर चला आया और माँ को सारा सच बता दिया। माँ ने रमा को आवाज लगा ड्राइंग रूम में आने को बोला लेकिन रमा बहुत घबरा रही थी।आखिर माँ खुद उसे हाथ पकडकर ले आई। जहां राजेश को सोफे पर बैठा देख रमा सकपका गई वहीं परिवार के अन्य सदस्य हंसने लगे।
अभी राजेश व रमा की शादी को १५ साल हो चुके है पर बीते हुए जिन्दगी के उन हसीन लम्हों की यादें आज भी उनके मन में तरोताज़ा हैं जिनकी याद आते ही चेहरे पर मुस्कान अपने आप बिखर आती हैं।