हनीमून
हनीमून
"सात सालों की तपस्या और इंतज़ार के बाद नंदिनी और रौशन का रिश्ता आखिर विवाह के पवित्र मंडप तक पहुँच पाया था।
ऐसे में दोनों का प्यार सफल हो जाना मन की मुराद पूरी होने से कम नहीं था। एक - दूसरे की बाहों में खोए हुए दोनों पहुँचे अपने हनीमून के लिए मनाती।
"मनोरम घाटियों में, दिलकश नज़ारों के बीच,नै सर्गिक सौन्दर्य के सानिध्य में हर पल जैसे और भी निखर कर हसीन बन गया था। प्यार के मदहोश लम्हों के साथ हर नवविवाहित जोड़े की तरह नंदिनी और रौशन भी यहाँ गुज़रते हर यादगार व़क्त को मन में सहेजकर रख लेना चाहते थे।
"मनाली के साथ लाहौल, रोहतांग और सोलन वैली भी आने वालों को बेहद आकर्षित करता है। एक हफ्ते की इस हनीमून पैकेज में दोनों ने लगभग हर मुख्य जगह का दौरा कर बहुत रोमांचित हुए नंदिनी और रौशन।
"सोलन वैली में नंदिनी ने पैराग्लाइडिंग भी की। हालांकि, रौशन को ऊँचाई से डर लगता है इसलिए उसने पैराग्लाइडिंग नहीं किया। रौशन इसके पक्ष में भी नहीं था की नंदिनी पैराग्लाइडिंग करे। लेकिन, नंदिनी इन वादियों को और करीब से देखने के रोमांच से भरी हुई थी और बड़े जोश से उसने पैराग्लाइडिंग का लुफ्त उठाया।
"छठे दिन मनाली शहर ही घुमना रह गया था। और नंदिनी मनाली के मुख्य माल रोड़ से सबके लिए खरीददारी करने की तैयारी करके बैठी थी। वैसे भी वह लाहौल से काफी खरीददारी थोडा़ कहकर कर चुकी थी। साथ लाए दो बैग अब चार होने वाले थे फिर भी तोहफ़ों के नाम पर और यादगार चीज़ो के नाम पर काफ़ी कुछ खरीदा जाना बाकी था।
"रौशन ने कहा भी, मैं अभी से पति से ज्यादा खुद को कुली बनते हुए देख रहा हूँ। मैं नहीं ढो सकता इतना सामान तुम खुद सम्भालना। हर जगह बैग ही गिनता रह जाऊंगा।
"नंदिनी ने हंसते हुए कहा, कौन सा सर पर रखकर चलना है जी। टैक्सी और बस है ना ढोने के लिए सामान।
"मनाली के हिडिम्बा माता मन्दिर और माल रोड पर घूमते- टहलते और खरीददारी करते दस बज गए रात के। होटल लौटकर पैकिंग करते हुए लगभग आधी रात हो गई।
"रौशन जाने से पहले मनाली शहर की कशिश भरी खूबसूरती को चाँदनी रात की छिटकती रौशनी में निहारते हुए नंदिनी को आवाज़ दे रहा था। लेकिन वो सो चुकी थी थककर।
"अगली सुबह कुल्लू से बस पकड़नी थी क्योंकि, नंदिनी कुल्लू से मनाली के रास्ते में होने वाली राफ्टिंग का मज़ा लेने का मन बनाकर बैठी थी। रौशन का ज़रा भी मन नहीं था राफ्टिंग का। उसे लहरों से डर लगता था। लेकिन, नंदिनी की बहुत इच्छा थी राफ्टिंग करने की। वह लौटने से पहले हर रोमांच का पूरा आनंद उठाना चाहती थी।
"जहाँ से राफ्टिंग शुरु होती है वहां से टैक्सी वाले सामान राफ्टिंग के छोर पर जाकर खड़े रहकर इंतज़ार करते हैं। नंदिनी और रौशन का सामान लेकर भी टैक्सी वाला चला गया आगे।
"पार्वती नदी की तेज़ जलधारा में राफ्टिंग बोट उछलती हुई आगे बढ़ने लगी। पहाड़ी नदियों में रेत नहीं होता पत्थर होते हैं।
"लहरों के साथ लहराती और खिलखिलाती नंदिनी को रौशन बड़े सुकून से देख कर मुस्कुरा रहा था।
ऐसे में किसी अनहोनी का विचार दूर - दूर तक कौन कर सकता था। लेकिन, लहरों की तरह हालात भी हमसे ऊपर उठ जाते हैं और हम सिर्फ देखते रह जाते हैं।
"एक तेज लहर के साथ बोट उछलकर बड़े पत्थर से टकराई और सभी पार्वती नदी में अनियंत्रित से बहने लगे। और अचानक.....
"कुछ घंटों बाद जब नंदिनी को होश आया वह कुल्लू के एक अस्पताल में थी। उसे काफी चोटें आई थी और यहाँ वहां से जिस्म घायल था। होश आते ही नंदिनी ने अपने पति रौशन के बारे में पूछा पास खड़े डाॅक्टर से।
"डाॅक्टर ने बहुत मायूसी के साथ बताया कि, बड़े चट्टान से टकराकर आपके पति की मौके पर ही मौत हो गई थी। हमारे पास उनका मृत शरीर ही लाया गया था। यह कहकर डाॅक्टर ने सामने के स्टैक्चर पर सफेद चादर से ढके मृत शरीर की तरफ इशारा किया।
"यह सुनकर नंदिनी का दिल ओ दिमाग सुन्न हो गया और वो फिर से बेहोश हो गई।
"कुछ घंटों बाद, नंदिनी अपने लुट चुके सुहाग के साथ रोती और विलाप करती हुई एम्बुलेंस में रखे रौशन के मृत शरीर के साथ लौट रही थी यह प्रार्थनाएँ करते हुए कि, हे ईश्वर ऐसा हनीमून किसी का ना हो।

