हक की खुशी!
हक की खुशी!
घर में प्रवेश करती हुई बेटी का उतरा मुँह देखकर माॅ॑ ने प्रश्न किया, "कुछ परेशान लग रही हो मौली?"
"कुछ खास नहीं माँ! वर्क प्रेशर है, मार्च का महीना है तो ईयर एंडिंग के कारण वर्क लोड बढ़ जाता है।" मौली बोली
माँ तो माॅ॑ ही ठहरी! ऐसी ही होती हैं माॅ॑, बच्चा परेशान हुआ नहीं कि उन्हें सबसे पहले पता चल जाता है। थोड़ी देर बाद माँ चाय-बिस्कुट लेकर मौली के रूम में पहुंची।
मौली बिना कपड़े बदले अपनी टेबल चेयर पर बैठी हुई थी, अपने ख्यालों में इस कदर गुम थी कि माँ का आना उसे पता ही नहीं चला।
माँ ने चाय टेबल पर रख उसका माथा प्यार से सहलाते हुए पूछा ,"क्या बात है, बेटी? मुझे बताओ, शायद कुछ मदद कर पाऊँ।"
मौली दो मिनट में हाथ-मुँह धोकर कपड़े बदलकर आ गयी।
चाय का घूंट भरते हुए बोली, "माँ, परेशानी ये है कि एक प्रोजेक्ट के लिए मैं महीने भर से लगकर काम कर रही थी।कल ही मैंने वो पूरा किया और कल रात भर जागकर उसका प्रेजेंटेशन बनाया था।"
"हाँ बेटी, मुझे पता है। उसके लिए तुमने दिन-रात एक कर दिए।"
"माँ, बॉस चाहते हैं कि क्लाइंट के सामने उसे उनका चहेता रोहन प्रस्तुत करे।"
"ऐसे-कैसे ! क्यों भला?"
"माँ, कल कंपनी के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स और क्लाइंट के सामने प्रेजेंटेशन करना है। बॉस का ये सोचना है कि रोहन जो मेरे साथ मेरे ही समकक्ष पद पर कार्य करता है वो मेरा किया गया काम बेहतर प्रस्तुत कर पायेगा , पार्शिअलिटी( पक्षपात) कर रहे हैं क्योंकि इस का सम्बन्ध प्रमोशन से भी है। वे कहते हैं कि तुम लड़की हो तुम कल को शादी करके चली जाओगी। रोहन तो यहीं रहेगा, उसे प्रमोशन की ज्यादा ज़रूरत है।"
"यह तो बहुत ख़राब बात है! इस के खिलाफ़ तुम्हें आवाज़ उठानी ही होगी। सरकार के नियमों के अनुसार हर कंपनी में महिला शिकायत सेल होता है जिसमें वह अपने वर्कप्लेस पर हुए गलत बर्ताव के बारे में अपनी कम्प्लेंट दर्ज़ करा सकती है।"
"लेकिन माँ, बॉस नाराज़ हो जायेंगे।"
"वो तो वैसे भी तुमसे सही बर्ताव नहीं कर रहे हैं। तुम्हारे कार्य का क्रेडिट किसी और को दिलवाना चाहते हैं।"
अगले दिन मौली ने अपनी शिकायत (कम्प्लेंट) लिखवाई। ऑफिसर ऑन ड्यूटी ने मौली से आज की मीटिंग को अटेंड करने के लिए कहा। जैसे ही प्रेजेंटेशन देने का समय आया, बॉस ने रोहन को इशारा किया। बॉस ने सबके सामने रोहन का परिचय देते हुए कहा कि रोहन ने प्रोजेक्ट पर हफ़्तों दिनों रात मेहनत कर पूरा किया है।
वो पल मौली के लिए निर्णायक पल था! इस लम्हा यदि हिम्मत नहीं कर पाई, आज और अभी नहीं तो फिर कभी नहीं!
रोहन प्रेजेंटेशन प्रस्तुत करने उठा, तभी मौली ने अपनी चेयर से खड़े होकर सबका अभिवादन कर कहा कि प्रोजेक्ट पर उसने कार्य किया है। बॉस को ये आशा नहीं थी कि मौली ऐसा कुछ करेगी तो वह सकपका कर बोले कि थोड़ी डाटा-हैंडलिंग मौली ने की है, रोहन ने पूरा वर्क किया है।
तभी मीटिंग रूम में महिला शिकायत सेल के ऑफिसर्स आ गए।
उन्होंने बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स को सभी कुछ विस्तार से बताया। बॉस को तुरंत प्रभाव से टर्मिनेट किया गया और रोहन को भी सस्पेंशन आर्डर मिला।
फिर मौली ने पूर्ण आत्मविश्वास के साथ अपना प्रेजेंटेशन दिया। मौली के कार्य एवं काम के प्रति उसकी लगन से क्लाइंट और बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स काफी प्रसन्न हुए।
मौली को प्रमोशन मिला और क्लाइंट के जाने के बाद पूरे ऑफिस ने मौली को बधाई दी कि उसने अन्याय का विरोध किया, अपने लिए आवाज़ उठाई।
घर जाकर माँ को शुक्रिया कहते हुए आज का पूरा घटनाक्रम मौली ने बताया, माँ ने बेटी को गले लगा लिया और वो पल बेहद खुशनुमा थे मौली और उसकी माॅ॑ दोनों के लिए आखिरकार मौली को उसके हक की खुशी मिली थी आज!
इसके बाद मौली कभी रुकी नहीं, गलत के आगे झुकी नहीं! ज़िन्दगी भर के लिए वो पल, वो लम्हे मिसाल के तौर पर याद रहे उसे और जब भी वो कमजोर पड़ी या हिम्मत की उसे जरूरत पड़ी उसका हौसला बढ़ाते रहे...
दोस्तों, कभी-कभी ज़िन्दगी में कुछ पल ऐसे निर्णायक होते हैं कि यदि तभी त्वरित एक्शन लें लिया तो ही बात बनती है, वो लम्हे ज़िन्दगी के लिए निर्णायक सिद्ध होते हैं, हमारी आने वाली ज़िन्दगी को निर्धारित करने में सहायक साबित हो जाते हैं। मेरी इस कहानी की नायिका मौली ने समय रहते उसी निर्णायक पल में सही फैसला लिया और अपनी आवाज़ पक्षपात के खिलाफ उठाई। रचना पसंद आई हो तो कृपया लाइक और शेयर करें। आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा।
धन्यवाद।
