हाऊ टू टॉक ?
हाऊ टू टॉक ?
"अरे,तुम यह क्या कर रहे हो! इसे ऐसे कर लो, जल्दी हो जाएगा।"
"बस शुरू हो गया तुम्हारा ज्ञान देने वाला काम! ये ना करो......ऐसे करो......... वैसे न करो...आज छुट्टी वाला दिन है कम से कम तो मुझे शांत रहने दो। हर बात में टोका टाकी..." मेरे मुड़ते ही उसका बुदबुदाना शुरू हुआ। 'हज़ारों तरह की बातें और तरह तरह के सवाल....'
आजकल स्मार्ट फ़ोन से दुनिया जैसे मुट्ठी में आ गयी है...एक क्लिक पर दुनिया की हर चीज़ हाज़िर हो जाती है।फिर क्या बोलना और क्यों बातें करना? क्यों नही इरिटेट होना? इस नयी जनरेशन के लोग तो बातें करने और बतियाने को टाइम वेस्ट ही समझते हैं ।
आज भी घर मे ऐसा ही कुछ आर्ग्युमेंट हुआ। मुझे बातों बातों में मूवी की पर्ल पद्मसी की याद आयी जहाँ बच्चें बात बेबात उसकी हँसी उड़ाते थे।छोटे बच्चों को माँ उन्हें बोलना सीखाती है।और यही बच्चें कुछ बड़े होने पर उसी को व्हाट टू टॉक? हाऊ टू टॉक? और व्हेन टू टॉक सिखाने लगाते है...
लगता है जैसे वक़्त बदल गया है, नही?
