Meeta Joshi

Tragedy Inspirational

4.5  

Meeta Joshi

Tragedy Inspirational

हादसा

हादसा

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"अखिल,मुझे समझ नहीं आता,इतना भी क्या जरूरी है तुम्हारा जाना!"


"तुम्हें पता है ना पिछले दस-साल से मैं हर साल इस समय निकल जाता हूँ।मैंने तुम्हें शादी से पहले भी बताया था और पिछले दो साल से तुम देख भी रही हो।"


"हाँ कहा था आपने और देख भी रही हूँ,मुझे हनीमून के नाम पर पांँच दिन का टूर करवा,किला जीत लिया।उसके बाद....शादी को छः महीने भी नहीं बीते थे कि दोस्तों के साथ सालों की रस्म निभाने चले गए।"


"देखो रीना बहस का कोई फायदा नहीं।दोस्तों के साथ जाना मेरा अपना शौक भी है।हम ऐसी-ऐसी जगह जाते हैं,एडवेंचरस् टूर करते हैं जो कि परिवार के साथ सम्भव नहीं।रोज की थकान भरी ज़िन्दगी के बाद,साल भर में ये कुछ दिन ही होते हैं जहांँ दोस्तों के साथ मुझे अपनी पसंद की जगह जाकर रिलैक्स-फील होता है।"


"कल तक बात दूसरी थी।मम्मी-पापा की उम्र बढ़ रही है।हम भी अब दो से तीन हो गए हैं।सब कुछ अकेले मैनेज करना मुश्किल होता है,इस साल नहीं जाओगे तो कोई आफत नहीं आ जाएगी।एक-दो साल बाद फिर चले जाना।मैं मना नहीं कर रही पर समय के साथ बदलना तो पड़ेगा ना!"


अखिल रीना की एक सुनने को तैयार न हुआ और अपना रिजर्वेशन करवा,वो रवाना हो लिए।रीना कुढ़ती रही।लेकिन जानती थी अब-जब जा ही रहे हैं तो नराज कर भेजने से अच्छा है,हँसी-खुशी विदा किया जाए।


"फ़ोन करते रहना अखिल और सावधानी बरतना।अब तुम अकेले नहीं हो,हम भी तुम्हारी जिम्मेदारी का हिस्सा हैं।फ़ोन कर सूचना देते रहना" और वही हुआ।अखिल जहाँ-जहाँ रुकता दोस्तों के साथ ली फ़ोटो-वीडियो भेजता रहता।


"रीना कल हमने बहुत लंबी ट्रैकिंग की।वीडियो भेजा था। देखा तुमने!मेरे दोस्त अमन के तो डर के मारे रौंगटे खड़े हो गए।मैंने सबसे कम समय में पूरी की।"


"देखा था अखिल लेकिन डर के मारे थोड़ा ही देख पाई।इतने दुस्साहस की क्या जरूरत है,घूमने गए हैं,शौक पूरे कर जल्दी वापस आइये।मम्मी-पापा भी चिंता कर रहे हैं।"


अखिल पर तो साहसिक यात्राओं का नशा सवार था।


"अच्छा सुनो अब शायद दो-दिन, मैं फोन ना कर पाऊँ।जहाँ हम जा रहे हैं,समुद्री किनारा है जो कि पहाड़ियों के बीच में है।वहाँ नेटवर्क प्रॉब्लम है।वीडियो भेजूँगा, जब भी फोन नेटवर्क पकड़ेगा आ जाएगा।"


रीना मन ही मन घुटती रही पर उसके हाथ में कुछ न था।


"बहुत ज़िद्दी है बेटा।बचपन से इसका यही हाल है ।"


"सब ठीक है माँ पर उम्र और जिम्मेदारी के हिसाब से धीरे-धीरे बदल जाना चाहिए।दो दिन बात नहीं हो पाएगी।पहाड़ियों से घिरा कोई समुद्री एरिया है वहाँ जा रहे हैं।अब तो निकल गए होंगे।कह रहे थे अब तुम्हारे इंतजार की सीमा जल्द ही खत्म होने वाली है,बस वहीं से सीधे घर को निकल आएँगे।"


अकेले बैठे रीना के दिल में तरह-तरह के विचार आ रहे थे।कुछ घबराहट सी थी।दिन से अखिल का एक वीडियो अपलोड नहीं हो पा रहा था।देखा तो एक वीडियो पूरा आ गया था।समुद्र के पानी में नंगे -बदन नहाते हुए का वीडियो था।शायद एक हाथ से वीडियो बनाई जा रही थी।पानी का बहाव और उसका ठंडापन महसूस किया जा सकता था।शायद ठंडा पानी इतनी तेज बहाव के साथ आ रहा था कि एक लहर के निकलते ही वह सुन्न पड़ जाता,हिम्मत कर मुँह पोंछता।बोल नहीं पा रहा था,कोई साथ नहीं दिखाई दिया ,दूर तक पानी ही पानी था।उसे देख रीना बेचैन हो उठी उसके बाद वीडियो ब्लर्रर हो गया....।


बेचैन रीना अखिल को फोन घुमाती रही।मन कर रहा था अभी वहाँ पहुँच,उसे खींच कर ले आए।दो-दिन उससे कोई संपर्क नहीं हो पाया।जब तीसरे दिन भी उसका फ़ोन नहीं मिला तो पुलिस की सहायता से वहाँ मैसेज किया गया। कलेक्टर के आदेश पर उस क्षेत्र का चप्पा-चप्पा छाना गया लेकिन किसी होटल में,उस एरिये में कहीं उसका कोई नामो- निशान नहीं मिला।वीडियो के आधार पर पानी की उस जगह गोताखोरों को भेज,ढूंँढा गया।

दोस्तों से पूछताछ में पता चला "हमारे मना करने पर एक दिन के लिए हमे छोड़ आगे निकल गया था,कल मिलने का वादा कर।"

दिन बीतने लगे,हर सम्भव प्रयास किये गए पर कुछ हासिल न हुआ।रीना को विश्वास था अखिल जरूर आएगा। देखते ही देखते एक महीना बीत गया।अचानक वहाँ से फ़ोन आया।एक लाश मिली है।यही कोई महीने भर पुरानी होगी,ठंड के कारण चेहरा पहचानना मुश्किल है।आना होगा।बुजुर्ग माँ-बाप की स्थिति ठीक न थी।रीना उसका पता लगाने बेसुद सी चल दी जब लाश देखी तो जान में जान आई,"नहीं ये अखिल नहीं....।"

शायद ऐसे ही किसी रीना का अखिल होगा।पुलिस की सहायता से और भी ऊपरी एप्रोच लगा,जगह-जगह तफ़्तीश की गई पर व्यर्थ गया।रीना को विश्वास था अखिल वादा कर गया है,जरूर आएगा।


इंसान जब हालात से हार जाता है, तो पूजा-पाठ,मंत्र-तंत्र सब याद आने लगते है।एक महाराज ने बताया फलानी जगह की उस दिशा में वो मिलेगा।न चाहते हुए भी एक समय ऐसा आता है कि इंसान जिन बातों पर विश्वास नहीं करता उसपर भी यकीन करने लगता है।अचानक एक दिन पुलिस के फ़ोन से उस जगह का पता किया गया।कोई छोटा सा गाँव,जहाँ थोड़ी सी आबादी थी।पानी की गहराई कम होने की वजह से अक्सर पानी के साथ बहती लाशें वहाँ आकर रुक जाती हैं।पता चला अभी पिछले दो महीने से वहाँ ऐसी कोई वारदात नहीं हुई है।


निराश रीना वापस लौट आई।हताश थी,निराश थी पर दिल के किसी कोने में उसका इंतजार था।वो जरूर वापिस आएगा।समय बीतने लगा,सभी दिलासा देते,"अब उम्मीद छोड़,आगे बढ़।"

"मैं आने वाला हूँ" का विश्वास उसके कदम रोक देता।बुजुर्ग माता-पिता कुछ कहने-सुनने लायक न थे।


आज रह-रह कर रीना को अखिल का खयाल बेचैन कर रहा था।पता चला,उसी गाँव में दो-तीन जने मिले हैं ।शिनाख्त के लिए आना होगा।भाई की सहायता से वो उसी गाँव में दुबारा पहुँची,पूरे विश्वास के साथ कि अखिल उन चारों में से कोई नहीं होगा....चेहरा पानी और पत्थर की वजह से पहचानने लायक न था।पर पत्नी का दिल ,देखते ही फफक पड़ी,"तुमने कहा था तुम जल्द ही आ रहे हो। इस तरह से अपनी जिम्मेदारी से मुँह मोड़ तुम नहीं जा सकते।"


जब माँ के पास आई गले लग बिलख पड़ी।इतने समय से शांत माँ जिसने बहू की तकलीफ के आगे अपना दर्द दफन कर रखा था बोली,"किसके लिए रो रही है!उसके लिए जो अपने मनोरंजन के लिए समय के साथ भी न बदला। सिर्फ खुदकी खुशी देखी। मेरे पीछे इतने लोगों की भावनाएँ हैं जुड़ी हैं न देख,उन्हें रौंद कर चला गया ।उसके लिए क्या रोना।...जो सुनता सहानुभूति कम रोष ज्यादा दिखाता।जीवन कुछ समय बाद फिर चल पड़ा लोगों के मन में अनगिनत प्रश्न छोड़,क्या रीना ने दूसरी शादी कर ली?सास-ससुर के बुढ़ापे का सहारा कौन बना?शौक ही शौक में बे-मौत मारा गया।क्या जो लाश मिली व्व अखिल ही था!कहीं ऐसा न हो कि वो सालों बाद फिर आ जाए... और भी न जाने क्या-क्या।


आज के युवा अपने मनोरंजन के लिए अक्सर ऐसे दुस्साहस कर बैठते हैं और मौज-शौक के चक्कर में अपनी जान दाँव पर लगा देते हैं।पीछे से घरवालों को इसका दुष्परिणाम भुगतना पड़ता है।सावधान रहें,सुरक्षित रहें व समय व परिस्थिति के अनुसार अपनी जिम्मेदारी समझें।जीवन एक अमूल्य सौगात है।जहाँ हर चीज सीमा में अच्छी लगती है।


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