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गर्माहट -लघु प्रेम-कथा

गर्माहट -लघु प्रेम-कथा

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एक फाख़्ता जब उड़ा मुंडेर से, ख़ामोशी टूटी और अपने ही इतिहास से मैं बाहर आया.
ठंडी हो चुकी चाय की दो चुस्कियाँ लीं, 
फिर महसूस हुआ, अब सबको ठंडा करना ही होगा.
पर जाने क्यों ठंडी चाय भी चुस्कियों में ही पी जाती है,
शायद गर्माहट उसके नाम में ही है.


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