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Sanket Singh

Others

5.0  

Sanket Singh

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त्याग

त्याग

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दोनों स्कूल की छत पर जाने वाली सीढ़ियों के आखिरी सिरे पर अपनी नोटबुक के कुछ पन्ने फाड़, उन्हें किसी फूलों की चादर सा बिछा उसपर बैठे थेI सीढ़ियों के उस सिरे तक कोई आता जाता नहीं थाI उसके बाद शटर बंद थाI उस भीड़-भाड़ वाले रोज़ के मेले में भी अपने अकेले की दुनिया दोनों ने खोज ली थीI कुछ आहट ने उन दोनों का तिलिस्म तोडा और रेलिंग से झाँक कर देखने पर पता चला कि स्कूल की उपप्रचार्या जो कि एक महिला थी सीढ़ियों से ऊपर आ रही थीI पकडे जाने के डर से दोनों की साँसे तेज़ हो गयीI बच निकलने की कोई जगह नहीं थीI ऊपर रास्ता बंद, नीचे उपप्रचार्या और बीच में एक किशोर लड़का और लड़की अकेले मेंI वो कुछ सोच पाता तब तक वो नीचे की तरफ भाग निकलीI सीढ़ियों के पहले मोड़ के बाद अपनी नोटबुक-पेन लेकर ऐसे बैठ गयी जैसे घंटो से वो वही बैठी हो और उपप्रचार्या के आते ही ऐसे ठिठक कर खड़ी हो गयी जैसे कोई चोर पकड़ा गया होI उपप्रचार्या के पूछने पर उसने जवाब दिया कि, पिछले एक घंटे से वह बैठ कर पढाई कर रही है, क्योकि वहा शोर नहीं होता. उपप्रचार्या ने उसे कक्षा से बाहर रहने पर कड़ी डांट सुनाई, और जब तक उसके अभिभावक उनसे मिल न ले उसे स्कूल से निलंबित कर दिया. "ऊपर और कोई है?" इन सब के बाद उपप्रचार्या ने पूछा. "नहीं! मै अकेली ही थी", उसने जवाब दिया. उपप्राचार्य उसे ले अपने कक्ष की ओर चल दी और वो विस्मित देखता रहाI


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