साथ (लप्रेक)

साथ (लप्रेक)

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अस्सी से नैया लेकर दशाश्वमेध घाट तक जाने का जी कर रहा था, पर बहुत से लोग देख लेते. इस लिए सिर्फ उस पार तक जाने के लिए मल्लाह को बोल रवि ने बीस रुपये पकड़ा दिए.

मल्लाह दोनों को बैठा नाव खेने लगा, गंगा जी के उस पार तक.

उसने बोला,”रवि हम उसे उस पार क्यों बोलते हैं. वो तो बीच में निकल आया रेत का टीला है, जो टेहरी में गंगा जी को बांधने से बीच में निकल आया है. जैसे हम दोनों के बीच कुछ आ गया हैं इस समाज और परिवार के बांध की वजह से.”

रवि से कोई उत्तर न आने पर उसने आगे कहा, "कोई बात नहीं तुम बस बीच तक साथ ले चलो तो भी चलूंगी."


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