गरीबी अजीब चीज है
गरीबी अजीब चीज है
सोहन लाल, जीवन राम और फूलचंद पक्के दोस्त हैं। वे लोग गांव से रोजगार के लिए शहर में आये और एक फैक्टरी में काम करने लगे साथ ही फैक्टरी के पास एक कमरे में अपना डेरा कर लिए। सोहन लाल गांव गया था, सो आज लौटा और अपने साथ दोस्तों के लिए घर की बनी मिठाई और जीवन की बहन के सगाई की मिठाई लाया है जिसे बहुत जतन से रखा है , कहीं खराब न हो जाए। सोहन लाल बहुत खुश था रास्ते भर दोस्तों के साथ पार्टी करने की योजना बनाई। कितनी कितनी बातें बतनी है सोचते बस से नीचे उतर कर अपने डेरे की ओर चल पड़ा। उसने अफरा तफरी महसूस तो किया , पर ध्यान नहीं दिया। सोहन लाल आस पास के माहौल से बेखबर अपने में मगन चले जा रहा था । तभी पुलिस ने उसे रोका और कहा कि ॔ इसके आगे नहीं जा सकते , फैक्टरी से गैस लीक हो गया है। ॓
इतना सुनते पाांाांा पैर के नीचे से जमीन खीसक गया। घबराकर उसनेे कहा कि ॔ वहां पर मेरा डेरा है। मेरे दोस्त डेरा में है।
पुलिस ने कहा कि ॔ घबराओ मत भाई, तुम्हारे दोस्त अच्छे से होंगे। सभी को पास के जिला अस्पताल में ले गए हैं । वहां पर मिल जायेंगे। ॓
सोहन भागते हुए अस्पताल पहुंचकर देखासभी तरीफ चीख पुकार, दर्द पसरा हुआ है जिससे सोहन डर गया। उसके पैर नहीं उठ रहे थे और धड़कन बढ़ गई पर दोस्तों का चेहरा आंखों के सामने आते ही दौड़कर अस्पताल में खोजा। उसके दोस्त जीवन की हालत गंभीर थी उसे सांंस लेने में दिक्कत हो रही थी। सोहन कुछ कर पाता, उसके पहले जीवन बिना इलाज के दुनिया छोड़ कर चला गया अब सोहन फूलचंद को देखा उसकी हालत भी अच्छी नहीं थी। उसने तुरंत डॉक्टर के पास जाकर गिड़गिड़ाया तब जाकर इलाज शुरू हुआ। फूलचंद की तबीयत कुछ ठीक हुईं , अब सोहन ने राहत की सांस ली। परन्तु जीवन के लिए दिल रो रहा था और आत्मा में छटपटाहट थी। फूलचंद के लिए सोहन चुुपचाप बैठा था। फूलचंद ने कहा कि ॔ हम गांव में ही ठीक थे। ॓
सोहन ने कहा कि ॔ हां भाई तुम ठीक कह रहे हो।॓
जब फूलचंद को पता चला कि जीवन की मृत्यु हो गई है तब दोनों दोस्त खुब रोये।
फूलचंद ने रोते हुए कहा कि ॔ हमारे तीन तिगड़ी को इस शहर की नजर लग गई। अपने घर में ही ठीक थे। ॓
सोहन ने कहा कि ॔ हम सभी किसी न किसी
मजबूरी में क्ष आये है। मेरे घर वाले मेेेरी दादी को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराये ।मैं इलाज के लिए खेत गिरवी रख कर पैसा लिया, वो भी कम हो गया फिर कर्ज लिए। कुछ पैसा कमाकर घर वालों की मदद करने आया था। यहां तो दोस्त्त खो दिया।
इलाज के लिए आये उसी फैक्टरी के एक और मजदूर लखन ने उनकी बातें सुना तब उसने कहा कि ॔ हम मेहनत कर, पैसा कमाने आयेेे है कोई अपराध नहीं किया है। फैक्टरी वालों को भी हमारी आवश्यकता है। हम लोगों ने तो ईमानदारी से काम करके फैक्टरी को फायदा पहुंचाया। वे हमारे सेहत और जिंदगी के लिए क्या किए ॽ हम छोटे किसानों के साथ बहुत परेशानी है। किसान के हाथ में पैसा नहीं रहता। जब जब पैसा का काम आया, खेेत गिरवी रखना पड़ता है। हम किसानों का शौक यही है कि मेहनत की दो रोटी मिल जाए। तीन पांच नहीं जाते ।मजदूर बन कर पैसा कमाने आयेे तो जिंदगी की लालेे पड़ गए। ॓
सोहन ने कहा कि ॔ इन फैक्टरी वालों को हम गरिबों पर ज़रा सा भी दया नहीं आती । कितने आसानी से हमारे जिंदगी को खतरे में डाल दिया। ॓
फूलचंद हंसने की कोशिश करते हुए कहा कि ॔ फैक्ट्री में काम करते समय गंध आता तब अपने गांव को याद करता, पूरा गांव अपना घर, छुट बहती हवा , लहलहाते खेत, फल से लदे पेड़ । हम लडकन को कौन रोके, बछड़ा जैसे कुुदत फांदत दिन बिते। ॓
सोहन ने कहा कि ॔ जग्गु काका के खेत में गाली खाते घुसे में मज़ा आये, जबरदस्त गाली देहेल, रनकू दादा सिकिया पहलवान कमर मे ताकत नहीं फिर भी लाठी देखा के डरायेे। सुख्खु के काकी जब न तब दो थोपी लगा दे । सबके बहुत आयेल। ॓
कहते हुए सोहन के आंखों में आसूं आ गए। लखन ने कहा कि ॔ सही है भाई , गांव घरका याद
आता है। गांव में काम मिल जाए तो कहीं न जायेे। ॓
सोहन ने कहा कि ॔ गरीबी बड़ी अजीब चिज है। ॓
फिर क्यों स्वस्थ हो कर उसी फैक्टरी में काम करने लगे। उम्मीद पर जीवन कायम। कहीं कोई परिवर्तन नहीं आया। नियम कानून को जो कहना है कहता रहे, व्यवस्था अपनी जगह है। आज भी सोहनलाल , फूलचंद, लखन हड्डडी तोड़ मेहनत कर रहे हैं। न जाने कितने जीवन राम अपना जीवन हार जाते हैं। सच ही कहा उसने गरीबी अजीब चीज है। ॓