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Rashmi Sthapak

Classics

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Rashmi Sthapak

Classics

गणित

गणित

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गणित के शिक्षक हीरालाल अपना कुछ हिसाब करने बैठे ही थे की दरवाजे पर दस्तक हुई।

"अंदर आ जाओ भाई.... बहुत ठंड है बाहर... जो भी है अंदर आ जाओ।"

” नमस्ते सर...मैं...।"

"अरे! जीतू बेटा तुम... इतनी ठंड में... यहाँ कैसे?" 

पिछली गली में रहने वाला उनकी स्कूल का छठी कक्षा का स्टूडेंट उनके सामने खड़ा था।

" सर आपने मुझे कहा था... कोई प्रॉब्लम हो तो घर भी आ सकते हो...।"

"हाँ कहा तो था... गणित पढ़ाते वक्त मैंने कहा था... हिसाब में कोई प्रॉब्लम हो तो... घर भी आ सकते हो क्योंकि तुम्हारा घर मेरे घर से बहुत नज़दीक है।"

उन्हे याद आया मजदूर माता-पिता के इस बच्चे को पढ़ाई में सहायता करने की इच्छा से उन्होंने कहा था।

" हाँ सर इसीलिए मैं आया हूँ... आज मेरा जन्मदिन है सब चीजों का इंतज़ाम तो हो गया है...बस केक के हिसाब में प्रॉब्लम आ रही थी... कुछ पैसे ही नहीं बच रहे।" वह सर्दी में कांपते हुए बड़ी आशा से उन्हें देख रहा था।

" हे! भगवान... तुम्हें हिसाब का मतलब समझ नहीं आया था क्या...?"

"सर...।"

" ठीक है तुम घर पहुँचो...।" उन्होंने उसकी बात काटते हुए कहा।

उसके जाते ही सर का बेटा खिल-खिलाकर हंस पड़ा...

 "पापा आप तो दिन भर हिसाब करते रहते हो... एक-एक पाई का हिसाब करते हो। रहा-सहा यह भी हिसाब लेकर आ गया... हमको ही कभी कभार केक मिला है तो इसे क्या मिलेगा... यह बच्चा बिचारा सर की कंजूसी नहीं जानता शायद।" बेटे के गहरे तंज को सुनकर उन्होंने इशारे से उसे अपनी तरफ बुलाया।

"सामने बैठो।" उन्होंने कुर्सी सामने करते हुए कहा।

"पापा... मैंने गलत तो नहीं कहा।" वह झिझकते हुए कुर्सी पर बैठा।

" बिल्कुल सच कहा बेटा तुमने। बस सच समझा नहीं... जानता हूँ मुझे चारों तरफ लोग बहुत कंजूस समझते हैं। उनके साथ तुम लोग भी यही कहते हो की गणित वालों का दिल नहीं होता। सभी जान-पहचान वाले भी कहते हैं कि मैं दिन भर हिसाब ही करता रहता हूँ...तो आज सुनो। अपने पिता के गुजर जाने के बाद मां को संभालना ,तीन बहनों का ब्याह फिर तुम्हारा इस कॉलेज में एडमिशन करवाना मेरे जैसे मिडिल स्कूल के शिक्षक के लिए आसान नहीं था। छोटी बुआ ,फूफा जी के असमय चले जाने के बाद मुझे ही तो सुख-दुख में याद करती है। उसका ध्यान भी रखना पड़ता है घर में सामंजस्य भी बना कर रखना पड़ता है... इसलिए बहुत हिसाब करना पड़ता है बेटा।"

"पापा... शायद आप बुरा मान गए।"

"जाओ बेटा अभी तो उस बच्चे के केक का हिसाब करना है... मेरे पर्स से पैसे ले लो... छोटे के लिए जो स्वेटर लाया था वह भी लेते जाओ बच्चा बहुत कांप रहा था। अपनी तरफ से जन्मदिन की गिफ्ट दे देना...।"

"पापा...।"

" बस इतना जान लो बेटा... गणित का दिल नहीं होता पर दिल का गणित होता है।"


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