STORYMIRROR

Rashmi Sthapak

Others

3  

Rashmi Sthapak

Others

जंग

जंग

2 mins
165

“अरे! दद्दू ...आप तो बहुत जल्दी आ गए।" दूधवाले बनवारी ने उन्हें घर के बाहर खड़े देख अपनी साइकल टिका दी और लपक कर उनके निकट पहुँच गया।

सेना से रिटायर्ड कैप्टन सूर्यकांत सर्विस के बाद अपने गाँव आकर बस गए। दूधवाला बनवारी उनके मुँह लगा है ।सुबह जब दूध बेचने आता है तो उनके साथ चाय पीकर जाता है और फिर किसी दिन सूर्यकांत उसे कोई सेना के पराक्रम का किस्सा सुनाते तो जब वह बहुत भाव- विभोर हो जाता तो जाते-जाते सैल्यूट ठोकता और सायकिल पर बैठते हुए कहता," दद्दू देश के लिए इतना किया आपने...कल का दूध मेरी तरफ से फ्री।"

सूर्यकांत मुस्कुरा देते।

वह अगले दिन अपना वादा निभाता।

पहली बार बेटे के पास बड़ी तैयारी से गए थे कैप्टन साहब परंतु उन्हें हफ्ते-चार दिन बाद आया देख वह हैरत में पड़ गया।

" हाँ... भई आ गया। " कुछ उत्तर तलाशते वे धीमे-से मुस्कुरा दिए।

" अरे !क्या दद्दू ... तैयारी तो ऐसे कर रहे थे जैसे बरसों के लिए कहीं जा रहे हो। पूरे गाँव को हिला कर रख दिया था लग रहा था कि आप अब साल छह महीने से पहले तो आने वाले नहीं...।"

"क्या करें बनवारी...हम सैनिकों को कुछ ज़्यादा ही तैयारी करने की आदत है...।"

" फिर भी मैदान छोड़ दिया?"

"हाँ ...यहाँ दुश्मन को हराना नहीं था, अपनों को जिताना था।"

अपनी साइकिल पर सवार होने से पहले

बनवारी ने जोरदार सेल्यूट किया।

"... कल का दूध मेरी तरफ से फ्री दद्दू।"



Rate this content
Log in