रास्ता
रास्ता
"इस पूरे क्षेत्र की हर सड़क के साइन बोर्ड तुमने बनाए हैं...अब...आगे के आर्डर भी तुम्हारे नाम हैं रघू...।" इंजीनियर और ठेकेदार मित्तल ने रघू के सधे हाथ को देखकर कहा। "ये तो बहुत अच्छा होगा साहब...मुझे भी बड़ी तसल्ली होती है कि सुनसान और लम्बी सड़कों पर मेरे लगाए बोर्ड कितने राहगीरों के काम आते हैं...उन्हे लगता है कि कोई यहाँ उनकी परवाह करने वाला है...।" "सच कहा तुमने...बीस साल से यह काम कितने लगन से कर रहे हो...पर अब तक अपना घर भी नहीं बनवा पाए...अब मैं चाहता हूँ कि बाकि सब भी बोर्ड के आर्डर तुम्हे दिलवा दूँ...।" "अरे साहब यह तो बड़ी मेहरबानी होगी...दिन ही पलट जाएंगे मेरे।" "बस तो... इस एरिये में शराब की दुकानें सब सड़कों से अंदर होती हुई हैं... तो इन दुकानों तक पहुंचने के लिए सड़कों पर बोर्ड लगवाना है... इकट्ठे आर्डर हैं... यह समझो कि वर्ष भर का काम तुम्हे बैठे-बिठाए तुम्हें मिल गया है।" " साहब वो सब तो ठीक है...पर ये आर्डर नहीं ले पाऊंगा।" "अरे! तुम पागल हो गए हो क्या... ऐसे मौके किसी को मिलते हैं भला...?" "साहब माफ करिए... नहीं कर पाऊँगा।" " इतनी बड़ी डील छोड़ने का आखिर कारण क्या है?" " उस जगह का रास्ता कैसे बताऊं... अभी तक तो सब को सही सलामत घर पहुँचने का रास्ता बताते आया हूँ।"
