Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
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Bindiyarani Thakur

Drama Classics

4.2  

Bindiyarani Thakur

Drama Classics

गलतफहमी

गलतफहमी

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277


मधु बच्चों समेत चली आ रही है, बेटी को ऐसे अचानक आते देख माँ हैरान रह गई!


अरे मधु ना कोई खबर ना फोन?


अरे माँ आप लोगों की याद आ रही थी सो चली आई, मधु ने कहा, अब अंदर भी आने देंगी या नहीं, पापा कहाँ हैं?


काम पर गए हैं शाम को आएँगे। तुम लोग बैठो मैं कुछ खाने को लाती हूँ।


नमस्ते नानी माँ! बच्चों ने एक साथ कहा, खुश रहो मेरे बच्चों, सब अच्छे तो हो!


सब अच्छे हैं आपकी याद आती है जमशेदपुर में, नाश्ता करके आपसे कहानी सुनेंगे, बच्चों ने एक साथ कहा।


ठीक है मैं नाश्ता लाती हूँ तुम सब हाथ मुँह धो लो, नानी ने कहा।


मैं भी साथ में चलती हूँ माँ, दोनों रसोई की ओर चल पड़ीं।


नाश्ता करके बच्चे खेल में लग गए और माँ-बेटी बातों में लग गईं।


हाँ तो मधु अब बताओ कि अचानक कैसे आ गई तुम? माँ ने पूछा।


मधुने शांत स्वर में कहा, माँ मैं हमेशा के लिए वह घर छोड़ आई हूँ। बच्चे कुछ नहीं जानते।


माँ को जैसे सदमा लगा कुछ देर तक तो वे पूरी तरह से मौन रह गईं।


फिर थोड़ी देर के बाद जैसे होश में आईं, इतनी बड़ी बात तुम इतने इत्मीनान से कैसे कह सकती हो, तुम होश में तो हो मधु!


हाँ माँ मैं होश में आ गई हूँ, जानती हो माँ पंद्रह साल की तपस्या के बदले तुम्हारे दामाद ने मुझे बेवफाई दी है, दफ्तर के दौरे के नाम पर वो किसी लड़की के साथ••• मुझे तो बोलते हुए भी शर्म आती है छी। मधु ने कहा...


अरे नहीं बेटी मेरी आँखें इंसान को पहचानने में धोखा नहीं खा सकती, जरूर तुम्हें कोई गलतफहमी हुई है, माँ बोली।


नहीं माँ मुझे पूरा विश्वास है कि अनिलने मुझे धोखा दिया है, अब अगर आप भी मुझे और बच्चों को बोझ मानकर यहाँ नहीं रखना चाहतीं हैं तो हम अभी चले जाएँगे, मधु गुस्से में बोली।


अरे मधु गुस्सा क्यों हो रही हो जब तक चाहे रहो तुम्हारे ही घर है, मैं तो बस ऐसे ही कह रही थी। अभी थोड़ा आराम कर लो सफर से थक कर आई हो... मैं बाॅबी और बंटी को देखकर आती हूँ... ये कहकर माँ कमरे से बाहर चली गईं। कुछ देर बाद थकान के कारण मधु को नींद आ गई। मधु की नींद फोन की घंटी बजने से खुली, बाहर शाम रात में बदल गई थी। 


फोन अनिलने किया था। मधु के हैलो कहते ही अनिल ने कहा, मधु कहाँ हो तुम? पता है, कितनी देर से दरवाजे पर खड़ा आवाज लगा रहा था फिर देखा तो ताला लगा हुआ है, कहाँ हो जल्दी आओ ना!


मैं वो घर छोड़ कर आ गई हूँ, बच्चों को भी ले आई... अब आप आराम से अपनी जिंदगी जी सकते हैं... मेरे तरफ से आप आजाद हैं, और आगे से फोन करने की जरूरत नहीं है, मैं तो बात भी नहीं करना चाहती थी पर बताना जरुरी था... कहते हुए मधुने फोन रख दिया। 


अनिलने देर ना करते हुए तुरंत जमशेदपुर से राँची जाने का फैसला किया। गाड़ी चलाते हुए भी उसका दिल और दिमाग मधु के बारे में ही सोच रहा था, तेज गति से गाड़ी चलाकर जल्द ही वह अपने ससुराल पहुँच गया। घर में सभी खाना खाकर सो रहे थे, घंटी बजने पर मधु के पापाने दरवाजा खोला, अनिलने पिताजी के चरण स्पर्श किये...


अरे अनिल बेटा आप भी आने वाले हैं मधुने बताया नहीं, (शायद अभी तक पापा को मधु और माँने कुछ बताया नहीं है, अनिल ने मन ही मन सोचा।)


जी पापा अचानक ही कार्यक्रम बन गया। मधु शायद कमरे में है मैं मिल लेता हूँ आप भी आराम कर लीजिये। कहते हुए वह कमरे में चल दिया। मधु सोई नहीं थी कमरे की बत्ती जल रही थी, बच्चे नानी के साथ सो रहे थे। अनिल को देखते ही वह गुस्से में बोली, मेरी जिंदगी बरबाद करने के बाद चैन नहीं मिला जो यहाँ पर आ गए।


सुनो तो क्यों इतने गुस्से में हो, आखिर किस बात पर इतना बड़ा फैसला किया है? कुछ तो बोलो, अनिल ने कहा। 


पिछली बार जब तुम टूर पर गए थे तो तुम्हारा फोन एक लड़की ने उठाया था और आज भी जब दोपहर को मैंने फोन किया तब भी... आखिर कैसे कोई लड़की तुम्हारा फोन उठा सकती है। टूर का बहाना बनाकर किसी और के साथ छी! मधु बोली...


हे भगवान, इसके लिए तुम मुझे इतनी बड़ी सजा दे रही थी। मेरे साथ जो परेश काम करता है ना ये उसी की शरारत है... उस रात भी उसीने और कल भी उसीने फोन उठाया था। मुझे पहले ही बता देना चाहिए था तुम्हें विश्वास नहीं है तो अभी बात कराता हूँ, अनिलने फोन लगाया लाउडस्पीकर चालू किया परेश को डाँट लगाई और उससे कल जैसी आवाज में दुबारा बात करने के लिए कहा, मधु सुनकर हैरान रह गई, ये वैसी ही आवाज थी, जैसी उसने पहले सुनी थी, उसकी आँखों में आँसू आ गए, अनिलने कहा, माफ़ी मांगने की कोई जरूरत नहीं है, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ और अपने जीवन में तुम्हारे अलावा किसी और की कल्पना भी नहीं कर सकता। अब कभी भी कोई बात हो पहले मुझसे पूछना फिर कोई फैसला लेना और घर छोड़ कर आने की सोचना भी मत समझीं। कहकर अनिलने मधु को गले से लगा लिया। मधुने भी अपने कान पकड़ लिए और आगे से शक करने से तौबा कर ली। 


(कई बार हम बिना सच जाने गलतफहमियों के शिकार हो जाते हैं और हमारे रिश्तों पर इस सब का बहुत ही गलत असर पड़ता है, अतः बिना सच जाने कभी किसी नतीजे पर नहीं पहुंचना चाहिए। बातचीत से ही समस्या सुलझाई जा सकती है।)


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