गलत इंसान को सबक सिखाना जरूरी
गलत इंसान को सबक सिखाना जरूरी
हर फैसला सोच समझकर लेता था वो अपनी माँ से बहुत प्यार करता था । अपने पिता से प्यार करता था पिता का दुलारा बेटा । दो बहनें थी उनसे भी बहुत लगाव था । ना ही किसी लड़की से दोस्ती ना ही किसी से प्रेम में था । बहनों की शादी हो गयी थी माँ ने उसके लिए भी जो लड़की देखी उसने पसंद कर ली और उसकी शादी हो गयी । उसने सोचा बीवी आएगी माँ बाप की सेवा करेगी और उसके घर को स्वर्ग जैसा सुंदर बना देगी । लेकिन गरीब घर से आई वो लड़की अमित के घर में आकर बददिमाग हो गयी ना ही उसकी इज़्ज़त करती ना ही उसके माँ बाप की । उसके माता पिता रोज़ रोज़ की उनकी किट पिट देखकर परेशान रहने लगे । फि रबहू के घर जुडवा बेटे हुए तब उसने और झगड़े शुरू कर दिए कि सास ससुर को घर से बाहर निकालो और वृद्ध आश्रम छोड़ आओ । बेटे ने अपने सास ससुर को बुलाया और उनसे कहा कि आप अपनी बेटी को आपने साथ ले जाइए जिस दिन ये सास ससुर को माँ बाप का दर्जा देना सीख जाए उस दिन उसको वापस यहाँ छोड़ जाइये । उसके सास ससुर उससे कहते है बेटा अब ये तुमारी बीवी है हम तो ठहरे गरीब लोग अपना गुजारा मुश्किल से करते है घर मे और भी दो बेटियां है कल को उनको कौन लेगा । हमको माफ करो अगर ये तुम्हारी नहीं सुनती तो इसके साथ तुम जो चाहे सलूक करो । और वो चले जाते है । तब पति अपनी पत्नी से कहता है मेरे माता पिता यहीं रहेंगे तुम जहाँ जाना चाहती हो जा सकती है । मैं तुमको छोड़ सकता हूँ उनको नहीं ।
इस घर के बच्चे इस घर मे ही रहेंगे ।
तब वो रोने लगीं की मैं अपने बच्चो के बिना नही रह सकती । मैं कहीं नही जाऊंगी । तब पति ने कहा जब तुम कल के पैदा हुए बच्चो के बिना नहीं रह सकती तो मैं तो तीस वर्ष से अपने माँ बाप की आंखों का तारा हूँ मेरे बिना वो कैसे रहेंगे । बहू की अक्ल ठिकाने आ जाती है और सास ससुर से माफी मांगती है और बाद में उनकी सेवा एक बेटी बनकर करती है ।
