ये उस घर वालों के स्वप्न नहीं भारत में हरेक घर का स्वप्न है। ये उस घर वालों के स्वप्न नहीं भारत में हरेक घर का स्वप्न है।
उन गगनचुम्बी इमारतों के किसी कोने में गगन को छूने की चाहत लिए न जाने कौन से अंधेरे कुँए में जाकर बस ... उन गगनचुम्बी इमारतों के किसी कोने में गगन को छूने की चाहत लिए न जाने कौन से अंधे...
बल्कि घर से निकलकर अपने सास ससुर माता पिता और पति का सम्मान बढ़ाना भी है बल्कि घर से निकलकर अपने सास ससुर माता पिता और पति का सम्मान बढ़ाना भी है
रूबरू गुफ्तगू होने को हम तुमसे तुम हमसे । आज एक बार फिर इक दूजे से मिलते हैं। रूबरू गुफ्तगू होने को हम तुमसे तुम हमसे । आज एक बार फिर इक दूजे से मिलते हैं।
अपराध बोध और पश्चाताप की आग में जलने के सिवा कुछ भी नहीं बचा था। अपराध बोध और पश्चाताप की आग में जलने के सिवा कुछ भी नहीं बचा था।
सास को समर्थन और स्नेह पाकर नेहा के आँसू बहने लगे। सास को समर्थन और स्नेह पाकर नेहा के आँसू बहने लगे।