अपराध बोध और पश्चाताप की आग में जलने के सिवा कुछ भी नहीं बचा था। अपराध बोध और पश्चाताप की आग में जलने के सिवा कुछ भी नहीं बचा था।
आज अनिरूद्ध और स्निग्धा एक शाश्वत प्रेम का नया अध्याय लिखने जा रहे थे..... आज अनिरूद्ध और स्निग्धा एक शाश्वत प्रेम का नया अध्याय लिखने जा रहे थे.....
तुम अक्सर मेरे नाम से वह कविताएं छपवाया करते थे । तुम अक्सर मेरे नाम से वह कविताएं छपवाया करते थे ।
किशोर सर के चेहरे पर अपने विद्यार्थी की सफलता को देखकर संतुष्टि के असीम भाव थे। किशोर सर के चेहरे पर अपने विद्यार्थी की सफलता को देखकर संतुष्टि के असीम भाव थे।