anuradha chauhan

Inspirational

0.9  

anuradha chauhan

Inspirational

आँसू

आँसू

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नेहा की आँखों से झर-झर आँसू बहा रहे थे।माँ-बाप की लाडली बेटी नेहा,जिसकी एक खरोंच पर माता-पिता, भाई की आँखें नमः हो जाती थी।

उसी नेहा को उसके पति ने बुरी तरह पीट दिया था। अच्छा घर, अच्छा वर देख शादी करके पिता ने कर्त्तव्य की पूर्ति कर दी।पर रूपेश को शराब की लत है,यह न जान सके।

मेरा बटुआ कहाँ है ?

मुझे नहीं पता जी नेहा बोली। तुझे नहीं पता तो किसे पता है।बोल सीधी तरह बताते वरना....

मैं सही कह रही हूँ मुझे नहीं पता जी आपका बटुआ कहाँ है। नेहा के मुँह से यह सुनकर रूपेश अपना आपा खो बैठा।

बेरहमी से पीटने लगा नेहा को। सास-ससुर ने दौड़कर बीच-बचाव किया। रूपेश गुस्से में नेहा को कमरे से बाहर निकाल कर सो गया।

सास बहू को अपने कमरे में ले गई। ससुर बाहर बरामदे में सो गए। बहू.. जी माँजी..., जानती हूँ रूपेश ने तेरे साथ अच्छा नहीं किया।

रूपेश दिल का बुरा नहीं है बस जिद्दी है, तुम्हारे ससुर उसकी सारी बातें मानते रहे। इसलिए आज यह हालत हो गए।पर मुझे विश्वास हो गया है कि तुम उसे सुधार लोगी।

जी मैं.. कैसे? वैसे ही जैसे आज तूने अपने पति का बटुआ छुपाकर उसे जाने से रोका। मैंने देख लिया था सब।

माँ जी.. नेहा फूट-फूटकर रोने लगी। किसी को नशा करने के लिए हम कुछ देर तक रोक सकते हैं किन्तु कब तक।

चिंता मत कर बेटा मैं तेरे साथ हूंँ। पहले यह दो थे ,अब हम भी दो हैं।हम मिलकर कोशिश करेंगे।चुप हो जा मेरी बच्ची। सास को समर्थन और स्नेह पाकर नेहा के आँसू बहने लगे।


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