सास और बहू
सास और बहू
एक गाँव मे सुश्मिता नामक एक ल़डकी है जो एक मद्ययमवर्गीय परिवार का है। सुश्मिता एक सरकारी नौकर करती है इसलिए माँ तो एसा परिवार को ढूंढती है, धूमधाम से शादी करने केलिए। लेकिन बेचारी इसकी गाथ में क्या है।
पतिदेव ने एक ऐसा परिवार को ढूंढ लिया था कि इतनी गरीबी और बढ़िया परिवार था। माँ और बेटी को कुछ भी नहीं मालूम था की पापा तो झूठ बोल रहे हैं। शादी के बाद सुशमिता घर संभालने केलिए नौकरी भी छोड़ दी।
घर के बडी बहू होने के कारण छोटे भाइयों और बहनों की शादी भी किया था। इसके बीच में ससुर गुजर गये थे। बाद में सास अपने चार बच्चों अलग अलग रहने से तीन तीन महीने ने एक एक घर मे रहते थे। लेकिन वो किसी भी घर मे शांति और प्यार से नहीं रहती है।
एक दिन बड़ी बहू के घर में कुछ पूजा पाठ के कारण सारी परिवार इकट्टे हो गए इसी दिन वो इतनी झगड़ा की है। बाद में कोई बहू या बेटा भी उसके मुंह भी नहीं देखते हैं।
सिर्फ माँ की देखभाल करना हमारा कर्तव्य है इसलिये देखते हैं। यहाँ तक उस बूढी माँ पर किसी को भी अनुराग नहीं दिखाते हैं लेकिन सभी के मन में वो आशा है कि अगर माँ हमारे साथ प्रेम से रहे हैं तो हमारे घर स्वर्ग बनेगा। ये उस घर वालों के स्वप्न नहीं भारत में हरेक घर का स्वप्न है।