घुरहू की मेहरारू भाग 6
घुरहू की मेहरारू भाग 6
सुबह होते ही सावित्री अपने पिताजी को फ़ोन करके बुला लेती है।दो घंटे में दुल्हन के पिता जी अपनी कार ले कर आ जाते हैं।अपने पिता जी को देखते ही सावित्री जोर - जोर से रोना शुरू कर देती है। सावित्री को रोता देख उसके पिताजी बहुत घबरा जाते हैं, गले लगा कर सावित्री को चुप कराने की कोशिश करते हैं और पूछते हैं क्या बात है बेटा बताओ मैं को।
सावित्री बड़ी मुश्किल से चुप होती है और कहती है पिता जी मैं यहां एक पल भी नहीं रहूंगी। मै को यहां से ले चलो।
बात तो बताओ पहले बेटी मेरा मन बहुत घबरा रहा है।घबरा कर सावित्री के पिता जी पूछते हैं?
"पिता जी मेरा दूल्हा शराब पीता है। सुहागरात के दिन शराब पी कर आया था। ऐसे पति के साथ में एक पल भी न रह पाऊंगी। मेरा यहां से चले जाना ही बेहतर है"
सावित्री की बात सुनकर घुरहू की मां अपने बेटे के बचाव में बोलती है बेटी शादी की खुशी में दोस्तों के साथ छोटी से पार्टी कर ली थी। दोस्तो ने जबरजस्ति पीला दी थी।अब इतनी छोटी सी बात पर गुस्सा हो कर ससुराल से जाओगी तो गांव वालो क्या जवाब देंगे?दोनो कुल की बड़ी बदनामी होगी बेटी गुस्सा छोड़ दो रुक जाओ अभी विदाई का मुहूर्त भी नही है।
प्रभु नाथ जी भी कहते है समधन जी सही कह रही है बेटी जल्दबाजी में लिया हुआ फैसला सही नही होता है।
घुरहू उदास मन से सबकी बात चुपचाप सुनता रहता है।
घुरहू के पिता जी भी सबकी बात सुनकर घुरहू को जम कर डांट लगाते हैं।क्या जरूरत थी तुम्हे सुहागरात के दिन दारू पीने की? मुझे पता नहीं चला नहीं तो रात में ही अच्छे से ख़बर लेते तुम्हारी।
तभी सावित्री अपना बेग लेकर आती और अपने पिताजी की कार में बैठ जाती।
घुरहू जल्दी उठता और कार की तरह भागता हुआ कहता है -मेरे से गलती हो गई अब गुस्सा छोड़ दो और घर में चलो। ऐसे मत जाओ लोग क्या कहेंगे? मेरे को बड़ा दुःख हो रहा है मेरी बात मान लो सावित्री।अब दुबारा ऐसी गलती नहीं होगी।अब मैं कभी शराब को हाथ नहीं लगाएंगे।
सावित्री कुछ नहीं बोलती, घुरहू की बात का भी जवाब नहीं देती।सभी लोग समझा कर थक जाते।सावित्री अपनी जगह से नहीं हिलती? मजबूरी में प्रभु नाथ को सावित्री घर लाना पड़ा।
शेष भाग -7