घुरहू की मेहरारू मुखियान
घुरहू की मेहरारू मुखियान
लेखक - श्याम कुंवर भारती
भाग - 4
अनुवाद लेखक - प्रतिभा जैन
गांव में सभी घुरहू की दुल्हन की बहुत तारीफ़ करते है।
कुछ लोग मज़ाक भी करते हैं कि बंदर के हाथ में नारियल लग गया। कहा घुरहू अनपढ़ और पत्नी बी.ए मिली। मां की तो आज अपने बेटे से नज़र ही नहीं हट रही थी क्या नासीब पाया बेटे ने दुल्हन मिली तो सावित्री। गांव में सभी लोग घुरहू की दुल्हन की मुंह दिखाई को आते हैं,इतनी सुंदर दुल्हन गोरा रंग देखते ही बनता है। घुरहू के खेती वाले भी कुछ दोस्त आ जाते शादी की खुशी में पार्टी करने को। घुरहू लाख मना करता आज मेरी सुहागरात है आज के दिन दारू नहीं पियेंगे पर कोई नही सुनता और कहते तुम्हारी शादी हुई भूल जाओ बिना दारु के सुहागरात में क्या मजा आयेगा दो घूंट तो पीना होगा?
अपने दोस्तों की ज़िद के आगे घुरहू झुक जाता दो घूंट नहीं ग्लास पर ग्लास पी लेता है।
दारू पार्टी देर रात चलती है। घुरहू उठ के चल भी नहीं पाता ज़ुबान लड़खड़ाने लगती कुछ दोस्त उठा कर घर के दरवाज़े पर चुप - चाप छोड़ कर चले जाते। जब मां इस हाल में घुरहू को देखती तो अपना माथा पीट ने लगती।
हे भगवान आज के दिन दारू नहीं पिता तो क्या चला जाता इसका।
इस हाल में दुल्हन देखेगी तो क्या कहेगी?
मैं को आज बड़ी चिंता हो रही है?
कहीं इसके पिताजी ने देख ले नहीं तो रात में ही शौर करेंगे? तभी घुरहू की मां अपनी ननद से बोलती है दीदी आप मेरी मदद कीजिए इसको उठाने में उस कमरे में लिटा देती हूं।
अपने कमरे में तैयार होकर सेज पर बैठ सावित्री घुरहू का देर इन्तजार करती है और कहती हैं इतनी रात को वो अभी तक नही आए। इंतजार में बैचेन दुल्हन बार - बार पर बैठती और खड़ी होती? थकी हारी दुल्हन से अब न रहा गया और अपने कमरे से निकल कर सासु मां के पास पहुंच जाती?
घुरहू की मां अपने बिस्तर से उठ कर बैठ गई और बोली बेटा कुछ चाहिए क्या?
(सावित्री तो बहुत घबरा रही थी घुरहू की अभी तक कोई ख़बर नहीं थी)
कुछ नहीं मां जी आज पहली रात है ससुराल में तो अकेले अच्छा नहीं लग रहा था।
(चाह कर भी अपने दूल्हे राजा के बारे में नहीं पूछ सकती सभी क्या सोचेंगे)
तू ठीक कह रही सबका पहली बार ससुराल में यही हाल होता है। चलो तुम्हरा भी मन लगेगा हम साथ सोते हैं।
नहीं मां जी आप आराम से सो जाओ मैं अकेले ही सोने की कोशिश करते है।
इतना कहकर सावित्री अपने कमरे में उदास मन से चली जाती है पर नींद तो नहीं आती।
एक ही नज़र से दरवाज़े को निहारती रहती कब आयेंगे दुल्हे राजा। इंतजार तो सावित्री का खाली जा रहा था।
घुरहू तो नशे के हाल में आराम से सो रहा था।
सावित्री को क्या पता की दूल्हे राजा दारू पी कर एक कोने में बेहोश डाले है । बिचारी दुल्हन इंतज़ार में पूरी रात करवट बदलती रहीं। यहां घुरहू की मां को भी नींद नहीं आ रही थी। चिंता में तोते उड़ रहे थे। आज मेरा बेटा अपनी सुहागरात पर दारु पी कर डाला है। हे भगवान क्या करू आज बड़ी इज्ज़त की बात है अगर ये बात दुल्हन को पता चली तो अपने मायके तक फैला देगी। कुछ तो करो भगवान की सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे। इतना सोच कर अपने बिस्तर से उठ कर घुरहू के पास धीरे से जाती है। दारू के नशे में खर्राटा मार रहा था।
मां एक ग्लास पानी में नींबू मिला कर जबरदस्ती मुंह में डाल देती है। नशे के हाल में घुरहू मां को उल्टा सीधा बोलने लगता है। मां उसको उठा कर बॉथरूम में ले जाती और बाल्टी भर पानी घुरहू पर डाल देती घुरहू मां -मां चिलता? मां डांट कर चुप करा देती फिर साबुन और शैंपू से उसको नहाती और कहती आज तो सारी इज़्जत का कचरा कर देगा तेरी दुल्हन सुहाग सेज पर तेरा इंतज़ार कर रही और तू यहां दारू पी पर सो रहा।
चल नहा लिया अब कपड़े बदल कर आजा। घुरहू ने लाख मना किया पर मां ने एक नहीं सुनी अपने कमरे में घुरहू और अच्छे से तैयार किया और दूल्हा बना दिया बहुत सारा परफ्यूम लगा दिया और इलाइची पाउडर भी खिला दिया जिससे दारू की बदबू अब कही से नहीं आएं। बड़े प्यार से दुल्हन के पास भेज किया और कहा कि अब जाओ पूरी रात से तुम्हारा इंतजार कर रही है यदि उसको पता चला तो बहुत बड़ा हंगामा हो जायेगा।
बहुत बड़े घर की पढ़ी लिखी बेटी है। अपने घर की इज्ज़त की बात है बेटा आज घर की इज़्ज़त रख लो बेटा दुल्हन को शिकायत का कोई मौका नहीं दो। इतना कहते ही घुरहू को दुल्हन के पास भेज कर बाहर से कमरा बंद कर देती है
क्रमशः
शेष भाग 5