घर ही मन्दिर
घर ही मन्दिर
अपने विशालकाय व भव्य मन्दिर की भव्यता और उसमें लगे कृत्रिम ताल व नगारों को अपने मित्र को दिखाते व गर्व से प्रफुल्लित होते पहले मित्र ने दूसरे से कहा- देखा है कभी ऐसा मन्दिर व ऐसी भव्यता।
तो प्रत्युत्तर में दूसरे ने पहले से कहा-
मैने भी एक मन्दिर बनाया है चलो तुम्हें दिखाता हूँ।
पहले ने व्यंग्य दृष्टि से दूसरे को देखते हुए कहा-
चलो तुम्हारा मन्दिर भी देख ही लेते हैं।
कहते हुए दोनों मन्दिर में माथा टेक निकल गये। थोड़ी दूर चलकर चारों तरफ घर ही घर देख पहले ने पूछा-
ये कहाँ ले आये तुम। यहाँ तो दूर-दूर तक कोई मन्दिर नहीं।
दूसरे ने आश्वसत करते हुए कहा- चलो तो मित्र।
थोड़ी और दूर जाने पर उसने एक घर का दरवाज़ा खटखटाया। कुछ देर बाद दरवाज़े के खुलते ही दरवाज़े पर खड़ी युवती को देख वायरल विडियो आँखों के सामने घूमने लगा जिसमें चार युवकों ने एक लड़की की अस्मत लूट मरने के लिए छोड़ दिया था।
उस युवती को देख आश्चर्य से पहले ने दूसरे को देखा तो दूसरे ने कहा-
ये मेरी धर्म पत्नी है। आओ मित्र घर के अंदर। घर के अन्दर प्रवेश करते ही आँगन में दो छोट- छोटे बच्चों को देख पूछा-
ये बच्चे तुम्हारे तो नहीं हो सकते क्योंकि उस घटना के बाद ही तुमने शादी की होगी, है न। फिर ये बच्चे...
दूसरे ने पहले के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा-
तुमने सही अनुमान लगाया मित्र ये बच्चे अनाथ है जिसे एक भिखारिन ने जन्म देते ही दम तोड़ दिया था।
अभी विचारों में और गोते लगाता तभी घर के मन्दिर से घंटी व आरती की आवाज़ आयी तो दोनों मन्दिर की आरती में शामिल हो गये।
पूजा समाप्त होते ही एक बुजुर्ग औरत ने प्रसाद सबको दिया तो दूसरे ने परिचय करवाते हुए कहा-
इनसे मिलो मित्र, ये मेरी माँ है एवं इस घर की भगवान है, जिन्होंने मुझे ऐसे संस्कार दिये कि आज मैं नेकी की राह पर चल पा रहा हूँ वरना तो मैं भी दर-दर भटकता क्योंकि मैं भी अनाथ हूँ।