गब्बर
गब्बर
नथुलाल-अरि ओ मंटू की अम्मा ! कहाँ हो , तनिक एक गिलास पानी लेकर आओ तो।
कुंती - जी आ रही हूँ।
कुंती ने पानी का गिलास दिया और जल्दी में अंदर जाने लगीं।
का हुआ इतनी हड़बड़ाई काहे हो ? तनिक हमरे पास तो बैठो।
बैठने को फुरसत ना है अब। जबसे कोरोना चालू हुआ है इतना साफ सफाई का काम बढ़ गया है कि सांस भी न ले जा रही सुकून से। अब पहले जैसी बात कहां रही।
नथूलाल- अरे इतना गुसिया काहे रही हो। काम खत्म करदो, फिर चलते हैं थोड़ा बजार...वो दीवाली की खरीदारी कर आएंगे।
कुंती- पगला गए हो का? इस कोरोना काल में बजार नहीं जाना मुझे। आप जाकर जो भी ज्यादा जरूरी का सामान है ले आना।
नथूलाल- हर साल तुमहि बड़ी सज धज कर खड़ी होजाती हो। इसलिए पूछ लिए। खैर , तुम भी सही कह रही हो। अब की बार न दीवाली न दसहरा न होली न तीज… सब खा गयो ससुरा।
कुंती- हमका तो ई कोरोना 'गबर सिंघ' की आत्मा लागे है। हर परब में आग फूंकने चला आया है।
नथुलाल(हस्ते हुए)- ई का कह रही हो...गबर सिंघ। हा हा हा।
कुंती- हस काहे रहे हो जी...वो मुआ गबर सिंघ भी तो होली पे सबका चैन छीन रखा था। अब उसकी आत्मा ये मुआ कोरोना हर त्योहार को बर्बाद कर रहा है।
नथुलाल- हां ...और देस बिदेस में ऐसा फैल रखा है। कहीं पर भी आदमी चैन से नहीं है। हम तो त्योहार की बात कर रहे हैं… पर इसने तो लोगों की जिंदगी बर्बाद कर रखी है। आमदनी छीन ली, घर छिनलिया, अपनों को सगे सम्भन्धियों को छीन लिया। अब पता नहीं क्या करेगा आगे..
कुंती- हाँ जी, इस बारे में सोचते ही कुछ खुसी मनाने का मन ही नही कर रहा। गबर सिंघ भी इतना बुरा न रहा होगा।
परसो वो कल्लू की अम्मा उससे कह रही थी ' चुपचाप सोजा, बाहर खेलने मत जा वरना कोरोना होजाएगा।
जैसे गबर सिंघ के नाम से अम्मा अपने बच्चे को डरा रही थी उस फिलम में...
और तो और गबर सिंघ को पकड़ने पे जैसे सरकार ने इनाम रख रखा था वैसे ही कोरोना को मारने का हथियार ...ऊ का कहते है ..सुई...इंजेक्शन ...अरे हां …..वैक्सीनवा!! जो बनावेगा उको भी इनाम मिलेगा। ऐसा सुनने में आ रहा है।
नथुलाल- कर भी का सकते है अब। सच मे मन तो नहीं करता , पर हमरे त्योहार तो पूर्बजों की परंपरा है। जोर सोर से न सही सादी सादी मनानी तो होगी ही। तुम दिल छोटा मत करो। मैं बजार जा रहा हूँ। सामान की परछी बनाकर दे दो। और हाँ ऊ मास्क और सैनिटाइजर भी दे देना। अब जब तक ऊ वैक्सीनवा नहीं आ जाता, ई सब के भरोसे लड़ते रहना है हमका।
कुंती- जी लाती हूँ। और हाँ... दो गज दूरी पर ही रहना सबसे, और ई दस्ताने भी पहन लो।