जज़्बा
जज़्बा
जहां लड़कियां आज लड़कों की बराबरी में है। वहीं उनकी मुसीबतें लड़कों से कई गुना ज्यादा बढ़ चुकी है। हर क्षेत्र में उनको चुनौतियों के साथ अपनी सुरक्षा, आत्मरक्षा, स्वाभिमान और सहनशीलता आदि का भार उठाना पड़ता है। फ़िर भी उसे कमज़ोर और अबला समझ बैठते हैं लोग। मर्दों का छोड़ो ख़ुद औरतें ही कांटे बन जाते हैं एक दूसरे के। अब दुश्मन बाहर का हो तो लड़ लेते, घर के दुश्मन से कितना लड़ें? वैसे ही मर्दों से जीतती आई शक्तिशाली महिलाओं को बस वही महिलाएं ही हरा देती हैं। लेकिन जो किसी की भी और वह नहीं करते उन्हें किसी से क्या डर..चाहे औरत हो या मर्द वो अपना लक्ष्य पा कर ही रहते हैं।
मिंटी वैसी ही एक आत्मविश्वास वाली लड़की थी। उसे खुद के हुनर पर गर्व नहीं बल्कि भरोसा था। उसने कभी खुद को किसी से कम नहीं समझा। वो बहुत ही सादी सी लड़की थी पर ज्ञानी और गुणी थी। उसने हर चीज़ में सुंदरता देखी थी। वो आईना इसलिए नहीं देखा करती थी कि वो कैसी दिखती है बल्कि इसलिए देखती थी के उसमें आज आत्मविश्वास कितना है। ख़ुद को साबित करने का जुनून जो था इसकी चमक आँखों में कितनी है?
लोग तो हर किसी की खामियों को तलाशने में लगे रहते हैं। मिंटी की खूबियां इतनी ज्यादा थी कि उसकी खामियां न के बराबर थी। पर कहते हैं ना सुंदरता का चश्मा लोगों में ऐसा चढ़ा होता है कि सुंदरता का असली मतलब सब भूल चुके है।
