आह्वान
आह्वान
जहाँ देखो वहाँ बस जातिवाद, धर्म युद्ध चल रहा है। ये क्या होगया है इस देश को? राजनीति के चलते सब कुछ बंट चुका है। धर्म के नाम पर हिन्दू-मुसलमान में भाई चारे को तोड़ा जारहा है और जातिवाद के नाम पर हिंदुयों को मारा जा रहा है। हम तो ऐसे नहीं थे। प्रेम किसी से भी हो सकता है, इंसान इंसान से ही प्रेम करेगा ना… अब हिन्दू है या मुसलमान ये प्रेम कहाँ देखता है। दलित है या ब्राह्मण इससे प्रेम में कोई रुकावट नहीं आती। दिल के रिश्ते और भावनाएं इन सबसे ऊपर हैं। पर हम बस हर बात पे लड़ने झगड़ने पे उतर आते हैं। जैसे इससे हमारे और देश का विकास होजाएगा। आर्थिक स्थिति सम्भल जाएगी।
लव जिहाद, दलित कन्या का शोषण, ये मुद्दे मानव धर्म से हटकर जातिवाद को बढ़ावा दे रही है। एक लड़की के साथ हुए अपराध को कुछ लोग समाज मे आग लगाने वाली तीली बना देते हैं। उसको न्याय बाद में मिलता है, कइयों को तो न्याय मिलता ही नहीं। मगर देश के साथ अन्याय हो रहा है। ये कोई नही समझ रहा। ह्यूमैनिटी का बस स्पेलिंग ही सही लिख लेते हैं सब मगर उसे समझता कौन है?
राजा सिर्फ़ राजनीति से नहीं बनता, राजा राज्य से बनता है। और ये राज्य संकट में है। जहाँ बात बात पे दंगे हो रहे हो उस देश में अमन कहाँ से आएगा?
ये सब देखकर ही शायद आज सम्राट अशोक लौट आए हैं… ये बताने के लिए की धर्म क्या है? शांति और मोक्ष क्या है? क्या हम उनको सुन पा रहे हैं?
वो चिल्ला चिल्ला कर कह रहे हैं की धर्म नहीं दुश्मन से लड़ना है, दुश्मन को हराना है….लेकिन हम एक दूसरे के धर्म को हराने में व्यस्त हैं।
पेशवा बाजीराव बल्लाळ भी आगए ये बताने की प्रेम इंसान से होजाता है। इसका धर्म के साथ कोई नाता नहीं है। एक हिन्दू लड़की को मुसलमान लड़के ने बीच रास्ते गोली मार कर हत्या करदी। वो ज़बसदस्ती उससे अपनाना चाहता था, उसका धर्म परिवर्तन करना चाहता था। उसे नहीं पता के प्रेम साश्वत है। ये धर्म और जाती से बहुत दूर है। धर्म के नाम पर न प्यार होता है, न दोस्ती होती है और न ही दुश्मनी। मुग़लों से दुश्मनी इस लिए नहीं थी के वो उस धर्म से थे। इसलिए थी कि वो इस देश को हड़पने की साज़िश में थे। बाजीराव कह रहे हैं...वो मुग़ल अब नहीं है। तो इस बात पे आज क्यों फ़साद हो रहे हैं?
पाठक गण सोच रहे होंगे ये सब कब आए? और कहाँ हैं? तो मैं बता दूं ये मेरी कल्पना है। मेरी उम्मीदें हैं जो मेरे देश के नौजवानों से है। मैं उन महान किरदारों के रूप आज के युवाओं में देखने की चाह रखती हूँ।
आह्वान करती हूँ उन वीरों का ...उनसे प्रेरित हो कर क्या हम आज के इन विवादों को मिटा नहीं सकते?
जब इस देश मे किसी लड़की का बलात्कार होता है तो उसे जातिवाद का सार न बनने दें। एकजुट होकर उस अधर्म से लड़े।
लव जिहाद के ख़िलाफ़ खड़े रहो मग़र जिहाद की सही परिभाषा तो जानलो। हर कोई जिहादी नहीं है। जो हैं उन्हें बक्श न देना। पर धर्म पे लड़ना बन्द करो।
अब मेरी कल्पना में मैंने इतिहास के जिन राजाओ का उल्लेख किया ...क्या हम अपने देश में फ़िर से उनके स्वरूप देख सकते हैं ? इस देश की हालत को सुधारने के लिए उनका आना ज़रूरी है।
