दवा
दवा
पता नहीं लड़कियां कैसे घर संभाल लेती हैं? अपनी पिछली ज़िन्दगी से अलग एक नया जीवन कैसे जी लेती हैं? घर और ऑफिस दोनों एक साथ कैसे मैनेज कर लेती हैं? ऊपर से दुनिया भर के मुसीबतें और रोज़ नए चुनौतियों से गुज़रती रहती है। ये सब महेश अपने दोस्तों के साथ बैठकर चर्चा कर रहा था। एक ने कहा - "उनका काम ही है। "
दूजे ने कहा-"उनके पास तो विकल्प होता है, या घर संभालों या ऑफिस अब उनकी मर्जी, फ़िर बाद में इसका रोना चालू कर देती हैं "
सबने अलग अलग राय दी। पर किसीने उस बात की सराहना नहीं कि। पर महेश का सवाल सवाल ही बनकर रहगया।ठीक उसी वक़्त उनका बॉस यानी तारक मेहता वहाँ आ पहुंचे। सबकी बातें सुनी और कहने लगे- "मैं भी बहुत बार यही सोचता रहता हूँ।मेरे घर में ये सब रोज़ चलता है। घर का काम ककरती है, सबका ध्यान रखती है, खाना बनाती है, सफ़ाई करती है, बच्चों को समय देती है, हमारी ज़रूरतें पुरु हुई या नहीं वो भी देखती है, सब्ज़ी से लेकर पानी का बिल सब वो देखती है। पर हमने कभी ये सब करने को कहा ही नहीं। और अगर कुछ कहदो तो चिड़चिड़ा जाती है, गुस्सा सर पे चढ़ जाता है, और बातें सुनाने लग जाती हैं। अब उनलोगों का काम ही है ये सब, इसलिए ही तो करते हैं। पर इस बात का रोना कभी ख़त्म ही नहीं होता।"
"हाँ सर् बिल्कुल सही कहा आपने, जिसका काम वो करें और दिसरों को सुनना भी पड़े ये मर्दों के साथ नाइंसाफ़ी ही है..(हंसते हुए) "
सबने ऐसा कहा सिर्फ़ महेश चुप रहा।
"लेकिन सर् आपके घर में….? रोज़ रोज़….? आपकी तो शादी भी नहीं हुई!" महेश ने कहा
उसपर सबने प्रश्न भरी निगाहों से तारक की तरफ़ देखा।
तारक ने कहा- "आपकी पत्नियां घर और ऑफिस दोनों संभालती हैं? "
सबने कहा-" सर् आधुनिक महिलाएं हैं ...बस यही कहकर करती हैं, अपना ईगो सैटिस्फै करने के लिए, अब इनको कौन समझाए के बाद में हमे क्या झेलना पड़ता है।"
महेश अब भी चुप रहा, बस सर् की तरफ़ देख रहा था।
"अच्छा...आप की मम्मी और बहनें घर सिर्फ़ संभालती हैं? "
एक ने कहा- "सर् मेरी मम्मी वर्किंग वोमेन है।"
तारक- "तो वो ऐसा करती हैं? "
"नहीं सर् मम्मी ऐसा नहीं करतीतो सब कुछ काम करते हुए वो अपना प्रोफेशन भी संभाल लेती हैं ...मानना पड़ेगा।"
"और बीवी???
"सर वो भी ऑफिस जाती है। पर उसको बहुत शिकायतें रहती हैं। जब देखो तब सुनाने लग जाती हैं। "
तारक- "क्यों ? मम्मी घर का सारा काम और सबकी देख रेख करती है और काम पे भी जाति है और शिकायत नहीं करती पर बीवी क्यों? "
"वही तो सर्। पर मम्मी की निगरानी में घर के काम होते हैं, काम तो पत्नी करती है। और मम्मी को लंच देकर भेजती है। फ़िर हम, और आख़िर में वो जाती है।"
"मेरे प्यारे साथीयों… "यही तो बात है, हमको नज़र सब आता है लेकिन हमारे अंदर का ईगो उसे कबूल नहीं करता।मम्मी वर्किंग लेडी हैं पर उनका ध्यान भी पत्नी रखती है, उम्र और ओहदे का लिहाज़ करते हुए। सबकी जरूरतें पूरी करने के बाद ही अपने काम करती हैं। और उनके चिड़चिड़े पन का हम क्या क्या मतलब निकल लेते हैं…एक बार उनकी जगह पर रहकर देखिए क्या क्या करना पड़ता है एक दिन में।
और थोड़ी देर पहले जो मैंने कहा और आप सब उस पर परिहास की हँसी हसने लग गए वो मेरी पत्नी नहीं मेरी बेहन की बात थी। वो भी रोज़ रोज़ इन सबसे गुज़रती है, और कुछ कहदो तो चिड़चिड़ा जाती है।
मैं हर रोज़ उसके पास थोड़ी देर के लिये ही सही बैठकर उससे बात करता हूँ। उसकी परेशानियों को समझता हूँ। और उसे ये भरोसा दिलाता हूं कि हम सब साथ हैं तुम्हारे, तुम्हारी मुश्किलें आसान तो नहीं कर सकते पर ताकत बनने की कोशिश करेंगे। क्योंकि हम तुम लेडीज़ की बराबरी कभी नहीं कर सकते।"
महेश ने मुस्कुराकर तारक की तरफ़ देखा और कहा - "मेरे सवाल का जवाब मिल गया। इस चिड़चिड़े पन की दवा आपने बख़ूब बता दिया सर्…धन्यावाद।बाकियों की नज़रें झुकी की झुकी रह गई।
