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Nirupama Naik

Thriller

4  

Nirupama Naik

Thriller

टैटू

टैटू

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हाथियों के बीच से कहीं मुश्किल से जान बचाकर भाग रहा था...कहीं घोड़ो की झुंड , कहीं अनगिनत सैनिकों का पहरा था, और मैं बेचारा अकेला। ये कैसी जगह है? 

इतना बड़ा साम्राज्य है कि पूरी दुनिया छोटी लगे। पुराने ज़माने के पहनावे और लोग। पुरानी महल...माफ करना राजमहल, जो सुनहरी ऊर्जा बिखेरती हुई खड़ी है जिन्हें देखने के लिए लोग तरस जाते हैं। ये कैसा भव्य दृश्य मेरे सामने है...क्या मैने इसकी कभी कल्पना भी की थी? नहीं तो….

अचानक से ४-५ सैनिकों ने मुझे घेर लिया और पकड़ कर ले गए। लोहे के वो हथकड़ियां ...आह...कितने भारी हैं, वो बेड़ियों में जकड़कर मुझे दरबार मे लेगए। वहां एक विराट सिंघासन पर विराज भलाल देव। उसे देख मेरा खून खौल रहा था। पर पता नहीं क्यों,? भला उससे मेरी क्या दुश्मनी?

पर बेड़ियों में बंधे होने के कारण मैं कुछ कर नहीं पा रहा था।बगल में एक सिंघासन पर दुर्गा माँ जैसी ऊर्जा प्रवाहित करने वाली राजमाता विराजमान थीं। उन्हें देख मन गद गद हो उठा। उस भव्य महल का वो नज़ारा मैं बस निहारता जा रहा था। इतने में एक सैनिक ने कहा - महाराज ये बाहुबली का कोई गुप्तचर लग रहा है। ये सुनते ही भलाल देव तिलमिला उठा। फौरन मुझसे सेवक किया- कौन हो तुम। और माहिष्मती में कैसे आगए? किसने तुम्हें यहां भेजा या किसीकी तलाश में आए हो...और अगर बाहुबली के गुत्प्चर निकले तो तुम्हारा सर धड़ से अलग कर दिया जाएगा। 

मेरे आंखों से आग निकलने लगी। मेरे अंदर एक फौलाद से हौसला आगया। मैंने दहाड़ लगाया और कहा- मैं गुप्तचर नहीं हूँ ...मैं बाहुबली हूँ। ये सुनकर वहाँ सब ज़ोर ज़ोर से हसने लगे। ठहाकों की गूंज ममेरे कानों को चीर रही थीं। मैं गुस्से में आग बबूला होरहा था। मन कर रहा था के काश ये बेड़ियां टूट जाए और मैं इसका सर धड़ से अलग करके उसीके हाथों में थमा देता। मैंने ज़ोर से हुँकार लगाया और जय माहिष्मती का उच्चारण कर महासेना को आह्वान दिया...एक ज़ोर की थप्पड़ पड़ी गालों पे और टैटू आर्टिस्ट ने कहा- भाग यहाँ से….जिसे देखो बाहुबली का तलवार हाथ पर बनाने आजाता है यहाँ। और ये नमूना...तलवार बना ही नही माहिष्मती में पहुंचकर वहां खुद को बाहुबली बता रहा है। इतना कोई चिल्लाता है क्या? तबसे सुन रहा हूँ इसकी बकवाज़। बार बार कह रहा हूँ ठीक से बैठों मुझे दिक्कत हो रही है...पर ये तो सुन भी नही रहा। ऊपर से ऐसा चिल्ला चिल्लाकर मेरा दिमाग फोड़ रहा है। भगाओ रे इसे…

अरे प्लीज ऐसा मत करो...मैं ध्यान रखूंगा। अब आराम से बैठूंगा। प्लीज टैटू पूरी करदो। - मैंने कहा

चल भाग...दोबारा यहां दिखना मत और हां आगे से कोई भी बाहुबली का तलवार बनाने आए तो वहीं से भगादेना। ये राजामौली जी ने भी अपनी काल्पनिक कहानी को इस तरह से वास्तविक बना दिया जिसने देखा वो उसीमें खो गया। 


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